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हरियाणा रजिस्ट्री घोटाला- 300 पार हुई ‘दागियों’ की लिस्ट, 150 तहसीलदार व नायब तहसीलदारों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा रजिस्ट्री घोटाला- 300 पार हुई ‘दागियों’ की लिस्ट, 150 तहसीलदार व नायब तहसीलदारों की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल*
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चंडीगढ ;- हरियाणा की तहसीलों व सब-तहसीलों में हुए भूमि पंजीकरण के मामलों में बड़ा फर्जीवाड़ा निकल कर सामने आया है। अर्बन एरिया डेवलेपमेंट एक्ट के नियम-7ए के तहत हुई रजिस्ट्रियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ हुई है। इतना ही नहीं, गड़बड़ की वजह से संदेह के दायरे में आए रेवन्यू अधिकारियों व अन्य स्टाफ का आंकड़ा बढ़कर 300 पार कर गया है। ऐसे में अब एक साथ इतने अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन कर पाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। फिलहाल राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने प्रदेशभर की रिपोर्ट और इसमें शामिल नामों की सूची विभाग के मंत्री व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के पास भेज दी है। माना जा रहा है कि दुष्यंत इस पूरे मामले को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से चर्चा करेंगे। सीएम की सहमति के बाद ही इस पर अगली कार्रवाई होगी। अब तक विभाग इस पूरे मामले को सिस्टम की गलती मानकर चल रहा है। लॉकडाउन के समय रजिस्ट्रियों में धांधली होने का खुलासा होने के बाद डिप्टी सीएम ने जांच के आदेश दिए। शुरुआत में गुरुग्राम के 7 रेवन्यू अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करके उन्हें चार्जशीट कर दिया गया। बाद में दुष्यंत ने नियम-7ए के तहत 2017 से अब तक हुई रजिस्ट्रियों की जांच के आदेश दिए। प्रदेश के सभी 6 मंडल गुरुग्राम, फरीदाबाद, करनाल, रोहतक, हिसार व अंबाला के मंडलायुक्तों को जांच के आदेश दिए। सभी जगहों से जांच रिपोर्ट आने के बाद राजस्व विभाग ने इसे कम्पाइल किया। रिपोर्ट को कम्पाइल करने के बाद बुधवार को कौशल ने सभी दस्तावेजों व ग्राउंड से आई रिपोर्ट को डिप्टी सीएम के पास भेज दिया। रिपोर्ट में 150 के लगभग तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार के नाम शामिल हैं। इसी तरह से 150 ही पटवारी, रजिस्ट्री क्लर्क व डाटा एंट्री ऑपरेटरों के नाम लिस्ट में शामिल हैं। जांच में सबसे बड़ी खामी सिस्टम की नजर आई है। अब सिस्टम को किस तरह से ठीक किया जाएगा, इसके लिए सरकार नये सिरे से मंथन कर सकती है।
जानकारी के अनुसार एक तहसील में कैमरे की बजाय मोबाइल फोन से फोटो लेकर रजिस्ट्री करने का भी खुलासा मंडलायुक्तों की रिपोर्ट में हुआ है। बड़ी संख्या में नियम-7ए की धज्जियां उड़ाकर ऐसी जमीन की रजिस्ट्री भी कर दी गई, जहां कोई निर्माण ही नहीं था। रजिस्ट्री में गैर-मुमकिन मकान का निर्माण दिखाया गया है। खट्टर सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2016 में नियम-7ए में बदलाव किया था। इसी बदलाव की वजह से यह गड़बड़झोला हुआ। इसका खुलासा होने के बाद सरकार ने हालिया मानसून सत्र में फिर से नियम-7ए में संशोधन किया है।

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