Friday, September 13, 2024
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*अयोध्या मंदिर पर फैंसला देने वाली पीठ के सभी पांच न्यायमूर्ति कहा है, क्या है उनके पास पद प्रतिष्ठा, आओ जानते है?*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*अयोध्या मंदिर पर फैंसला देने वाली पीठ के सभी पांच न्यायमूर्ति कहा है!, क्या है उनके पास पद प्रतिष्ठा! आओ जानते है?*
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चंडीगढ़/दिल्ली ;- अयोध्या मंदिर पर फैसला देने वाले पांचों जज अब कहां-क्या कह रहे वह किस स्तिथि में है उनके पास क्या जिम्मेदारी है जानते हैं? किसके पास क्या पद है।
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के उन पांच जजों को भी आमंत्रित किया है, जिन्होंने साल 2019 में राम जन्मभूमि पर ऐतिहासिक फैसला दिया था। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश-दुनिया के तमाम गणमान्य लोग इस समारोह के साक्षी बनेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के उन पांच जजों को भी आमंत्रित किया है, जिन्होंने साल 2019 में राम जन्मभूमि पर ऐतिहासिक फैसला दिया था. साल 2019 में फैसला देने वाली पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे।
2019 में हिंदू पक्ष के हक में राम जन्मभूमि विवाद का फैसला देने वाले पांच जजों में से 4 रिटायर हो गए हैं, जबकि एक जज अभी भी सुप्रीम कोर्ट में हैं।
हिंदू पक्ष के हक में राम जन्मभूमि विवाद का फैसला देने वाले पांच जजों में से 4 रिटायर हो गए हैं, जबकि एक जज अभी भी सुप्रीम कोर्ट में हैं। साल 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, उस वक्त जस्टिस रंजन गोगोई देश के मुख्य न्यायाधीश हुआ करते थे। वह भी बेंच के हिस्सा थे। साल 2019 में वह रिटायर हुए। सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद ही तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीट में जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े भी शामिल थे। रंजन गोगोई के रिटायरमेंट के बाद बोबड़े देश के मुख्य न्यायाधीश बने। 23 अप्रैल 2021 को रिटायरमेंट के बाद वह महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चांसलर बने. अभी भी इस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमेरिटस में उनका नाम शामिल है।
जस्टिस अशोक भूषण भी अयोध्या पर फैसला देने वाले पांच जजों की पीठ में शामिल थे। जुलाई 2021 में वह सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए। इसके बाद केंद्र सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बना दिया।अयोध्या पर फैसला देने वाली संविधान पीठ में जस्टिस एस. अब्दुल नजीर भी शामिल थे। वह जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए। इसके ठीक एक महीने बाद ही उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था। हालांकि उनकी नियुक्ति पर खासा विवाद हुआ और सियासी हंगामा मचा।जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भी अयोध्या पर फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का हिस्सा थे। फिलहाल वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं और नवंबर 2024 तक इस पद पर रहेंगे।

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