Sunday, December 22, 2024
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हरियाणा की आम जनता की आवाज संगठित एवं विशालकाय भाजपा पार्टी को 2024 चुनावो में हराना टुकड़ो में बटी कांग्रेस के बस की नहीँ बात!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा की आम जनता की आवाज संगठित एवं विशालकाय भाजपा पार्टी को 2024 चुनावो में हराना टुकड़ो में बटी कांग्रेस के बस की नहीँ बात!*
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चंडीगढ़ ;- जैसे जैसे लोकसभा और विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे है वैसे वैसे स्वार्थी कांग्रेस नेता अपनी गुटबाजी को उजागर करने पर उतारू हो गए हैं। प्रदेश की आम जनता कहने लग गयी है कि संगठित एवं विशालकाय भाजपा पार्टी को हराना टुकड़ो में बटी कांग्रेस के बस की बात नही है।हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को लेकर सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस के बीच खींचतान भी अब बढ़ती दिख रही है। कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी गुट और भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट अलग अलग रास्तो पर पूरी तरह से सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। एक तरफ जहां हुड्डा गुट ‘घर-घर कांग्रेस, हर घर कांग्रेस’ अभियान चला रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सैलजा-रणदीप-किरण (SRK) गुट कांग्रेस संदेश यात्रा शुरू कर चुका है। इसकी शुरुआत बुधवार को हिसार से हो चुकी है। ये यात्रा 10 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करने वाली है।
कांग्रेस संदेश यात्रा का SRK गुट की तरफ से जो पोस्टर जारी किया गया है। उसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी उदयभान का फोटो गायब है। इससे एक बार फिर गुटबाजी को हवा मिलती दिख रही है। SRK गुट के पोस्टर में कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, कुमारी शैलजा के साथ-साथ श्रुति चौधरी की फोटो भी लगाई गई है। इसके साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी नेता राहुल गांधी की तस्वीर दिखाई दे रही है। बता दें कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया पहले ही SRK ग्रुप की यात्रा को नकार चुके हैं। उनकी तरफ से बाकायदा कार्यकर्ताओं को चिट्‌ठी भेजी गई थी, जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि वो अपना समय कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में दें। पार्टी से हटकर कोई भी कार्य अस्वीकार्य होगा. वहीं यात्रा के दौरान कुमारी शैलजा की तरफ से दीपक बाबरिया की चिट्ठी को लेकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया गया। हरियाणा में लोकसभा के साथ-साथ इस साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को आपसी गुटबाजी फिर एक बार भारी पड़ सकती है। 2019 चुनावों में कांग्रेस गुटबाजी की वजह से ही हारी थी।

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