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पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट मीटिंग में जबरदस्त हंगामा, सदस्यो ने VC पर लगाये भ्रष्टाचार के आरोप?*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट मीटिंग में जबरदस्त हंगामा, सदस्यो ने VC पर लगाये भ्रष्टाचार के आरोप?*
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चंडीगढ ;- वाइस चांसलर राजकुमार पर भ्रष्टाचार के कथित आरोपों को लेकर जोरदार हंगामे के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी की सीनेट अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दी गई। वाइस चांसलर राजकुमार बार बार भ्रष्टाचार के आरोपों पर बहस और इंक्वायरी कराने वाले सीनेटरों से एजेंडा आगे बढ़ाने की गुजारिश करते रहे लेकिन उनकी एक न सुनी गई। दो बार बैठक कुछ समय के लिए रद्द कर देने के बाद भोजन अवकाश के बाद वाइस चांसलर ने इसे साइन डाई कर दिया। यानि बैठक अनिश्चितकाल के लिए रद्द कर दी गई। जब तक बैठक नहीं होगी, तब तक महत्वपूर्ण एजेंडों पर भी मोहर नहीं लग पाएगी।
यूनिवर्सिटी के तमाम महत्वपूर्ण मुद्दे बैठक सुचारु तौर पर न हो पाने से लटक गए। यूनिवर्सिटी के टीचरों व स्टूडेंट्स के साथ नॉन टीचिंग से जुड़े मुद्दे पास न हो पाने से दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। टीचरों की कमी से जूझ रही यूनिवर्सिटी को अब इनकी नियुक्ति के लिए अगली मीटिंग का इंतजार करना पड़ेगा, हालांकि यह कब होगी फिलहाल कहा नहीं जा सकता।
यूनिवर्सिटी ऐंथम के साथ जैसे ही सीनेट की मीटिंग शुरू हुई, सत्यपाल जैन गुट से जुड़े सीनेट सदस्यों ने भ्रष्टाचार का मामला उठा दिया। उन्होंने यह मांग रख दी कि एजेंडा शुरू करने से पहले वीसी अपने पर भ्रष्टाचार के लग रहे कथित आरोपों को लेकर जवाब दें और बहस करायें।
वाइस चांसलर राजकुमार एजेंडा आगे बढ़ाने पर अडिग़ रहे लेकिन संदीप कटारिया, नरेश गौड, जितेंद्र ग्रोवर, रजत संधीर, शमिंदर सिंह, प्रवीण गोयल, डीपीएस रंधावा व देवेश मौदगिल ने कहा कि भ्रष्टाचार इस वक्त सबसे बड़ा एजेंडा है। वीसी को उन्होंने भ्रष्टाचार पर बयान देने को कहा। शोर शराबे के बीच जब वीसी नहीं माने तो नारे भी लगने लगे कि वीसी के दो ठिकाने, बनारस यूनिवर्सिटी या बुड़ैल जेल का कमरा। इस हंगामे के बीच आखिरकार मीटिंग कुछ देर के लिए पोस्टपोन कर दी गई।
इसी दौरान वीसी गुट के एक सदस्य ने कह दिया कि भ्रष्टाचार को लेकर चांसलर से बात हो गई जिसे दूसरे गुट ने मुद्दा बना लिया। केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश इसके तुरंत बाद पहुंचे। जब करीब पौने घंटे बाद दोबारा मीटिंग शुरू हुई तो वीसी से फिर उनके विरोधी गुट के सदस्यों ने भ्रष्टाचार पर स्टेटमैंट देने को कहा। देवेश मौदगिल व अन्य सदस्यों ने वीसी के खिलाफ सीबीआई इंक्वायरी कराने की मांग की। जब शोरशराबे के बीच बैठक का गतिरोध नहीं रुका तो केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि हम सब पढ़े लिखे हैं और हमारी सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इस हाऊस को अच्छी तरह से चलायें। एजेंडे को तो कम से कम पास कर दें। इंक्वायरी को लेकर तमाम सबूत जुटाएं और उन्हें यहां रखें या हाईकोर्ट में या एजेंसियों के पास भेजें। सरकार तथ्यों के आधार पर इंक्वायरी करा सकती है। उन्होंने कहा कि सीनेट में टोला बनाकर कुछ निकलने वाला नहीं। हमारे बोल में और तथ्यों में ताकत हो।
भ्रष्टाचार के खिलाफ दस्तावेज जुटाओ। ऐसे शोरशराबा कर तो विरोधी गुट के लोग वीसी को ही फायदा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सब सीनियर हैं लिहाजा हर आइटम पर अपना योगदान दो और बहस करो। हम सब का मकसद है कि यूनिवर्सिटी का काम ठीकठाक तरीके से चले। मंत्री ने यहां तक भी कहा कि चांसलर तक सारा केस पहुंचाया जा सकता है।
पूर्व वीसी अरुण ग्रोवर ने भी कहा कि बोर्ड आफ फाइनेंस महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस पर बहस होनी चाहिए। यूनिवर्सिटी न केवल आर्थिक तंगी से जूझ रही है वहीं फैकल्टी की कमी भी मुद्दा है। तुरंत प्रभाव से भर्ती होनी चाहिए। इस वक्त महज 50 प्रतिशत फैकल्टी से काम चलाया जा रहा है। यह मुद्दा सबसे जुड़ा है लिहाजा एजेंडा पर बहस जरूर होनी चाहिए।
इन दोनों की अपील का भी विरोधी गुट के सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद मीटिंग दूसरी बार दोपहर 3 बजे के लिए पोस्टपोन कर दी गई। भोजन अवकाश के बाद जैसे ही दोबारा सीनेटर मीटिंग के लिए जुटे को एक मर्तबा एजेंडों पर बात शुरू कर दी गई। हो हल्ले में बिना बहस तीन-चार एजेंडा आइटम पास करने की भी कोशिश हुई लेकिन विरोधी गुट के सदस्यों ने कहा कि बिना बहस ये पास कैसे हो गए? पहले वीसी अपने पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जवाब दें। वीसी ने कहा कि आप भी पंजाब यूनिवर्सिटी का भला चाहते हो, हम भी। कम से कम एक सुचारू तरीके से मीटिंग करो और मुद्दों पर बहस कर लो। उन्होंने कहा कि हमें जैसा आचरण आप कर रहे हो वह यूनिवर्सिटी के लिए सुखद नहीं है। हमें एक ब्रैकेट से निकलना होगा। वीसी की इस स्टेटमैंट के बाद कई सदस्यों ने वीसी मुर्दाबाद व तानाशाही नहीं चलेगी, वीसी की करप्शन मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिये। यह रवैया देखकर मीटिंग को चेयर कर रहे वाइस चांसलर ने इसे साइन डाई यानि अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
देवेश मौदगिल सहित हरप्रीत दुआ, डीपीएस रंधावा व अन्य कई सदस्यों ने मीटिंग अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने पर पत्रकार वार्ता के बाद कहा कि करप्शन का एक मुद्दा नहीं बल्कि 11 मामले ऐसे हैं जिनमें भ्रष्टाचार हुआ है। इंस्पेक्शन कमेटियों में चंद लोगों के नाम डाले जा रहे हैं। टीचरों की वरिष्ठता को लगातार नजरांदाज किया जा रहा है। दीवाली व अन्य मौकों पर गिफ्ट कल्चर प्रमोट हो रहा है। यूनिवर्सिटी में कई कंपनियों व एजेंसियों के विज्ञापन लगा दिये गए हैं। कंस्ट्रक्शन के काम में नियमों का उल्लंघन हो रहा है। एमटीएस वर्करों की नियुक्ति में घपला है। यूएमसी के मामलों में गड़बड़ है। तमाम फाइनेंशियल व एकैडमिक करप्शन हो रही है। चांसलर को इस बाबत लिख दिया गया है। वाइस चांसलर इसकी इंक्वायरी करा लें तो सीनेट मीटिंग का यह गतिरोध समाप्त हो जाएगा और हम वापिस एजेंडे पर लौट जाएंगे।
वाइस चांसलर गुट से जुड़े प्रो. देवेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ सीनेट सदस्यों ने तमाम मीटिंग को हाईजैक कर लिया। सीनेट मीटिंग के 5 से 6 घंटे बर्बाद कर दिये। यह एकैडमिक डिस्कशन होनी चाहिए थी लेकिन इसे दूसरा रंग दे दिया गया। जिस तरीके से मीटिंग को आगे नहीं बढऩे दिया गया उससे तो लगता है कि हंगामा करना प्री-प्लांड था।
देवेंद्र ने कहा कि करप्शन को लेकर जीरो टॉलरेंस है लेकिन हर बात को कहने का एक तरीका होता है। भ्रष्टाचार के आरोप क्या केवल इसी वाइस चांसलर पर लगे? क्या पहले वाइस चांसलरों पर ये आरोप नहीं लगे? आरोप लगाना आसान है लेकिन उन्हें साबित करो। जिस फोरम पर शिकायत करनी है करो, लेकिन पूरी सीनेट को हाईजैक करना सही नहीं है। टीचरों, नान टीचिंग सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दे मीटिंग आगे न बढ़ पाने की वजह से लटक गए। इसका कौन जिम्मेदार है? क्या विधानसभा की तर्ज पर सीनेट में मार्शल नहीं होने चाहिए के सवाल पर उन्होंने प्रत्यक्ष जवाब नहीं दिया। कुछ सदस्यों ने जरूर कहा कि हंगामा करने वाले को उठाकर बाहर निकालने के लिए मार्शल का यहां भी प्रोविजन होना चाहिए। नॉन टीचिंग के प्रधान हनी ठाकुर ने कहा कि नॉन टीचिंग कर्मचारियों को एजेंडा पास न होने से जबरदस्त असर पड़ेगा।

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