पूरे देश मे राज्यसभा चुनाव बना कांग्रेस के लिए सिरदर्दी! एक सीट- कई दावेदार, बुजुर्गों नेताओं के साथ साथ युवा नेता भी राज्यसभा जाने को तैयार?
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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पूरे देश मे राज्यसभा चुनाव बना कांग्रेस के लिए सिरदर्दी! एक सीट- कई दावेदार, बुजुर्गों नेताओं के साथ साथ युवा नेता भी राज्यसभा जाने को तैयार?
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दिल्ली ;- पूरे देश मे राज्यसभा की 57 सीटों पर मंगलवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन का काम शुरू हो जाएगा। कांग्रेस की आठ सीटें खाली हो रही हैं और 9 सीटों पर उसकी जीत पक्की है. अगर सहयोगी दल का साथ मिला तो यह आंकड़ा 11 पहुंच सकता है. फिलहाल कांग्रेस के लिए उम्मीदवार का चयन एक चुनौती बना हुआ है.राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्यसभा के लिए पार्टी की स्थिति एक अनार और सौ बीमार जैसी है. ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस हाईकमान को राजनीतिक समीकरण साधने के साथ ही अंदरूनी उथल-पुथल थामने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्यसभा के लिए पार्टी की स्थिति एक अनार और सौ बीमार जैसी है. ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस हाईकमान को राजनीतिक समीकरण साधने के साथ ही अंदरूनी उथल-पुथल थामने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्यसभा के लिए पार्टी की स्थिति एक अनार और सौ बीमार जैसी है. ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस हाईकमान को राजनीतिक समीकरण साधने के साथ ही अंदरूनी उथल-पुथल थामने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए उम्मीदवारों का चयन एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राज्यसभा के लिए पार्टी की स्थिति एक अनार और सौ बीमार जैसी है. ऐसे में उम्मीदवारों के चयन में कांग्रेस हाईकमान को राजनीतिक समीकरण साधने के साथ ही अंदरूनी उथल-पुथल थामने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है.उदयपुर चिंतन शिविर में कांग्रेस ने 50 फीसदी सीटें युवाओं को देने का ऐलान किया था तो दूसरी तरफ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राज्यसभा भेजने का दबाव है. ऐसे में कांग्रेस बुजुर्ग और नई पीढ़ी के बीच संतुलन बनाने की बीच कशमकश में फंसी हुई है.राज्यसभा में कांग्रेस की आठ सीटें खाली हो रही है. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, जयराम रमेश, कपिल सिब्बल, छाया शर्मा, विवेक तन्खा, अंबिका सोनी जैसे नेता शामिल हैं. वहीं, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, प्रमोद तिवारी, कुमारी सैलजा, संजय निरुपम, राजीव शुक्ला राज बब्बर जैसे कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं की लंबी सूची है, जो उच्च सदन में जाने के इंतजार में है. ऐसे में कांग्रेस के सामने एक अनार और सौ बीमार वाला मसला खड़ा हो गया है. कांग्रेस पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम इस बार महाराष्ट्र की जगह अपने गृह प्रदेश तमिलनाडु से राज्यसभा में आ सकते हैं, क्योंकि कांग्रेस-डीएमके के बीच हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सीट शेयरिंग में एक राज्यसभा सीट कांग्रेस को देने का फॉर्मूला तय हुआ था. ऐसे में इस सीट पर चिंदबरम के अलावा कांग्रेस के डाटा एनालिसिस विभाग के प्रमुख प्रवीण चक्रवर्ती भी दावेदार माने जा रहे हैं. चक्रवर्ती कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. ऐसे में देखना है कि चिंदबरम और चक्रवर्ती के बीच किसे कांग्रेस उच्च सदन भेजने का फैसला करती है. कर्नाटक की चार राज्यसभा सीटें पर चुनाव है, जिनमें से 2 सीटें बीजेपी और एक सीट कांग्रेस की पक्की है जबकि एक सीट पर सियासी घमासान होगा. ऐसे में कांग्रेस को मिलने वाली एक सीट पर जयराम रमेश की वापसी हो सकती है. कर्नाटक के कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और नेता विपक्ष व पूर्व सीएम सिद्धारमैया के साथ तीन दिन पहले सोनिया गांधी ने मुलाकात कर राज्यसभा के उम्मीदवार के मामले पर चर्चा की थी, लेकिन पार्टी किसे भेजेगी यह बात सामने नहीं आई. राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों पर चुनाव है, जिनमें से दो सीटें कांग्रेस की पक्की है और तीसरी सीट निर्दलीय विधायकों को साधकर जीत सकती है जबकि एक सीट बीजेपी को मिलेगी. ऐसे में राजस्थान से कांग्रेस नेता राज्यसभा जाने के जुगत में है और पुराने दिग्गजों और नए नेताओं के बीच दावेदारी की रस्साकशी भी सबसे ज्यादा यहीं है.कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे की अगुआई करने वाले नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को फिर से राज्यसभा भेजने का दवाब है तो अजय माकन व रणदीप सुरजेवाला के नाम की चर्चा चल रही है. हालांकि, राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके देखते हुए सूबे के सामाजिक और राजनीतिक समीकरण साधे रखने की भी चुनौती है.मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. विधायकों के मौजूदा संख्या बल के लिहाज से दो सीटें बीजेपी और एक कांग्रेस को ही मिलनी तय है. ऐसे में कांग्रेस विवेक तन्खा को राज्यसभा का दूसरा कार्यकाल देगी या फिर किसी नए चेहरे पर मौका देगी. तन्खा जी-23 में शामिल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस की तरफ से एकमात्र कश्मीरी पंडित राज्यसभा सांसद हैं.कश्मीरी पंडितों पर हो रही सियासत को देखते हुए विवेक तन्खा की किस्मत खुल सकती है, लेकिन अगले साल चुनाव को देखते हुए अरुण यादव भी लाइन में है. ऐसे में कांग्रेस के सामने सियासी समीकरण साधने का भी चैलेंज है.हिमाचल प्रदेश की दो राज्यसभा सीटों पर चुनाव है, जिनमें से एक कांग्रेस और एक बीजेपी को मिलनी तय है. आनंद शर्मा हिमाचल से आते हैं और उन्हें उच्च सदन में भेजने का दबाव भी है. वहीं, पार्टी संगठन के लिए काम कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री व हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ल इस समीकरण में खुद को फिट करने की कोशिश में हैं. ऐसे में आनंद शर्मा और राजीव शुक्ला में किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है. वहीं, हरियाणा से एक सीट कांग्रेस को राज्यसभा में मिल सकती है. कांग्रेस की ओर से कुमारी सैलजा प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ने के बाद राज्यसभा के लिए दावेदारी कर रही हैं, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा चुनाव के समीकरण को देखते हुए किसी ब्राह्मण नेता को भेजने के पक्ष में है. ऐसे में माना जा रहा है कि आनंद शर्मा अगर हिमाचल से नहीं आते हैं तो हरियाणा से उन्हें हुड्डा भेजने की पैरवी कर सकती है, क्योंकि जी-23 में हुड्डा और शर्मा एक साथ खड़े थे. छत्तीसगढ़ से कांग्रेस दो सीटों पर अपना राज्यसभा सदस्य जिता सकती है. ऐसे में दो सीटों में से एक सीट पर हाईकमान जहां राष्ट्रीय सियासत के हिसाब से फैसला करेगा वहीं दूसरी सीट सूबे के किसी नेता को दी जाएगी. छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत राज्यसभा जाने की इच्छा जता चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस किसी एक अपने राष्ट्रीय नेता भेज सकती हैं, लेकिन वो चेहरा कौन होगा? महाराष्ट्र से कांग्रेस की एक राज्यसभा सीट पक्की है, लेकिन उस सीट पर कांग्रेस किसे उम्मीदवार बनाएगी यह तस्वीर अभी साफ नहीं है. महाराष्ट्र की एक सीट के लिए मिलिंद देवड़ा, संजय निरूपम से लेकर कई दावेदार हैं. यूपी, बिहार और पंजाब से कांग्रेस से कोई राज्यसभा सदस्य नहीं आ रहा है, जिसके चलते कपिल सिब्बल से लेकर प्रमोद तिवारी, अंबिका सोनी तक के लिए कोई चर्चा नहीं हो रही है. इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव में कई बड़े दिग्गज नेता हार गए हैं, जो राज्यसभा जाने के लिए बेताब है. झारखंड में जेएमएम सहमत हुई तो कांग्रेस को एक सीट मिल सकती है. पार्टी के असंतुष्ट नेताओं में सबसे मुखर कपिल सिब्बल की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस में रहस्मय चुप्पी है, मगर सियासी गलियारों में चर्चा गरम है कि समाजवादी पार्टी से उन्हें राज्यसभा में भेजने की चर्चा तेज है. वहीं, आरजेडी के समर्थन से सिब्बल के बिहार से राज्यसभा में आने का विकल्प भी खुला है, लेकिन कांग्रेस अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है।