हर्षा रिछारिया ने छोड़ा महाकुंभ फूट-फूटकर रोई थीं, पीठाधीश्वर से हुआ विवाद, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- आध्यात्मिक लड़की हैं*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हर्षा रिछारिया ने छोड़ा महाकुंभ फूट-फूटकर रोई थीं, पीठाधीश्वर से हुआ विवाद, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- आध्यात्मिक लड़की हैं*
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प्रयागराज ;- पेशवाई के रथ पर बैठने के बाद चर्चा में आईं हर्षा रिछारिया ने शुक्रवार शाम महाकुंभ क्षेत्र छोड़ दिया है। उनके पीए ने बताया कि मानसिक तनाव के चलते उन्होंने कुंभ क्षेत्र छोड़ने का फैसला किया है। अभी वह अज्ञात स्थान पर चली गई हैं। कुछ दिन बाद फिर वापस आएंगी।
वहीं, गुरुवार शाम हर्षा ने मीडिया से खास बातचीत की। इस दौरान वह शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप पर जमकर हमलावर हुईं। उन्होंने कहा- संतों ने महिला होने के बावजूद मेरा अपमान किया। आनंद स्वरूप को पाप लगेगा। मेरे ऊपर लग रहे आरोपों से परेशान हूं। मुझे डर लग रहा है। अब मैं महाकुंभ मेला छोड़कर चली जाऊंगी। यह कहते हुए फूट-फूटकर रोने लगीं।
इस खबर के पब्लिश होने के बाद स्वामी आनंद स्वरूप सामने आ गए थे। उन्होंने वीडियो जारी कर कहा – महाकुंभ में हर्षा जैसी कई लाखों लड़कियां आई हुई हैं। तुम्हारी असलियत सबके सामने आ गई है। अगर ये सब करोगी तो मैं फिर से रोकूंगा। मेरी बात का अगर बुरा लगा तो लग जाए।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी बोले- हर्षा के बारे में लोगों ने गलत अफवाहें फैलाईं
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा- हर्षा हमारी उत्तराखंड की बेटी है। वह बहुत अच्छी और आध्यात्मिक लड़की है। उसके बारे में लोगों ने गलत अफवाहें फैलाईं। इससे उसके मन को ठेस पहुंची और वह रोने लगी। मुझे स्वयं दुख हुआ। जितने भी हम संत-महात्मा हैं, वह हमारी बच्ची है। हमें उसकी बुराई नहीं करनी चाहिए। हमारे पदाधिकारियों और बड़े-बड़े लोगों ने उसके बारे में जो अच्छा नहीं कहा, उससे भी हमें दुख हुआ।
मैं कहना चाहूंगा कि वह हमारी बेटी है, हमारी कन्या है, और वैसे भी वह दुर्गा रूप की बच्ची है। उसके बारे में ऐसी बातें करना उचित नहीं। जब हमारा शाही स्नान होता है और हमारी शाही सवारी होती है, तब हमारे रथ में दुनिया भर के लोग बैठे होते हैं। उस समय आपने कोतवाल और उसके गनर भी बैठे देखे होंगे। अगर वह भी बैठी, तो उसमें कौन सा पाप हुआ?
मैं कहना चाहूंगा कि आप पूरे प्रयागराज में जाओ, जितने घरों में लोग भगवा पहनते हैं, वे सब हैं। हम तीर्थ स्थल में आए हैं, यहां भगवा पहन सकते हैं। लेकिन उसके खिलाफ ऐसा षड्यंत्र करना उचित नहीं है। वह हमारी बेटी है, हमारी बच्ची है, और बहुत से लोगों ने उसके लिए जो कहा, वह शोभनीय नहीं है। मैं उसकी निंदा करता हूं। कुछ संत भी उसके खिलाफ बोले हैं, मैं उन संतों की भी निंदा करता हूं। ऐसा नहीं बोलना चाहिए। वह हमारी बच्ची है, कन्या है, देवी रूप है, देवी स्वरूप है। हमें उसका प्रशंसा करनी चाहिए, न कि उसे टॉर्चर करना चाहिए। यह उचित नहीं है, और मैं इसे सही नहीं मानता हूं।
*अब पढ़िए क्या है पूरा विवाद?*
4 जनवरी को महाकुंभ के लिए निरंजनी अखाड़े की पेशवाई निकली थी। उस वक्त 30 साल की मॉडल हर्षा रिछारिया संतों के साथ रथ पर बैठी नजर आई थीं। पेशवाई के दौरान हर्षा रिछारिया से पत्रकारों ने साध्वी बनने पर सवाल किया था।
इस पर हर्षा ने बताया था कि मैंने सुकून की तलाश में यह जीवन चुना है। मैंने वह सब छोड़ दिया, जो मुझे आकर्षित करता था। इसके बाद हर्षा सुर्खियों में आ गईं। वह ट्रोलर्स के भी निशाने पर हैं। मीडिया चैनल ने उन्हें ‘सुंदर साध्वी’ का नाम भी दे दिया।
इसके बाद हर्षा फिर से मीडिया के सामने आईं। कहा- मैं साध्वी नहीं हूं। मैं केवल दीक्षा ग्रहण कर रही हूं। इसी बीच आनंद स्वरूप महाराज ने वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा- पेशवाई के दौरान मॉडल को रथ पर बैठाना उचित नहीं है। इससे समाज में गलत संदेश फैलता है। धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है। साधु-संतों को इससे बचना चाहिए, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, तभी से वार-पलटवार का दौर जारी है।
*शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने कहा- सनातन का मजाक उड़ाना गलत*
शांभवी पीठाधीश्वर आनंद स्वरूप ने कहा- सनातन का मजाक उड़ाना गलत है।
महाकुंभ सनातन धर्मियों का सबसे बड़ा समागम है। यहां धर्म और अध्यात्म पर चर्चा होनी चाहिए। महिला मॉडल और बीफ खाने वाली विदेशी महिला लॉरेन पॉवेल का शुद्धिकरण कराए बिना उसे दीक्षा देना और सनातनी नाम दे देना, यह सिर्फ मजाक और प्रचार है।
*धर्माचार्यों से चर्चा कर सख्त कदम उठाए जाएंगे*
महाकुंभ में इस प्रकार के काम सिर्फ मार्केटिंग इवेंट हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं। इसे लेकर धर्माचार्यों से चर्चा कर सख्त कदम उठाए जाएंगे, क्योंकि यह सीधे तौर पर महापाप है। हर्षा जैसी कई लड़कियां यहां आई हुई हैं। मैंने किसी को कुछ नहीं कहा, लेकिन तुम आचार्य के रथ पर सवार होकर बाइट दे रही थी कि तुम दो साल से इस जीवन में हो और साध्वी हो। जब मुझे असलियत का पता चला, तो तुम्हें रोकना मेरा कर्तव्य बन गया।
*तुमसे मेरा कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं*
मेरा उद्देश्य सिर्फ धर्म की रक्षा है। तुमसे मेरा कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है। जैसा लगाव मेरी अन्य बहनों से है, वैसा ही तुमसे भी है। मैंने तुम्हें सही रास्ता दिखाने की कोशिश की। इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं है। फिर भी तुमको बुरा लगा तो लगने दो।
अगर इस प्रकार का काम कोई दूसरा भी करेगा, तो मैं वही कदम उठाऊंगा। यही मेरा कर्तव्य है। मैंने काली सेना इसी उद्देश्य से बनाई है कि जो लोग धर्म के खिलाफ जाएं, उन्हें रोका जा सके।
*तुम्हारी असलियत सबके सामने आ गई..*
तुम गलत रास्ते पर जा रही थी, इसलिए मैंने तुम्हें रोका। तुम्हारी असलियत सबके सामने आ गई। तुम्हारी मां कह रही है कि तुम्हारी अगले महीने शादी है। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। भगवा वस्त्र पहनकर कोई सनातन धर्म का मजाक बनाए। ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं।
तुम अगर एक सामान्य लड़की की तरह कुंभ में रहोगी, तो मुझे कोई समस्या नहीं है। ये सब करोगी तो मैं फिर से टोकूंगा, फिर रोकूंगा। इस तरह संन्यास ग्रहण किए बिना किसी की शिष्या बताना गलत है।