चंडीगड़ में कार्यरत डेपुटेशन कर्मचारी डीए न मिलने के विरोध में करेंगी 24 जनवरी को राजभवन की ओर पैदल मार्च /अन्य कर्मचारी संगठन भी करेंगे समर्थन*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगड़ में कार्यरत डेपुटेशन कर्मचारी डीए न मिलने के विरोध में करेंगी 24 जनवरी को राजभवन की ओर पैदल मार्च /अन्य कर्मचारी संगठन भी करेंगे समर्थन*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
चंडीगढ़ ;- डैपुटेशन कर्मचारियों ने चंडीगढ़ प्रशासन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। आज कई संगठनों ने रोज गार्डन जिसमें पंजाब हरियाणा डैपुटेशन यूनियन,ज्योइंट टीचर्स ऐसोसिएशन फ़ूड सप्लाई एसोसिएशन चंडीगढ़ व ग्रुप डी एसोसिएशन ने बैठक यह फैसला किया है कि डैपुटेशन कर्मचारियों को पिछले दो बर्ष के डी ए जारी न होने के खिलाफ 24 जनवरी को राजभवन की तरफ पैदल मार्च करेंगे। पंजाब हरियाणा डैपुटेशन यूनियन के अध्यक्ष रणवीर झोरड़ ने कहा कि हमने सभी रास्ते अपना कर देख लिऐ हैं लेकिन उनसे कोई परिणाम नहीं निकला और अब तो हालात यह बन गये हैं कि लगता है हम मंहगाई भत्ता नहीं कोई रहम भत्ता मांग रहे हैं इसलिए हमने फैसला किया है कि प्रदर्शन ही एकमात्र हल वाकी है। उन्होंने कहा जब नियम के अनुसार जहाँ पर कोई कर्मचारी कार्य करता है उसी राज्य का डी ए उसको मिलता है लेकिन चंडीगढ़ ने सोची समझी साजिश के तहत केंद्र से इस पर राय मांगी है जिससे इनके इरादे व नियत साफ़ नज़र आ रही है।उन्होंने कहा कि पिछले बर्ष फरवरी में भी हमने प्रर्दशन किया था जिस पर माननीय गवर्नर ने डैपुटेशन पर आये कर्मचारियों की डैपुटेशन पोलसी में बदलाव कर समय सीमा को समाप्त करने के आदेश दिऐ थे लेकिन आजतक उस पर भी कोई सार्थक परिणाम नहीं आये हैं । ये प्रक्रिया यह भी दर्शाती है कि चंडीगढ़ प्रशासन अपनी मन मर्जी करने पर उतर आया है लेकिन इस बार स्थिति करो या मरो की रहेगी। जे टी ए के संयोजक डा रमेश चन्द शर्मा,कानूनी सलाहकार अरविंद राणा व महासचिव अजय शर्मा ने कहा कि लगभग 700 के करीब डैपुटेशन के अध्यापक प्रशासन के तानाशाह रवैये से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा जे टी ऐ ने हमेशा सभी कैडर की बात की है और लड़ाई लड़ी है और इस बार भी जे टी ऐ अपने दमखम के साथ इस प्रर्दशन में शामिल होगी और हमें पूर्ण विश्वास है कि जिस सोच से हम इस कदम को उठाने जा रहें हैं हमें उसमें कामयाबी भी मिलेगी। प्रतिनिधियों ने कहा कि इस मंहगाई के चलते तूफान में मंहगाई भत्ता रोकना सरासर ग़लत फैसला है। इसे कोई भी सहन नहीं करेगा ।