Wednesday, December 25, 2024
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*ED का खुलासा / घर की यूनिवर्सिटी बनाकर बांट दी 20570 नकली डिग्रियां / कमाए 83.52 करोड़ रुपये!*

*राणा ओबराय*
*राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,*
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*ED का खुलासा / घर की यूनिवर्सिटी बनाकर बांट दी 20570 नकली डिग्रियां / कमाए 83.52 करोड़ रुपये!*
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक ऐसे मामले में कार्रवाई की है, जिसमें हजारों छात्रों के साथ धोखा किया गया है। आरोपी चांसलर ने घर की यूनिवर्सिटी बनाकर 20570 फर्जी डिग्रियां बांट दी। छात्रों से पैसे लिए गए। इस फर्जीवाड़े में यूनिवर्सिटी के चांसलर ने 83.52 करोड़ रुपये कमा लिए। इतना ही नहीं, आरोपियों ने अपराध की आय को खूब घुमाया। फिक्स्ड डिपॉजिट/बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा पॉलिसियों के रूप में विभिन्न बैंकों में बैंक खातों में धन को डायवर्ट किया गया था। उसे वास्तविक लेन-देन का रंग दिया गया। अपराध की आय को जमीन संपत्तियों में भी निवेश किया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), गुवाहाटी जोनल कार्यालय ने मेसर्स सीएमजे यूनिवर्सिटी, शिलांग/मेघालय और इसके चांसलर चंद्र मोहन के खिलाफ धोखाधड़ी डिग्री प्रमाणपत्र मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत तलाशी अभियान चलाया है। झा के अलावा उनके परिवार के सदस्यों और अन्य के ठिकानों पर भी रेड की गई। ईडी ने सीएमजे यूनिवर्सिटी, सीएमजे फाउंडेशन के कार्यालयों और चांसलर चंद्र मोहन झा के नई दिल्ली और शिलांग स्थित आवासों पर रेड की गई। इस मामले में कई शिकायतों के आधार पर, मेघालय के राज्यपाल, जो सीएमजे विश्वविद्यालय के विजिटर थे, ने राज्य सरकार को वर्ष 2013 में सीएमजे विश्वविद्यालय को भंग करने का निर्देश दिया था। 2021 में मेघालय उच्च न्यायालय ने भी विघटन को बरकरार रखा था।
ईडी ने मेसर्स सीएमजे यूनिवर्सिटी, शिलांग, मेघालय, इसके चांसलर चंद्र मोहन झा, उनके परिवार के सदस्यों, जो उक्त संस्थान के ट्रस्टी भी थे, के खिलाफ आईपीसी, 1860 के तहत मेघालय पुलिस द्वारा दायर एफआईआर और आरोप-पत्र के आधार पर जांच शुरू की थी। सीएमजे फाउंडेशन और अन्य व्यक्तियों पर पैसे के बदले फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र देकर हजारों छात्रों को धोखा देने का आरोप है। अत्यधिक संदिग्ध साख वाले छोटे संकाय के बावजूद मेसर्स सीएमजे विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 20570 फर्जी डिग्रियां प्रदान की गईं।
ईडी की जांच से पता चला कि फर्जी डिग्रियां बेचने के बाद, उनके बैंक खातों में प्राप्त धनराशि को झा परिवार के सदस्यों द्वारा रखे गए फिक्स्ड डिपॉजिट/बैंक बैलेंस, म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा पॉलिसियों के रूप में विभिन्न बैंकों में बैंक खातों में घुमाने के बाद डायवर्ट किया गया था। उस आय को वास्तविक लेन-देन का रंग दिया गया। अपराध की आय को जमीन संपत्तियों में भी निवेश किया गया था। तलाशी के दौरान, कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए।
जब्त किए गए डिजिटल साक्ष्यों से पता चला है कि वर्ष 2012, 2013 आदि से संबंधित फर्जी डिग्रियां अभी भी सीएमजे विश्वविद्यालय द्वारा भारी कीमतों पर बेची जा रही थीं। यह भी पाया गया है कि विश्वविद्यालय उचित रिकॉर्ड के बिना बुनियादी ढांचे के साथ चल रहा है। इसके अलावा, पीएमएलए के तहत तलाशी के दौरान बैंक खातों में पाए गए 1.53 करोड़ रुपये के पीओसी को फ्रीजिंग ऑर्डर के तहत रखा गया कुल पीओसी 83.52 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें से ईडी पहले ही 48.76 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुका है।

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