टांगरी में पानी की सूचना से दहशत का माहौल, अंबाला में रात को पहरा देने को मजबूर!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
टांगरी में पानी की सूचना से दहशत का माहौल, अंबाला में रात को पहरा देने को मजबूर!*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अम्बाला/चंडीगड़ ;- टांगरी नदी में पानी आने वाला है और इससे फिर बाढ़ के हालात बनेंगे। ऐसी चर्चा रोजाना टांगरी बांध क्षेत्र में हो रही है। इन अफवाहों से लोगों की जान आफत में है। इसके चलते लोग न तो रात को आराम से सो रहे हैं और न दिन में काम कर रहे हैं। कई दिनों से ऐसे ही हालात चल रहे हैं और लोग रात को पहरा देने पर मजबूर हैं। यह कहना है टांगरी बांध के नजदीक न्यू प्रीत नगर कॉलोनी सहित आसपास रहने वाले बाशिंदों का जोकि हल्की बारिश से ही टांगरी नदी की तरफ दौड़ पड़ते हैं कि सच में पानी तो नहीं आ गया। ऐसे में लोग मानसिक और शारीरिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोगों ने तो पानी को रोकने के लिए अपने स्तर पर ईंट, बजरी और रेत के कट्टे भर लिए हैं, जिससे कि जलस्तर बढ़ने पर इन्हें घर के मुख्य दरवाजे पर लगाया जा सके और इसे रोका जा सके। हालांकि लोगों को यह भी पता है कि यह एक नाकाम कोशिश है। बारिश से पहले ही कुछ लोगों ने टांगरी बांध के नजदीक बने रिहायशी ठिकाने को छोड़ दिया है और वो जरूरी सामान सहित रिश्तेदारों के पास पलायन कर गए हैं। वहीं जो रह गए हैं वो भी अपने मकान की छतों पर सामान को चढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे कि जलभराव में जरूरी सामान खराब न हो और उन्हें परेशानी न झेलनी पड़े। टांगरी बांध के एक तरफ तट को ऊंचा करने के लिए मिट्टी का बांध बनाया जा रहा है जोकि प्रभु प्रेमपुरम की तरफ है। वहीं, दूसरे तटबंध पर जहां श्रमिक और दिहाड़ीदार लोग कच्चे मकानों में गुजर-बसर कर रहे हैं, वहां अभी तट बंध तैयार करने के लिए कोई भी कार्रवाई नहीं की। मौके के हालात देखकर ऐसा लगता है कि इन गरीब लोगों के जानमाल की परवाह किसी को नहीं है।
अब तक नहीं मिली फूटी कौड़ी
आशा ने बताया कि बाढ़ को आए एक साल हो गया है। घर का पूरा सामान खराब हो गया। अधिकारी भी आए, जांच-पड़ताल की और मुआवजे का फार्म भी भरा, लेकिन आज तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। साहिल बताते हैं कि पिछले वर्ष जो बाढ़ आई थी, उसका स्तर आठ फुट ऊंंचा था। इतने पानी में हजारों रुपये का सामान खराब हो गया, लेकिन सरकार व प्रशासन से आजतक कोई मदद नहीं मिली। रत्न ने कहा कि बाढ़ के दौरान दूसरों के सहारे दिन-रात काटे। सोफा, पलंग, वाशिंग मशीन सहित अन्य सामान खराब हो गया जोकि आजतक खरीद नहीं पाए हैं। फैक्ट्री में काम करते हैं तो घर का गुजारा हो जाता है।
नीलम बताती हैं सास-ससुर ने पाई-पाई जोड़कर यहां घर बनाया था ताकि जीवन गुजार सकें। लेकिन पिछली बाढ़ ने उनकी खुशियों को ग्रहण लगा दिया। आज भी पानी की आवाज आती है तो डर लगता है कि बाढ़ तो नहीं आ गई।
शीला देवी बताती हैं कि रोजाना अफवाह उड़ रही है कि पहाड़ों से टांगरी में पानी आने वाला है। अपना कीमती सामान बचा लो। आधी-आधी रात को उठकर छत से टांगरी को देखते हैं कि कहीं पानी तो नहीं आया गया। इससे जीना मुहाल हो गया है।
हौंसला प्रसाद बताते हैं कि टांगरी के एक तरफ ही तटबंध ऊंचा किया जा रहा है। उनके साथ भेदभाव हो रहा है। उनके घरों के नजदीक टांगरी के तट बंध को ऊंचा करने के लिए कोई भी कार्यवाही नहीं की जा रही।