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वर्तमान युग मे वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के कारण, समस्याएं एवं समाधान*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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वर्तमान युग मे वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं के कारण, समस्याएं एवं समाधान*
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इतिहास इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि प्राचीन काल में वृद्धों की स्तिथि अत्यंत उन्नत एवं सम्मानीय रही हैं। उनका समाज एवं परिवार में अलग वर्चस्व होता था। परिवार की समस्त बागडोर बड़ो के हाथों हुआ करती थी। परिवार का कोई भी फैसला उनकी सलाह व मशविरे के आधार पर होता था। बुजुर्ग के प्रभाव के कारण संयुक्त परिवार हुआ करते थे, वे परिवार के सदस्यों को एक धागे में बांधें रखते थे। परंतु भौतिकवादी युग में वृद्धों को नजरअंदाज करना समाज मे एक गम्भीर समस्या खड़ी कर रहा है। कहते हैं बुढ़ापा जीवन का अंतिम पड़ाव है और इसी पड़ाव में बुजुर्गों का जीवन असक्त हो जा है। क्योंकि कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। यही निर्भरता वृद्धों की समस्याओं की मूल कारण हैं। शारीरिक एवं आर्थिक दृष्टि से घुटन भरी जिन्दगी जीने को विवश हो जाती है। चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित। इस अवस्था में उनकी गाड़ी चरमराने लगती है, आजकल की युवा पीढ़ी से उनका तालमेल नहीं बैठ पाता है, जिससे उनकी समस्याओं में वृद्धि हो जाती है। विश्व में व्रद्ध समाज का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जिन्हें वृद्धावस्था में अब सामाजिक एवं आर्थिक असुरक्षा के कष्ट झेलते है। युवा वर्ग वृद्धों को कोई महत्व नहीं देता हैं।
आज हमारे देश में समस्याओं को बढ़ने के अनेक कारण है जो समाज की देन है। भारतीय समाज ऐसा समाज है जहां आज भी देखा जाता है लेकिन जैसे-जैसे पशिचमीकरण, भैतिकवाद का विकास हुआ वैसे-वैसे वृद्धों को उपेक्षा का शिकार होकर समस्याओं में घिर गये है। आज इन वृद्धों की समस्याओं के बहुत से कारण है, जो इस प्रकार है:-

1. संयुक्त परिवार का विघटन : संयुक्त परिवारों का अशांत व घुटन भरा माहौल और नगरों की ओर तेजी प्रस्थान करती हुर्इ युवा पीढ़ी को अपने वृजुर्गों के प्रति उदासीनता ने आज हमारे समाज में गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है। यह वही देश है कि जहां की संस्कृति में परिवार के बुजुर्गों को भगवान के समान माना जाता है और आज की पीढ़ी ने प्रथम पढ़ी नहीं होगी अगर पढ़ी होगी तो भी क्या आज के हर क्षण के बदलते परिवेश में इस प्रकार की आपेक्षा की जा सकती है। आज की नई युवा पीढ़ी न तो बड़ों के अनुशासन में रहना चाहती और न ही आदर सम्मान कारना चाहती है।

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