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सिंधी समाज के इष्ट देवता भगवान श्री झूलेलाल की भक्ति और आराधना का प्रमुख पर्व चालीहा महोत्सव आज 16 जुलाई 2023 से शुरू हुआ।

सिंधी समाज के इष्ट देवता भगवान श्री झूलेलाल की भक्ति और आराधना का प्रमुख पर्व चालीहा महोत्सव आज 16 जुलाई 2023 से शुरू हुआ। इसके अंतर्गत सिंधी समाज के लोग 40 दिन तक व्रत पूजन करेंगे। इस पर्व की शुरुआत पर आगरा में कई सिंधी समाजिक संस्थाओं द्वारा चालीहा महोत्सव का उदघाटन पूजन किया।
इन्ही कार्यक्रमो की श्रंखला में आज जय झूलेलाल सेवा संगठन द्वारा कमला नगर डी. ब्लॉक स्थित झूलेलाल मंदिर में भव्य पूजन का आयोजन किया गया। जिसमे समाज के प्रतिष्ठित लोगो द्वारा भगवान झूलेलाल का भव्य पूजन के समाज के लिए प्रार्थना की गई।
जय झूलेलाल सेवा संगठन के अध्यक्ष दीपक अतवानी ने बताया कि चालीहा महोत्सव 16 जुलाई से 40 दिन तक चलेगा, इसमें 40 दिन तक कई सामाजिक कार्यक्रम होंगे।
संगठन के महामंत्री राजीव नागरानी ने बताया कि सिंधी समाज में बहिराणा साहिब (झूलेलाल की ज्योति) का अत्यधिक सम्मान है। बहिराणा साहिब को भगवान झूलेलाल का स्वरूप माना गया है। उपाध्यक्ष विकास दुलानी, जितेंद्र कुकरेजा और शेरू साधवानी ने बताया कि समाज में कई स्थानों पर बहिराणा कार्यक्रमो का आयोजन बड़े जोर शोर से किया जाता है।कोषाध्यक्ष मनीष हरजानी और संगठनमंत्री कपिल वालेचा ने बताया कि जो लोग 40 दिन का व्रत नहीं कर सकते वो लोग 9 दिन का व्रत करके भगवान झूलेलाल से प्रार्थना करते हैं। मीडिया प्रभारी तरुण जुम्मानी और भरत हासानी ने बताया के जय झूलेलाल सेवा संगठन सदैव सिंधी समाज के लोगो की सेवा में तत्पर रहता है और चालीहा महोत्सव में तो अनेक दान और पूजन के कार्यक्रम संगठन द्वारा आयोजित किए जाते हैं।
उद्घाटन पूजन में नितिन सूखेजा, सुनील माखीजा, लक्की सावलानी, मनीष रामानी, किशोर थारवानी, कमल जुम्मानी, रोहित वाधवानी, आदि की उपस्थिति रही।

व्रत का संकल्प कठिन:

दीपक अतवानी ने बताया कि चालीहा का व्रत रखने वाले व्यक्ति को कई संकल्प लेने होते हैं। व्रतधारी मसाहार, व्यसन और सांसारिक भोगों से दूर रहकर भगवान झूलेलाल की आराधना करते हैं। दाढ़ी बाल न बनवाना और दिन में एक बार ही सात्विक भोजन करना ही व्रत का नियम है।

बहिराणा साहिब की स्थापना:

बता दें कि चालीहा महोत्सव में शहर भर के झूलेलाल मंदिरों में भगवान झूलेलाल के स्वरूप बहिराणा साहिब (झूलेलाल की ज्योति) की स्थापना की जाएगी। घर – घर सत्संग और पाठ आयोजन होंगे। बाद में बहिराणा साहिब का विर्सजन यमुना नदी के जल में किया जाएगा।

वरुण अवतार हैं भगवान झूलेलाल:
सिंधी समाज के इष्ट देवता के रूप में पूजे जाने वाले भगवान झूलेलाल वरुण देवता के स्वरूप हैं जो सिंध प्रांत (पूर्व में अखंड भारत) में सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगो की सुरक्षा के लिए अवतरित हुए थे। भगवान झूलेलाल स्वयं में जल देवता हैं

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