खट्टर सरकार व हरियाणा भाजपा संगठन में नही बन पा रहा तालमेल, वर्कर हताश और परेशान, जिला परिषद चुनावों में बुरी तरह हार का यह भी एक बड़ा कारण?*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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खट्टर सरकार व हरियाणा भाजपा संगठन में नही बन पा रहा तालमेल, वर्कर हताश और परेशान, जिला परिषद चुनावों में बुरी तरह हार का यह भी एक बड़ा कारण?*
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चंडीगढ़ ;- ग्राउंड रिपोर्ट की बात करे तो हरियाणा भाजपा वर्कर सरकार और संगठन से दूरी बनाता हुआ दिख रहा है। वर्करों को यह बात बहुत आघात पहुंचा रही है कि बाहर से आए हुए नेताओं को पार्टी में तरजीह देने के साथ साथ उन्हें महत्वपूर्ण पद भी दिए जा रहे हैं। अभी हाल ही में शामिल हुए संजय छोकर अनिल धंतोली जैसों को प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बना दिया गया। जिन धरती से जुड़े कार्यकर्ताओं के कारण प्रदेश में दो बार भाजपा की सरकार बनी वह आज भी दरिया बिछाने और भीड़ इकट्ठी करने के काम करने के लिए माने जाते हैं। इसी कारण से जो भाजपा का बेस केडर था वह अब पार्टी से दूर होता दिखाई दे रहा है। आज पार्टी वर्कर की सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब पार्टी वर्कर मंत्रियों के पास काम करवाने के लिए जाता है तो मंत्री वर्कर के काम करने के बजाए टालमटोल करके उसको वापस भेज देता है। वह संगठन में शिकायत करता है तो सुनी नही जाती। कार्यकर्ता तो बेचारा कार्यकर्ता ही होता है। संगठन के पदाधिकारी सुनते नहीं सरकार काम करती नहीं तो इसका परिणाम यह होगा कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा पार्टी का हश्र हिमाचल विधानसभा के परिणाम की तरह होगा? पिछली सरकार में मुख्यमंत्री खट्टर ने मंत्रियों की प्रदेश पार्टी कार्यालय में जाने की ड्यूटी लगाई थी। सभी मंत्री किसी न किसी दिन पार्टी कार्यालय में 2 घन्टे बैठकर कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुनेगा वह आदेश भी हवा हवाई हो गए। केंद्रीय नेतृत्व ने यह भी आदेश दिए थे कि मंगल और बुध को सभी मंत्री हरियाणा सिविल सचिवालय में जन शिकायतों को सुनने के लिए जरूर उपस्थित रहेंगे तथा कार्यकर्ताओं को मिलेंगे। यह आदेश भी रद्दी के टोकरे में चला गया। हकीकत बात यह है मुख्यमंत्री खट्टर और प्रदेशाध्यक्ष धनखड को आपसी सामंजस्य बनाकर पार्टी वर्करों की पीड़ा को समझना चाहिए जो की सरकार व संगठन के लिए बेहतर होगा और आगामी विधानसभा चुनावों में कोई विपरीत असर नही पड़ेगा।