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रोजगार देने मामले में लापरवाह हरियाणा सरकार, सरकारी विभागों में 1.82 लाख पद खाली होते हुए भी हरियाणा का बेरोजगार युवा हताश*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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रोजगार देने मामले में लापरवाह हरियाणा सरकार, सरकारी विभागों में 1.82 लाख पद खाली होते हुए भी हरियाणा का बेरोजगार युवा हताश*
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चंडीगढ़ ;- हरियाणा प्रदेश में सरकारी विभागों में कर्मचारियों के 41% पद खाली हैं। इसके बावजूद साल 2022 के 9 माह में सिर्फ 6010 पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी की गई है। यही नहीं, हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (एचएसएससी) ने पिछले साल फरवरी से अब तक कोई भर्ती नहीं निकाली। इस कारण सरकारी विभागों में 1,82,497 पद रिक्त हैं। नई भर्ती न होने से युवा बेरोजगार हैं और कार्यरत कर्मचारियों पर वर्कलोड है। लोगों के काम भी समय पर नहीं हो रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आम लोगों से जुड़े पुलिस, जन स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, पशुपालन जैसे विभागों में कर्मचारियों की सबसे ज्यादा कमी है। सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा 37% बेरोजगारी दर हरियाणा में है, जबकि सरकार ने पदों के नए निर्धारण में 13,462 पदों की कटौती कर दी है। अब 4.58 लाख में से 4.45 लाख पद रहेंगे। सीईटी के कारण अटकी भर्तियां भी जल्द होने वाली नहीं है, क्योंकि नवंबर में सीईटी के बाद रिजल्ट व डेटा तैयार करने में डेढ़ से 2 माह लगना तय है। सूत्रों की मानें तो एचएसएससी अगले साल फरवरी में ग्रुप-सी की भर्ती की तैयारी शुरू करेगा। ग्रुप-सी के 32 हजार पदों पर चयन जून तक ही पाएंगे। वहीं, ग्रुप-डी के 22 हजार पदों के लिए सीईटी का अभी समय ही तय नहीं हुआ है। प्रदेश में भ्रष्टाचार पर वार करने वाले विजिलेंस विभाग में 12 पदों में से एक नियमित कर्मचारी है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो में 533 में 497 पद रिक्त हैं। हाउसिंग फॉर ऑल में 23 में से 22 और महिला एवं बाल विकास विभाग में 2481 में से 1177 पद खाली हैं। खेलों में सबसे अग्रणी हरियाणा के खेल विभाग में 2378 पदों में 1443 रिक्त हैं। डॉक्टर बनाने वाले मेडिकल एजुकेशन में 4335 पदों में 2837 रिक्त हैं। 9 माह में एचपीएससी ने 51 और एचएसएससी ने 5160 पदों की भर्ती का परिणाम जारी किया है। वहीं, ग्रुप-सी और डी के लिए अनिवार्य कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) के लिए 11.36 लाख युवाओं ने आवेदन किया हुआ है। ग्रुप डी के 22 हजार पदों के लिए विभागों ने एचएसएससी को 4 माह में भी सिफारिश नहीं की गई। इसके कारण ग्रुप-डी के लिए सीईटी का शेड्यूल भी तय नहीं हुआ है। सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा का कहना है कि 80 के दशक में प्रदेश की आबादी सवा करोड़ थी, तब भी साढ़े चार लाख पद थे। अब आबादी तीन करोड़ के करीब पहुंच गई है तो कर्मचारियों की संख्या 10 लाख होनी चाहिए, लेकिन सरकार भर्ती नहीं कर रही। कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान हैं। वर्कलोड बढ़ रहा है। लोगों के काम न होने से उनका गुस्सा झेलना पड़ रहा है। नवंबर में सीईटी के बाद रिकॉर्ड आएगा। अगले साल ग्रुप-सी की भर्ती प्रक्रिया शुरू करेंगे। ग्रुप-डी के सभी पदों का ब्योरा नहीं आया है। इसके मिलने पर सीईटी कराएंगे।
(साभार दैनिक भास्कर)

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