Tuesday, September 17, 2024
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हरियाणा पंजाब तथा एनसीआर सहित उत्तरी राज्यों में करवट लेगा मौसम, 26 से 29 दिसम्बर तक बारिश और ओलावृष्टि की होने की संभावनाएं*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा पंजाब तथा एनसीआर सहित उत्तरी राज्यों में करवट लेगा मौसम, 26 से 29 दिसम्बर तक बारिश और ओलावृष्टि की होने की संभावनाएं*
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देश के उत्तरी मैदानी राज्यों हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और एनसीआर-दिल्ली के इलाको में मौसम एक बार फिर करवट लेने वाला है। 26 से 29 दिसम्बर तक इन मैदानी राज्यों में बारिश होने और सीमित स्थानों पर ओलावृष्टि तथा उत्तरी पर्वतीय इलाकों में भारी मात्रा में हिमपात होने की संभावनाएं बन रही हैं। राजकीय महाविद्यालय नारनौल के पर्यावरण क्लब के नोडल अधिकारी डॉ. चंद्रमोहन ने बताया कि उत्तरी पर्वतीय इलाकों से लगातार एक के बाद एक सक्रिय मौसम प्रणाली वैस्टर्न डिस्टरबेंस का प्रभाव जारी है, जिनका उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवेश हो रहा है। जिसकी वजह से पंजाब और राजस्थान व उत्तर पश्चिमी हरियाणा पर चक्रवातीय सरकुलेशन बन गया है, और पवनों की दिशा में बदलाव हो गया है, व पवने दक्षिणी पूर्वी हो गई है, और उनकी गति 10 से 15 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई है। दक्षिणी पूर्वी नमी वाली पवनों और पछुआ पवनों (वैस्टर्न डिस्टरबेंस) के मिलन से मैदानी राज्यों में विस्तृत इलाकों में 26 से 29 दिसम्बर तक विशेषकर हरियाणा,एनसीआर-दिल्लीराजस्थान, पंजाब में हल्की से सामान्य बारिश, सीमित स्थानों पर ओलावृष्टि और पर्वतीय क्षेत्रों में भारी मात्रा में हिमपात होने का दौर शुरू होने की संभावनाएं बन रही है। 26 दिसम्बर की सुबह से हरियाणा में विशेषकर सिरसा, हिसार, फतेहाबाद भिवानी, कैथल, कुरुक्षेत्र, रोहतक, करनाल, पानीपत, सोनीपत, और दोपहर तक महेंद्रगढ़ नारनौल, रेवाड़ी, पलवल, फरीदाबाद आदि जिलों और एनसीआर दिल्ली आदि पर हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बन रही है। यह हल्की बारिश फसलों के लिए सोना साबित होगी। पुरानी कहावत है “माह पौह को झारों चाहे फागून बरसो सारो” यानि दिसंबर और जनवरी में हल्की बारिश फसलों के लिए वरदान साबित होती है और सोना उगलती है और मार्च (फागून) माह में पूरे महीने बारिश हो उसका कोई फायदा नहीं होता। 30 दिसंबर से आसमान साफ हो जाएगा और पवनों की दिशा उत्तरी हो जाएगी जिसकी वजह से मैदानी राज्यों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज होगी और नमी बढ़ने की वजह से कोहरा की मात्रा में बढ़ोतरी होगी और नया वर्ष का आगाज कड़ाके की ठंड से होगा।

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