नारनौल जेल रिश्वतकांड में सुपरिटेंडेंट और डिप्टी सुपरिटेंडेंट खेल का हिस्सा, सरकारी गवाह बने वार्डर ने खोली पोल!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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नारनौल जेल रिश्वतकांड में सुपरिटेंडेंट और डिप्टी सुपरिटेंडेंट खेल का हिस्सा, सरकारी गवाह बने वार्डर ने खोली पोल!*
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रेवाडी ;- हरियाणा के नारनौल की नसीबपुर जेल में रिश्वत कांड की परतें धीरे-धीरे खुलनी शुरू हो गई हैं। जेल में बंदियों से रिश्वत का यह कोई नया केस नहीं, बल्कि काफी समय से इसी तरह की वसूली हो रही थी। इसका खुलासा जेल के ही वार्डर विवेक ने सरकारी गवाह बनकर कोर्ट के सामने किया है। इसकी आंच अब जेल सुपरिटेंडेंट तक पहुंच गई है। डिप्टी सुपरिटेंडेंट कुलदीप को तो बकायदा FIR में नामजद भी कर लिया है। वहीं 1 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए वार्डर राजन और गजे सिंह को विजिलेंस टीम ने कोर्ट में पेश कर 2 दिन के रिमांड पर लिया है। रिमांड के दौरान दोनों से ओर भी बड़े खुलासा होने की उम्मीद है।
बता दें कि जेल अधीक्षक अनिल कुमार पर पहले भी कई गंभीर आरोप लग चुके है, लेकिन 9 दिसंबर को विजिलेंस ब्यूरों की टीम द्वारा 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए नारनौल जेल के वार्डर राजन की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर जेल अधीक्षक की भूमिका सामने आई है। वार्डर राजन को जेल के अंदर ही बनी गार्द पोस्ट से रंगे हाथों पकड़ा था। रिश्वत जेल वार्डर गजे सिंह के कहने पर ली गई थी। उसके बाद गजे सिंह को भी विजिलेंस ने धर दबोचा। रिश्वत की यह रकम जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर विक्रम उर्फ पपला गुर्जर के खास गुर्गे संदीप उर्फ सिंधिया के भाई हंसराज से ली गई थी। संदीप उर्फ सिंधिया ने सितंबर 2017 में अपने साथी पपला गुर्जर को छुड़ाने के लिए महेन्द्रगढ़ कोर्ट में पुलिस वाले का गोली मारकर मर्डर कर दिया था। जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। विजिलेंस ने पकड़े गए वार्डर राजन से पूछताछ की तो इस रिश्वतकांड में शामिल आरोपियों की लिस्ट लंबी होती चली गई। जेल सुपरिटेंडेंट से लेकर डिप्टी सुपरिटेंडेंट तक का नाम जुड़ गया। वहीं जेल में कैंटीन का कामकाज देख रहे वार्डर विवेक का केस में नाम सामने आया तो उसने सरकारी गवाह बनकर पूरी की पूरी परत से ही पर्दा उठा दिया।
विवेक बना रिश्वतकांड की अहम कड़ी
विजिलेंस के सूत्रों के अनुसार, विवेक ने JMIC अभिषेक वर्मा की कोर्ट में अपने कलमबंद बयान दर्ज कराते हुए में पूरे खेल से पर्दा उठाया। विवेक ने बताया कि पहले भी जेल सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार और डिप्टी सुपरिटेंडेंट कुलदीप पैसे वसूलते थे। दीपावली से 1 दिन पहले यानी 3 नवंबर की रात को हंसराज जेल में स्थित कार्यालय में बुलाया गया था। उस समय एक थैले में से 1 लाख 30 हजार रुपए निकालकर उसे मिठाई लाने के लिए दिए गए। उस थैले में और भी पैसे थे। जब हंसराज वहां से चला गया तो वह पैसे वापस लेकर मुझे वहां से भेज दिया गया। वार्डर विवेक पिछले 5 साल से नारनौल जेल में कैंटीन का काम देख रहा है।
विवादित रहा जेल सुपरिटेंडेंट का सफर
नारनौल की नसीबपुर के जेल सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार के पास रेवाड़ी जेल का भी अतिरिक्त चार्ज है। सुपरिटेंडेंट अनिल कुमार की जहां भी पोस्टिंग रही उनके साथ विवाद जुड़ते रहे। ये वही अनिल कुमार है, जिनका नाम एसआरएस ग्रुप के जिंदल से कथित तौर पर जेल में उगाही करने में जुड़ा था। बताया जा रहा है कि गुरुग्राम में हुई करोड़ों रुपए की चोरी के आरोपी डॉ. सचिन्द्र जैन उर्फ नवल के साथ भी अनिल कुमार से अच्छे संबंध है। जेल अधीक्षक अनिल कुमार का नाम गुरुग्राम के छैलू हत्याकांड में भी उछला था, बाकायदा उस समय नार्को टेस्ट भी हुआ था। अनिल कुमार के खिलाफ फरीदाबाद में दुष्कर्म के आरोप की जांच भी लंबित बताई जा रही है। आरोप जेल में बंद एक महिला बंदी ने लगाए थे।