Saturday, July 27, 2024
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हरियाणा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी कार्यकर्ताओं में बगावत रोकने व भाजपा नेताओ पर दबाव बनाने के लिए बनाये चेयरमैन?

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी कार्यकर्ताओं में बगावत रोकने व भाजपा नेताओ पर दबाव बनाने के लिए बनाये चेयरमैन?
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चंडीगढ ;- कहावत है राजनीति में ना कोई अपना है न कोई पराया। परिस्थितियों के अनुसार संबंध बनते और बिगड़ते हैं। यदि हरियाणा सियासत की बात की जाए तो यह बात आज के दौर में भाजपा और जेजेपी पार्टी पर पूरी तरह लागू होती है। क्योंकि चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे को कोस कोस कर सोते थे विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो मजबूरी वश समझौता करते हुए दोनों दल एक हो गए। अब यदि बात स्वार्थ की की जाए बत्ती वाली गाड़ी न मिलने के कारण जेजेपी के नेताओं और विधायकों का सब्र टूटने की तरफ बढ़ रहा था। इससे पहले कि सब्र टूटता उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भाजपा नेताओं पर दबाव बनाने के लिए और अपने विधायकों पर पकड़ जारी रखने के लिए मुख्यमंत्री से कूटनीति करके अपने पांच चेयरमैन बनवा लिए। जिससे जेजेपी विधायकों में बगावत होने में कुछ फर्क पड़ गया! परंतु अभी भी जेजेपी में बगावत पूरी तरह थमी नहीं है?क्योंकि इनकी पार्टी के एक विधायक ने तो चेयरमैन का पद लेने से ही मना कर दिया था और कुछ विधायक सिर्फ मंत्री पद ही पाना चाहते हैं। इसलिए जेजेपी कार्यकर्ता अभी अशांत दिखाई दे रहा है। परंतु एक बात तो जेजेपी ने साफ कर दी है कि वह हरियाणा सरकार में पिछलग्गू पार्टी ही नहीं बल्कि सरकार में पूरी हैसियत व दमखम भी रखती है। जेजेपी के चेयरमैन बनने से सबसे ज्यादा यदि किसी दल के कार्यकर्ताओं को दुख हुआ है तो वह भाजपा के कार्यकर्ता है क्योंकि वह भी आस लगाए बैठे हैं की उन्हें भी कब चेयरमैन या बत्ती वाली गाड़ी मिलेगी। ऐसा सुनने को मिल रहा है यदि चेयरमैन नहीं बनाए जाते तो शीघ्र ही जेजेपी के विधायक कोई ना कोई राजनीतिक ड्रामा रच सकते थे! जिस कारण दुष्यंत और उसकी पार्टी को जबरदस्त नुकसान हो सकता था। जेजेपी ने मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव व शाहबाद से पूर्व विधायक कृष्ण बेदी के प्रभाव को कम करने के लिए विधायक रामकरण काला को भारी भरकम महकमे के चेयरमैन बना दिया। ऐसा भी सुनने में आ रहा है कि पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला का राजनीतिक प्रभाव कम करने व जेजेपी के उग्र विधायक देवेन्द्र बबली को काबू रखने के लिए जेजेपी के कोटे से मंत्री बनाया जा सकता हैं। इन सब बातों से एक बात साफ जाहिर हो जाती है की कोई भी राजा अपनी कुर्सी बचाये रखने के अपने किसी भी प्यारे सैनिक या सलाहकार का बलिदान दे सकता है। जैसे कि सीएम खट्टर ने शाहबाद विधायक रामकरण काला को चेयरमैन बना कर अपने राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी को शाहबाद हल्का व हरियाणा की राजनीति में कमजोर करके बेदी का बलिदान कर दिया?

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