ज्यादा चीनी खाने वाले लोगों को मधुमेह के साथ ही कैंसर होने का भी खतरा
जर्मनी : आमतौर पर लोगों को यही जानकारी होती है कि चीनी या शक्कर का ज्यादा सेवन करने से मधुमेह और मोटापा बढ़ता है. लेकिन एक शोध से पता चला है कि चीनी के अधिक सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ता है. शोध से पता चला है कि कैंसर की कोशिकाओं को तेजी से सक्रिय करने में कारगर चीनी कैंसर मरीजों के लिए नुकसानदायक है. तीन डच विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने 2008 में इस दिशा में अध्ययन शुरू किया.
शोधकर्ता नौ साल के शोध के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि चीनी से कैंसर की कोशिकाएं सक्रिय होती हैं और ट्यूमर तेजी से बढ़ता है. शोध के दौरान बारबर्ग प्रभाव का गहन अध्ययन किया गया. दरअसल बारबर्ग एक जर्मन वैज्ञानिक थे जिन्होंने 1920 में अपने एक अध्ययन में कहा था कि कैंसर की कोशिकाएं चीनी या ग्लाइकोसिस के कारण अधिक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं. रिपोर्ट को बारबर्ग प्रभाव के नाम से जाना जाता है.
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शोध में पाया गया कि किसी भी स्वस्थ ऊतक के मुकाबले ट्यूमर चीनी को सबसे अधिक मात्र में लेक्टिक एसिड में परिवर्तित करता है. अध्ययन के नतीजों के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चीनी का अधिक सेवन कैंसर के ट्यूमर को बढ़ाने का मुख्य कारण हो सकता है. यह शोध नेचर कम्यूनिकेशन जर्नल में प्रकाशित हुआ. वैज्ञानिकों के मुताबिक चीनी कैंसर ट्यूमर को न केवल बढ़ाती है बल्कि इसके इलाज को भी मुश्किल बना देती है.
शोधकर्ताओं ने पाया कि चीनी के कारण अगर कैंसर का ट्यूमर बहुत अधिक बढ़ी हुई अवस्था में होता है तो फिर इसके इलाज में भी काफी कठिनाई होती है. दुनियाभर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में भी इनमें तेजी से इजाफा हुआ है. कैंसर रोगी को कीमो थेरैपी का सहारा लेना पड़ता है साथ ही असहनीय पीड़ा से भी वह गुजरता है. कैंसर का ट्यूमर एक आकार तक बढ़ने के बाद ज्यादातर मरीजों में ठीक नहीं हो पाता है.
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रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई रिसर्च के बाद कैंसर के मरीजों के खानपान को नियमित किए जाने में काफी मदद मिलेगी. इससे बारबर्ग प्रभाव, ट्यूमर के बढ़ने और कैंसर के बीच के संबंध को समझना काफी आसान हो जाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक शोध में सिद्ध हो गया है कि चीनी को भोजन के रूप में ग्रहण करने से कैंसर की कोशिकाओं का तेजी से विकास होता है. इस अध्ययन से कैंसर की रोकथाम के तरीकों के बारे में भी जानकारी मिलेगी और जागरूकता फैलेगी.