Thursday, September 12, 2024
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रणबीर गंगवा के इनैलो छोड़ने के बाद खतरे में पड़ी नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला की कुर्सी, क्या अभय चौटाला नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहेंगे*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज़,
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रणबीर गंगवा के इनैलो छोड़ने के बाद खतरे में पड़ी नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला की कुर्सी, क्या अभय चौटाला नेता प्रतिपक्ष के पद पर बने रहेंगे*
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चंडीगड़ ;- इनैलो पार्टी के विधायक रणबीर गंगवा के भाजपा में शामिल होने से क्या अभय चौटाला विपक्ष के नेता पद पर बने रहेंगे, यह सवाल हरियाणा की जनता की और राजनीति के अखाड़े में चर्चा का विषय बना हुआ है। गत दिवस हरियाणा में हिसार ज़िले के नलवा विधानसभा हलके से इनेलो पार्टी के मौजूदा विधायक रणबीर सिंह गंगवा भाजपा में शामिल हो गए हैं परन्तु उनके द्वारा अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा नहीं दिया गया है| अगर वो ऐसा करते हैं, तो इससे सदन में इनेलो पार्टी के विधायकों की सदस्य संख्या मौजूदा 17 से एक और घटकर 16 रह जायेगी जो कि कांग्रेस विधायकों की एक समान मौजूदा संख्या 17 से एक कम हो जायेगी जिससे कांग्रेस पार्टी नेता सदन में प्रतिपक्ष के पद के लिए विधानसभा स्पीकर के समक्ष अपना दावा पेश कर सकती है। अगर गंगवा के द्वारा ऐसा नहीं किया जाता, तो उनके विरूद्ध इनेलो पार्टी का विधायक रहते हुए भाजपा में शामिल होने पर विधानसभा स्पीकर के समक्ष दल-बदल विरोधी कानून के तहत याचिका दायर कर गंगवा को विधानसभा सदस्यता से अयोग्य करने की गुहार भी की जा सकती है। ज्ञात रहे कि हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला की इनेलो पार्टी में पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विभाजन के फलस्वरूप, जिससे सदन में उनके तत्कालीन इनेलो विधायक दल में से चार विधायक पहले ही बागी हो गए एवं उन्होने इनेलो में टूट के बाद बनायीं गयी | जननायक जनता पार्टी-(जे.जे.पी.)-जजपा ज्वाइन कर ली, इससे भी अभय चौटाला के सदन में नेता प्रतिपक्ष के पद पर कायम रहने पर गत माह फरवरी में बुलाये गए बजट सत्र में भाजपा के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर हूडा द्वारा गंभीर प्रश्न उठाये गए थे। क्योंकि इनेलो और कांग्रेस दोनों के विधायकों की सदस्य संख्या एक सामान 17 हो गयी। इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक वकील से जब इस विषय के बारे पूछा तो उन्होंने बताया कि सदन में विपक्ष के नेता का दर्जा माननीय स्पीकर महोदय द्वारा प्रदान किया जाता है| हालांकि विपक्ष के नेता के लिए अलग रूप से हरियाणा विधानसभा द्वारा कोई कानून नहीं बनाया गया है। उनके पद का दर्जा वेतनमान एवं अन्य सुविधाओं में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के समकक्ष रखा गया है। हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित किसी भी कानून में सदन में विपक्षी दलों के विधायकों की संख्या एक सामान होने पर सिक्का उछालकर निर्णय लेने का कोई प्रावधान नहीं है जैसा कि प्रदेश के पंचायती राज एवं नगर निकायों की संस्थाओ के कानूनों में व्याप्त है. जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला द्वारा कुछ समय पहले ऐसा करने का सुझाव दिया गया था। एडवोकेट बताया कि चूँकि अक्टूबर,2014 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावो में इनेलो पार्टी को 19 सीटें प्राप्त हुई थी जो भाजपा की तत्कालीन 47 की संख्या के बाद सबसे अधिक थी, इसलिए इनेलो विधायक दल के नेता अभय चौटाला को नेता प्रतिपक्ष का पद स्पीकर महोदय द्वारा दिया गया| इसके विपरीत कांग्रेस पार्टी को उन चुनावो में 15 सीट प्राप्त हुई हालाकि वर्ष 2016 में हरियाणा जनहित कांग्रेस के दो विधायको- कुलदीप बिश्नोई एवं रेणुका बिश्नोई द्वारा अपनी पार्टी का कांग्रेस में विधिवत विलय करने के बाद सदन में कांग्रेस के विधायको की संख्या 17 पहुँच गयी थी।अब दोनों दलों की संख्या बराबर होने के बाद देखते है कि विधानसभा अध्यक्ष क्या निर्णय लेते है।

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