चंडीगढ़ प्रशासन का सिटी ब्यूटीफुल को पूरी तरह स्लम फ्री बनाने का प्रयास / एक और कॉलोनी पर चल सकता है बुलडोजर / 12 एकड़ जमीन पर बने अवैध 800 मकान होंगे ध्वस्त!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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चंडीगढ़ प्रशासन का सिटी ब्यूटीफुल को पूरी तरह स्लम फ्री बनाने का प्रयास / एक और कॉलोनी पर चल सकता है बुलडोजर / 12 एकड़ जमीन पर बने अवैध 800 मकान होंगे ध्वस्त!*
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चंडीगढ़ ;- प्रशासन के अथक प्रयास से चंडीगढ़ को पूरी तरह स्लम फ्री बनाया जा रहा है। शहर की अवैध कॉलोनियों के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है। 10 से 12 एकड़ में फैली धनास की कच्ची कॉलोनी को प्रशासन ने दिवाली के बाद हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस कॉलोनी में लगभग 800 मकान बने हैं। यह कॉलोनी किसानों, जमींदारों और शामलात जमीन पर है। संपदा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, दिवाली के बाद कॉलोनी हटाने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे।
प्रशासन के संपदा विभाग ने 20 साल से लंबित इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। डीसी निशांत कुमार यादव ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी, कानून गो और अतिक्रमण हटाओ दस्ता को इस पर डेमोलिशन ड्राइव का एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए हैं। संपदा विभाग के नायब तहसीलदार के मुताबिक, कृषि और शामलात जमीन पर बनी इस कॉलोनी में रहने वाले लोगों को अगले हफ्ते से नोटिस देना शुरू कर दिया जाएगा। डीसी निशांत कुमार यादव ने इलाका एसडीएम और तहसीलदार को उन किसानों और जमींदारों को भी नोटिस जारी करने को कहा है, जिनकी जमीन पर यह कॉलोनी बसी है। संपदा विभाग के अनुसार यह 10 से 12 एकड़ जमीन करीब 7 से 8 किसानों व जमींदारों की है। इन सभी को जगह खाली करने के लिए नोटिस भेजे जाएंगे। डीसी यादव ने बताया कि दिवाली तक तैयारी पूरी कर ली जाएगी और उसके बाद सेक्टर-38 वेस्ट की शाहपुर कॉलोनी की तरह ही सूचना जारी कर कॉलोनी खाली करवाई जाएगी। जिन किसानों और जमींदारों की जमीन पर धनास कच्ची कॉलोनी बनी है, वे अपनी जमीन प्रशासन को देने को तैयार हैं लेकिन वे लैंड पूलिंग पॉलिसी की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन को पंजाब और हरियाणा की नीतियों को देखते हुए चंडीगढ़ के लिए भी एक अच्छी नीति लानी चाहिए ताकि वे अपनी जमीनें लैंड पूलिंग में दे सकें। किसानों का तर्क है कि यह जमीन खेती के लिए उपयोगी नहीं है इसलिए उन्होंने लोगों को केवल किराये पर अस्थायी निर्माण कर रहने की अनुमति दी है। उधर, स्थानीय पार्षद और सीपीआई (एमएल) लिब्रेशन के सदस्य ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय पार्षद कुलजीत सिंह संधू ने कहा कि कॉलोनी हटाने से पहले प्रशासन को किसानों और जमींदारों के लिए लैंड पूलिंग पॉलिसी लानी चाहिए। उन्होंने 2013 की भूमि अधिग्रहण नीति का हवाला देते हुए कहा कि उसमें भी जमीन मालिक को पुनर्वास के तहत जमीन का 20 प्रतिशत हिस्सा उपलब्ध कराने की बात कही गई है। उनके अनुसार, यह किसानों के अधिकारों को दबाने जैसा है क्योंकि यह जमीन किसानों की निजी है और यहां पक्के मकान नहीं हैं।
सीपीआई (एमएल) लिब्रेशन के केंद्रीय कमेटी मेंबर कंवलजीत सिंह ने कहा कि धनास की कच्ची कॉलोनी अवैध नहीं है बल्कि किसानों की निजी जमीन पर किराए के अस्थायी शेड्स हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का 2022 तक सभी को घर देने का वायदा पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने प्रशासन पर अदालत को झूठ बताने का आरोप लगाया और कहा कि यहां किसी को रिहैबिलिटेशन के तहत नहीं लाया गया। उन्होंने मांग की कि जब तक यह जमीन अधिगृहीत नहीं हो जाती और जरूरतमंद परिवारों को आवास नहीं मिल जाता तब तक कॉलोनी को न गिराया जाए।

