आयुष हॉस्पिटल सेक्टर-9 पंचकूला की डिस्पेंसरी में मरीजों से बदसलूकी की शिकायतें / बाहर की दवाएं लिखने का आरोप!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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आयुष हॉस्पिटल सेक्टर-9 पंचकूला की डिस्पेंसरी में मरीजों से बदसलूकी की शिकायतें / बाहर की दवाएं लिखने का आरोप!*
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पंचकूला :- सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरी में लोगों को निःशुल्क और सुलभ इलाज उपलब्ध कराने की व्यवस्था होती है, लेकिन आयुष हॉस्पिटल सेक्टर-9 की डिस्पेंसरी में स्थिति कुछ और ही नजर आ रही है। मरीजों का आरोप है कि यहां के डॉक्टर और फार्मासिस्ट मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वे किसी अस्पताल में नहीं, बल्कि किसी थाने में आ गए हों।
मरीजों के साथ रूखा व्यवहार
इलाज के लिए आने वाले लोगों का कहना है कि डॉक्टर और फार्मासिस्ट न केवल अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं, बल्कि उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनने के बजाय उन्हें टालने की कोशिश करते हैं। कई मरीजों ने शिकायत की है कि उन्हें दवा लेने के लिए घंटों इंतजार कराया जाता है और जब वे सवाल पूछते हैं तो उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।सबसे गंभीर आरोप यह है कि डिस्पेंसरी में उपलब्ध दवाओं के बावजूद डॉक्टर मरीजों को बाहर की मेडिकल शॉप से दवा खरीदने के लिए पर्चियां लिख रहे हैं। मरीजों का मानना है कि यह किसी बड़े कमीशन नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जहां कुछ चुनिंदा मेडिकल स्टोर्स को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
मरीजों की बढ़ती नाराजगी
आए दिन बढ़ती शिकायतों से मरीजों में गहरी नाराजगी है। एक मरीज ने बताया, “डॉक्टर ने मुझे बाहर से दवा लेने को कहा, जबकि वही दवा अस्पताल की फार्मेसी में उपलब्ध थी। जब मैंने सवाल किया तो मुझे डांटकर बाहर निकाल दिया गया।”
यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकारी अस्पताल में इस तरह की शिकायतें आई हैं। सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर संज्ञान लेगा? क्या मरीजों को उनके अधिकारों के अनुसार सही और सम्मानजनक इलाज मिलेगा? सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार बेहद चिंताजनक है। यदि जल्द ही इस मामले की जांच नहीं की गई तो यह आम जनता के स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है। प्रशासन को चाहिए कि इस मुद्दे पर सख्त कार्रवाई करे और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए।