बदले समीकरणों के कारण हरियाणा लोकसभा चुनाव होंगे बड़े रोचक,अचंभित करने वाले होंगे लोकसभा परिणाम, करनाल विधानसभा चुनाव पर रहेगी पूरे प्रदेश की निगाहें!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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बदले समीकरणों के कारण हरियाणा लोकसभा चुनाव होंगे बड़े रोचक,अचंभित करने वाले होंगे लोकसभा परिणाम, करनाल विधानसभा चुनाव पर रहेगी पूरे प्रदेश की निगाहें!*
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यदि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाय तो ज्यादा बेहतर होगा। क्योकि इस बार के प्रत्याशी अपना झंडा ओर क्षेत्र बदल चुके हैं। इस बार हरियाणा की राजनीति का चेहरा और फिजा बिलकुल बदली हुई है। 2019 में भाजपा द्वारा बिछाई गई बिसात के कई मोहरे पाला बदलकर दूसरे दल का झंडा थाम चुके हैं। 2019 में एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी ताल ठोक चुके कई दिग्गज नेता आज एक ही दल में रहकर सुर में सुर मिला रहे हैं। प्रदेश की दस लोकसभा सीटों में से कहीं पर पार्टी ने चेहरा बदल दिया है, तो कहीं पर चेहरों ने पार्टी ही बदल ली है। अभी भी कई नेता मैदान बदलने की तैयारी में हैं। आगामी कुछ दिनों में राजनीति की यह धुंधली तस्वीर पूरी तरह साफ हो जाएगी।
ताजा घटनाक्रम के अनुसार सिरसा की बात करें तो यहां पर भाजपा ने मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर कई दल बदल चुके डॉ. अशोक तंवर को मैदान में उतारा है। तंवर पहले भी यहीं से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके है। अब तंवर पांच साल बाद कमल निशान लेकर जनता के बीच लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार वह अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस के प्रत्याशी से मुकाबला करेंगे। कुछ ऐसे ही समीकरण हिसार के हैं। यहां से मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं और वह इस बार भाजपा को टक्कर देते नजर आ सकते हैं। पिछली बार कांग्रेस के प्रत्याशी रहे भव्य बिश्नोई अब भाजपा की टिकट पर आदमपुर से विधायक बन चुके हैं। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला कुछ दिन पहले तक सरकार में गठबंधन के दम पर डिप्टी सीएम थे, वह 2019 के लोकसभा चुनाव में हिसार से जजपा के प्रत्याशी थे और हार का सामना करना पड़ा। इस बार जजपा अभी तक लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर कोई फैसला नहीं कर पाई है। दुष्यंत यहां से दोबारा मैदान में उतरेंगे या नहीं, अभी तय नहीं है। करनाल से मौजूदा सांसद संजय भाटिया की नेगेटिव रिपोर्ट मिलने के बाद भाजपा ने उनका टिकट काट दिया और इस सीट पर दोबारा कमल खिलाने की जिम्मेदारी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी है। कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यहां पर भी चेहरा बदलने की तैयारी कर ली है। यहां से नवीन जिंदल की पत्नी शालु जिंदल को भाजपा का टिकट मिलने की चर्चा चल रही है। नवीन जिंदल कांग्रेस के टिकट पर कुरुक्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं।
इसके अलावा नवीन जिंदल के पिता ओपी जिंदल और मां सावित्री जिंदल भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। 2019 में जयभगवान शर्मा डीडी ने कुरुक्षेत्र से जजपा की टिकट पर ताल ठोकी थी, लेकिन अब वह भाजपा में आ चुके हैं।
सोनीपत में पिछली बार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक से हार गए थे। जजपा नेता दिग्विजय चौटाला भी यहां कोई करिश्मा नहीं दिखा पाए। इस बार भाजपा यहां से चेहरा बदलने की तैयारी में है।
फरीदाबाद से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अवतार सिंह भड़ाना एक बार फिर भाजपा में जाने की जुगत में जुटे हैं। वहीं, पिछली बार यहां से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी नवीन जयहिंद अब राजनीति से किनारा कर चुके हैं। हालांकि, चर्चा है कि इस बार भाजपा उनको रोहतक से टिकट दे सकती है।
2019 के चुनाव में हुड्डा के गढ़ रोहतक में कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र हुड्डा को भाजपा के डॉ. अरविंद शर्मा ने हराया था, लेकिन इस बार अभी तक भाजपा ने डॉ. अरविंद शर्मा को टिकट नहीं दी है। पिछली बार भी ऐन मौके पर उनको टिकट दी गई थी और वह कांग्रेस जाने की तैयारी कर चुके थे। इस बार अगर भाजपा ने उनको टिकट नहीं दी तो वह कांग्रेस की टिकट पर करनाल से दोवा ठोक कर समीकरण बिगाड़ सकते हैं। हालांकि, अटकलें लग रही हैं कि भाजपा उनको सोनीपत भेज सकती है।
भिवानी-महेंद्रगढ़ में भाजपा ने फिर से धर्मबीर सिंह पर दांव खेला है तो कांग्रेस में श्रुति चौधरी और राव दान सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है। अंबाला में रतनलाल कटारिया के निधन के बाद भाजपा ने उनको पत्नी बंतो कटारिया को मैदान में उतारा है।