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सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने खट्टर सरकार की पोल खोलते हुए कहा क्या पौने 3 करोड़ हरियाणवियों में नहीं है HPSC चेयरमैन बनने की योग्यता, बाहरी व्यक्ति को क्यों किया नियुक्त, षड़यंत्र के तहत सरकारी नौकरियों से हरियाणवी युवाओं को वंचित कर रही गठबंधन सरकार*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने खट्टर सरकार की पोल खोलते हुए कहा क्या पौने 3 करोड़ हरियाणवियों में नहीं है HPSC चेयरमैन बनने की योग्यता, बाहरी व्यक्ति को क्यों किया नियुक्त, षड़यंत्र के तहत सरकारी नौकरियों से हरियाणवी युवाओं को वंचित कर रही गठबंधन सरकार*
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चंडीगढ़ ;- एक षड़यंत्र के तहत हरियाणा की सरकारी नौकरियों से स्थानीय युवाओं को वंचित किया जा रहा है। जो बीजेपी-जेजेपी प्राइवेट नौकरियों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को आरक्षण देने की बात करती है, दरअसल वो 75 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में बाहरियों को भर्ती करने की नीति पर आगे बढ़ रही है। यह कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। दीपेंद्र हुड्डा एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे पर आंकड़ों के साथ गठबंधन सरकार को आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार अक्सर सीएमआईई द्वारा पेश किए गए बेरोजगारी के आंकड़ों को नकारती है। लेकिन अब तो खुद केंद्र सरकार ने बीजेपी-जेजेपी की पोल खोल दी है।
संसद में बेरोजगारी को लेकर पूछे गए उनके सवाल का उत्तर देते हुए केंद्र सरकार ने माना था कि हरियाणा बेरोजगार में नंबर वन प्रदेश है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार के श्रम और रोजगार मामलों के राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने बताया कि बीजेपी सरकार बनने के बाद हरियाणा में बेरोजगारी 3 गुना बढ़ी है। 2013-14 में कांग्रेस सरकार के दौरान जो बेरोजगारी दर 2.9% थी, वो आज करीब 9.0% पर पहुंच गई है, जो देश में सबसे ज्यादा है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोज़गारी दर 4.1% है यानी हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से भी ज्यादा बेरोजगारी है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि यह जानकर उन्हें धक्का लगा कि जिस प्रदेश ने राष्ट्रीय राजधानी को 3 तरफ से घेरा हुआ है, जहां रोजगार की व्यापक संभावनाएं होती थीं, 2014 से पहले जो हरियाणा निवेश में नंबर वन था, वो आज बेरोगाजरी दर में नंबर 1 है। इसकी गहराई में जाने पर पता चला कि बीजेपी-जेजेपी सरकार हर भर्तियों में हरियाणवी युवाओं की उपेक्षा कर रही है और गैर-हरियाणवियों को नौकरी में प्राथमिकता दे रही है।
*उदाहरण के तौर पर*

1. कृषि विभाग के लिए एचपीएससी ने 600 एडीओ पदों के लिए भर्ती निकाली थी। लेकिन सिर्फ 57 कैंडिडेट्स को पास करके इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और उनमें से भी 50 का ही चयन किया गया।

2. हैरानी की बात है कि भर्ती में जनरल केटेगरी के 23 पदों में से 16 पदों पर हरियाणा से बाहर के उम्मीदवारों को सिलेक्ट किया गया।

3. इससे पहले फरवरी 2021 में हुई एसडीओ इलेक्ट्रिकल की भर्ती में 90 पदों के लिए 99 लोगों को सिलेक्ट किया गया था। इनमें 77 बाहर के थे और सिर्फ 22 हरियाणा के थे।

4. ये वहीं भर्ती थी जिसे 2019 चुनावों से पहले कैंसिल किया गया था। क्योंकि पहले इस भर्ती में 80 में से 78 बाहर के अभ्यार्थियों को सिलेक्ट किया गया।

5. लेक्चरर ग्रुप-B (टेक्निकल एजुकेशन) की भर्ती में सामान्य श्रेणी के 157 में से 103 अभ्यार्थी हरियाणा से बाहर के सेलेक्ट हुए थे। यानि 65% से ज़्यादा सिलेक्शन हरियाणा की अफसर लेवल की गजटेट पोस्ट पर हरियाणा से बाहर के अभ्यर्थियों का हुआ।

6. साल 2019 में असिस्टेंट प्रोफेसर पॉलिटिकल साईंस की भर्ती में 18 में से 11 उम्मीदवार बाहरी थे और सिर्फ 7 हरियाणवी थे।

7. HCS भर्ती 2021 में 34 लोग बाहरी चयनित हुए।

8. हरियाणा अकेला ऐसा प्रांत है, जहाँ स्टाफ नर्स व वेटेरिनरी की पोस्ट के लिए हरियाणा नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल व हरियाणा वेटेरिनरी रजिस्ट्रेशन काउंसिल का पंजीकरण अनिवार्य नहीं, जबकि दूसरे प्रदेशों में प्रांतीय काउंसिल का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।

9. नतीजा यह है कि बाहर के युवा हरियाणा में नर्सिंग व वेटेरिनरी में भर्ती हो रहे हैं और हरियाणा के युवाओं को ना हरियाणा में जगह मिलती और ना बाहर। हरियाणा की भर्तियों में हरियाणवियों को दरकिनार करने के लिए भर्ती पेपरों से हरियाणा जीके को लगभग गायब कर दिया गया है। जबकि अन्य राज्यों में 30-40 प्रतिशत राज्य जीके के सवाल पूछे जाते हैं। इतना ही नहीं हरेक राज्य अपने प्रदेश की भाषा को प्राथमिकता देता है। लेकिन इसके विपरीत हरियाणा सरकार ने फैसला लिया कि सोशियो-इकॉनोमिक के अंक अन्य राज्य के अभ्यार्थियों को भी दिए जाएंगे। इससे पहले सरकार ने हरियाणा डोमिसाइल की शर्त में ढील देते हुए 15 साल रिहायश की शर्त को घटाकर 5 साल कर दिया। इन फैसलों के चलते हरियाणा की नौकरियों व कल्याणकारी योजनाओं का लाभ अन्य राज्य के लोगों को मिलेगा। खासतौर पर इसे आरक्षित श्रेणी EWS, SC/ST व OBC को सबसे ज्याद नुकसान होगा।
तमाम राज्य अपनी नौकरियों में स्थानियों को संरक्षण देते हैं। पिछले महीने ही उत्तर प्रदेश में इसका उदहारण देखने को मिला जब डाकखाना में जीडीएस पद पर चयनित हरियाणा के 3 युवाओं को इसलिए नियुक्ति नहीं दी गई, क्योंकि वो यूपी के नहीं थे। इसी तरह राजस्थान, पंजाब और कई राज्यों की भर्तियों में बाहरी लोगों का 1 प्रतिशत से भी कम सिलेक्शन होता है।
सांसद दीपेंद्र ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार को HPSC चेयरमैन बनाने के लिए लगभग 3 करोड़ की आबादी में से हरियाणा का कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिला। इसके लिए बाहर से आईएफएस आलोक वर्मा को लाया गया, जिनपर पहले अनियमितताओं के कई गंभीर आरोप लगे थे। ऐसे में अगर हरियाणा के उच्च पदों की भर्तियों में बाहरियों का ज्यादा चयन हो रहा है तो इसके पीछे की वजह समझी जा सकती है।
उन्हें याद आता है कि एकबार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा था कि हरियाणा के लोग कंधे से ऊपर कमज़ोर होते हैं। ऐसा लगता है कि HSSC और HPSC मुख्यमंत्री की बात तो सही साबित करने के लिए हरियाणा वालों को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसका ताज़ा उदहारण HCS- एलाइड भर्ती है। इस भर्ती के 100 पदों पर मुख्य परीक्षा में केवल 61 अभ्यर्थी ही पास किए हुए। अभ्यार्थियों का आरोप है कि अपने चहतों को HCS बनाने के लिए जानबूझकर कम लोगों को पास किया गया। यह पहली बार हुआ है कि इस भर्ती में कुल पदों से भी कम अभ्यार्थी पास हो पाए। सवाल खड़ा होता है कि जो हरियाणवी युवा UPSC जैसे एग्ज़ाम तक को टॉप कर सकते हैं, क्या वो HCS भी पास नहीं कर सकते? क्या बीजेपी-जेजेपी हरियाणा के युवाओं की प्रतिभा पर जानबूझकर सवालिया निशान लगाना चाहती है। ताकि हरियाणवी युवाओं को अयोग्य घोषित करके बड़े पदों पर अन्य राज्यों के लोगों को भर्ती करने वाली गठबंधन की नीति को आगे बढ़ाया जा सके?
ये वहीं भर्ती है जिसके प्री एग्जाम में 38 प्रश्नों को पिछली भर्ती के पेपर से कॉपी किया गया था। यह सीधे तौर पर अप्रत्यक्ष पेपर लीक का मामला बनता है। इतना ही नहीं बड़े पदों को खाली रखने के लिए HPSC ने जानबूझकर ऐसे नियम बनाए हैं। हरियाणा देश का शायद पहला ऐसा राज्य है, जिसने नियम बनाया था कि अभ्यार्थी को लिखित परीक्षा और इंटरव्यू दोनों में 50-50 प्रतिशत अंक लेने होंगे। इससे कम अंकों वाले को अयोग्य करार दिया जाएगा। यानी किसी अभ्यार्थी के लिखित परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक हैं और उनको अगर इंटरव्यू में 49 प्रतिशत अंक दिए जाएं तो वो चयन से बाहर हो जायेगा। HPSC ने ऑवरऑल मेरिट बनाने की बजाए ज्यादा अभ्यार्थियों को रिजेक्ट करने के लिए अलग-अलग सेगमेंट में अलग-अलग मेरिट चढ़ाने का फैसला लिया। जिसकी वजह से एडीओ जैसी भर्तियों में पद खाली रहे। HPSC दरअसल, हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन की बजाए गैर-हरियाणवी पब्लिक सर्विस कमीशन बन गया है। हमारी मांग है कि कमीशन को तुरंत भंग करके इसकी भर्तियों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। इसके साथ HSSC को बर्खास्त करके तमाम भर्ती घोटालों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। राज्यसभा सांसद ने कहा कि सरकारी विभागों में 2.02 लाख पद खाली पड़े हैं। लेकिन भर्तियां करने की बजाए सरकार पेपर लीक और पेपर कॉपी जैसे घोटालों को अंजाम दे रही है। CET में धांधलियां करके युवाओं के भविष्य से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। हरियाणा में बेरोजगारी अब जानलेवा रूप ले चुकी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014 से लेकर अबतक 12 बेरोजगार आत्महत्या कर चुके हैं। एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि लाखों बेरोजगार युवा हताशा में नशे और अपराध के दलदल में भी फंस रहे हैं। आज प्रदेश में अपराध इस कद्र बढ़ गया है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी सामाजिक प्रगति सूचकांक में हरियाणा को देश का सबसे असुरक्षित राज्य माना गया है।
अपना भविष्य अंधकार में देखकर और बीजेपी-जेजेपी सरकार की नीतियों से बचने के लिए हरियाणा के युवा दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं। हरियाणा के युवाओं को देश छोड़ने के लिए मजबूर करने और जान जोखिम में डालकर पलायन करने के लिए बीजेपी-जेजेपी जिम्मेदार है। मौजूदा सरकार में HCS से लेकर CET तक हर भर्ती में धांधलियां हो रही हैं। ताबड़तोड़ पेपर लीक के बाद इस सरकार ने सवाल कॉपी पेस्ट करके पेपर लीक का नया तरीका निकाला है। CET की मुख्य परीक्षा में ग्रुप-56 और ग्रुप-57 का पेपर कॉपी करके लीक किया गया। 100 में से 41 सवाल जो 6 अगस्त के पेपर में आए, वो 7 अगस्त के पेपर में रिपीट हो गए। पुलिस द्वारा CET पेपर लीक मामले में जींद से 3 लोगों को पकड़ने का दावा भी किया जा रहा है, जिनके पास 40-45 युवाओं के एडमिट कार्ड मिले। दूसरी तरफ सरकार कहती है कि पेपर लीक नहीं हुआ। यह CET क्वालिफाइड 3,59,000 युवाओं के साथ सबसे बड़ा धोखा है। हमारी मांग है कि CET पास सभी युवाओं को मुख्य पेपर में बैठने का मौका मिले। सरकारी नौकरियां देने में फिसड्डी सरकार की पोल प्राइवेट निवेश के मामले में खुद आरबीआई की रिपोर्ट में खुलती है। इसके मुताबिक हरियाणा 2022 में देश का सबसे कम निवेश वाला राज्य रहा। देश के कुल निवेश का महज 2 प्रतिशत हरियाणा में आया। यहीं सिलसिला 2023 में भी देखने को मिल रहा है और सिर्फ 1 प्रतिशत निवेश ही हरियाणा में आया। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मौजूदा सरकार के दौरान हरियाणा में नया निवेश आना तो दूर, कांग्रेस के मंज़ूरशुदा प्रोजेक्ट भी लटकाए जा रहे हैं या यहां से बाहर भेजे जा रहे हैं।

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