हरियाणा सरकार ने लापरवाही बरतने पर सिंचाई विभाग के 4 अधिकारियों के खिलाफ की कार्रवाई, एक अधिकारी निलंबित, तीन को किया चार्जशीट, यमुना नदी के पानी की वजह से आई थी बाढ़*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा सरकार ने लापरवाही बरतने पर सिंचाई विभाग के 4 अधिकारियों के खिलाफ की कार्रवाई, एक अधिकारी निलंबित, तीन को किया चार्जशीट, यमुना नदी के पानी की वजह से आई थी बाढ़*
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चंडीगढ़ :- हरियाणा में यमुना नदी की वजह से आई बाढ़ के समय ड्यूटी में कोताही बरतने के मामले में सरकार ने सिंचाई विभाग के 4 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है. इन अधिकारीयों के खिलाफ एक जाँच कमिटी की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की गई है. यह जाँच कमिटी आईटीओ यमुना बैराज के बाढ़ के दौरान 4 गेट नहीं खुलने के मामले की जांच के लिए बनाई गई थी. प्रदेश सरकार ने सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर संदीप तनेजा को सस्पेंड किया है. विभाग के एसई तरूण अग्रवाल और एक्सईएन मनोज कुमार को चार्जशीट करने के आदेश जारी किए हैं. इसके साथ ही यमुना बैरोज पर तैनात एसडीओ मुकेश वर्मा को रूल सात के तहत चार्जशीट किया गया है.
गौरतलब है की भारी बरसात की वजह से यमुना में बहुत ज्यादा मात्रा में पानी आ गया था और दिल्ली में आईटीओ के पास बैराज के 4 गेट नहीं खुलने की वजह से समय रहते यह पानी तेजी से आगे नहीं जा पाया था. इस मामले का संज्ञान लेते हुए श्री मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाई थी। सिंचाई विभाग के इंजिनियर इन चीफ राकेश चौहान की अध्यक्षता में बनी इस कमिटी में सदस्य के तौर पर विभाग के इंजिनियर इन चीफ डॉ सतबीर कादियान और चीफ इंजिनियर सुरेश कुमार यादव को शामिल किया गया था.
जुलाई माह में दिल्ली में आईटीओ बैराज पर लगे 32 में से 4 गेट नहीं खुल पाने के संबंध में तथ्यान्वेषी रिपोर्ट में कमिटी ने अपनी जांच में बताया कि ये गेट लगभग 12 फीट गहरे बाढ़ के पानी में डूबे हुए थे और लगभग 12 से 13 फीट की गहराई तक गाद से भरे हुए थे। इन गेटों को केवल तभी उठाया जा सकता है जब इन गेटों के चारों ओर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों गाद को विशेष तकनीक के माध्यम से हटा दिया जाए। रिपोर्ट में बताया गया है कि बैराज गेट संचालन में 2020 के बाद कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया है और मानसून में भी गेज रजिस्टर बनाकर नहीं रखा जाता है। यह भी सामने आया है की यहाँ का प्रबंधन देखने वाले अधिकारीयों ने बाढ़ प्रबंधन की स्थिति की समीक्षा के लिए मानसून से पहले कोई बैठक आयोजित नहीं की और ना ही इसकी सुचना मुख्यालय को दी. पिछले वर्ष भी, अधीक्षण अभियंता, एफसी-एक, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली ने अपने पत्र दिनांक 06.07.2022 के माध्यम से यमुना (आईटीओ) बैराज के गेट बंद करने के संबंध में लापरवाही की सूचना दी थी और कहा था कि उस समय संचालन के लिए कोई बिजली कनेक्शन उपलब्ध नहीं था। मुख्य रूप से दिल्ली में बाढ़ अधिक अतिक्रमण के कारण आई जिसके कारण पानी रिंग रोड तक चला गया। नदी के आसपास अत्यधिक और अनियोजित निर्माण से यमुना का प्रवाह बाधित हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार शुष्क मौसम के दौरान नदी का प्रवाह पूरी तरह से रुक जाता है, जिससे अवसादन और विकास होता है। विभिन्न नालों के माध्यम से प्रदूषित पानी को नदी में छोड़ने से गाद जमा हो जाती है और नदी के तल स्तर में वृद्धि होती है। ऐसे में दिल्ली को गेट नंबर 28 से 32 के सामने रेतीले बेला द्वीप को हटा देना चाहिए ताकि इन गेटों पर बाढ़ के पानी का प्रवाह हो सके। रिपोर्ट के अनुसार दशकों से यमुना के प्राकृतिक बाढ़ आउटलेट पर व्यवस्थित रूप से अतिक्रमण किया गया है, और दिल्ली के बाढ़ के मैदानों को “खाली जगह” मानकर बड़ी “गलती” की गई है। दिल्ली में वज़ीराबाद बैराज 1137020 सीएस पर उच्चतम डिस्चार्ज दर्ज किया गया है। जो एचकेबी या ओखला में किए गए रिलीज से मेल नहीं खाता है। यूवाईआरबी को वजीराबाद, यमुना बैराज आईटीओ और ओखला बैराज पर सभी गेजों को पुन: कैलिब्रेट करने के लिए कहा जाना चाहिए ताकि भविष्य में सही गेजों की रिपोर्ट की जा सके। मानसून का मौसम आम तौर पर जुलाई से शुरू होता है, इससे पहले ही दिल्ली में मुख्यालय वाले सीई वाईडब्ल्यूएस (एस) को सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग दिल्ली और यूपी सिंचाई विभाग के साथ निगरानी और समन्वय तंत्र बनाए रखने के लिए करीबी संपर्क की आवश्यकता होती है।