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हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी राठौड़ के खिलाफ सीबीआई को नहीं मिला कोई पुख्ता सबूत, क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने पर लगी रोक हटाने के निर्देश देने की मांग*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी राठौड़ के खिलाफ सीबीआई को नहीं मिला कोई पुख्ता सबूत, क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने पर लगी रोक हटाने के निर्देश देने की मांग*
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चंडीगढ़ :- रुचिका छेड़छाड़ मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआई की एक याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष को 28 जुलाई के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। एजेंसी ने दोषी हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस पी एस राठौर के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने पर लगी रोक हटाने की निर्देश देने की मांग की है। एजेंसी के मुताबिक, पूरे सबूतों की समीक्षा करने पर राठौर के खिलाफ प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। जनवरी 2010 में रुचिका छेड़छाड़ मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जनता के विरोध के बाद राठौड़ के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था।
सीबीआई ने 25 जनवरी, 2010 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसके तहत राठौर के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दाखिल पर रोक लगा दी गई थी। एजेंसी ने 11 जनवरी, 2010 को दर्ज प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट पेश करने की अनुमति मांगी है।
एजेंसी ने दलील दी है कि वह अपनी रिपोर्ट के साथ तैयार है इसलिए वर्तमान मामले में सुनवाई की तारीख तय करने से इस मामले का निपटारा हो सकता है । संपूर्ण साक्ष्यों की समीक्षा की गई तथा संपूर्ण साक्ष्यों की समीक्षा करने पर प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं की गई। सीबीआई ने जांच पूरी कर ली है, लेकिन हाई कोर्ट समक्ष इस मुद्दे पर याचिका के लंबित होने के कारण क्लोजर रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी। नवंबर 2010 में, सीबीआई ने दो मामलों में क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की- हत्या का प्रयास और राठौड़ द्वारा जाली दस्तावेज, जिसे अंततः अदालत ने स्वीकार कर लिया। यहां तक कि हाई कोर्ट ने 9 अगस्त, 2016 को इन दोनों मामलों को बंद करने के सीबीआई के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था। आत्महत्या के लिए उकसाने का तीसरा मामला अभी भी लंबित है और सीबीआई कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कर सकी क्योंकि हाई कोर्ट ने 25 जनवरी, 2010 को उस पर यथास्थिति का आदेश दिया था।

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