हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में फैले व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोपो में घिरे काउंसिल के चेयरमैन!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज़,
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हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में फैले व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोपो में घिरे काउंसिल के चेयरमैन!*
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चंडीगढ ;- हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामले में साजिशकर्ता बने काउंसिल के चेयरमैन धनेश अधलखा का शहर की राजनीति में भी रसूख रहा है। शहर की सरकार(नगर निगम सदन) अधलखा के इशारे पर चलती थी। नगर निगम के फाइनेंस कमेटी के सदस्य होने के कारण एक करोड़ से अधिक के विकास कार्यों की फाइलें बगैर इनकी सहमति के पास नहीं होती थी। राजनीतिक रसूख की बात करें तो सत्ता के गलियारे में इनका सीधा हस्तक्षेप रहता था। धनेश सीधे मुख्यमंत्री मनोहरलाल से बात करते थे। इसके अलावा केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के भी बेहद करीबी माने जाते हैं। जानकर हैरानी होगी कि इनके राजनीतिक रसूख को देखते हुए नगर निगम के कई कमिश्नर बगैर इनकी सलाह के कोई फाइल तक पास नहीं करते थे। अब भ्रष्टाचार कराने के मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद शहर के लोग हैरान हैं।
अदलखा के राजनीतिक सफर की बात करें तो वह दो बार नगर निगम पार्षद रह चुके हैं। सेक्टर नौ निवासी धनेश अदलखा वर्ष 2007 में हरियाणा पैराओलंपिक संघ के अध्यक्ष रहे। इसी दौरान 2007 से 2010 तक वे निगम पार्षद रहे। इसके बाद वर्ष 2017 से 2022 तक पार्षद रहे। वर्ष 2017 में इन्हें हरियाणा राज्य सहकारी कृषि व ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड के चेयरमैन रहे। इसके बाद वर्ष 2019 में हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन बन गए।
राजनीति के जानकारों की माने ताे धनेश अदलखा वर्ष 2017 में िनगम पार्षद का चुनाव जीतने के बाद सीनियर डिप्टी मेयर के दावेदार माने जा रहे थे। इसके लिए वह खूब लांबिंग भी करते रहे। लेकिन आखिर में केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर के बेटे देवेंद्र चौधरी को सीनियर डिप्टी मेयर बनाने से इनका पत्ता कट गया। इसका फायदा ये हुआ कि इन्हें बाद में राज्य सहकारी कृषि व ग्रामीण विकास बैंक लिमिटेड के चेयरमैन बना दिए गए।
वर्षों से भटक रहे लोग, नहीं मिला लाइसेंस,,,
फरीदाबाद के कई ऐसे छात्र हैं जिन्होंने डी फार्मेसी का कोर्स करने के बाद हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल से लाईसेंस लेने के लिए धक्के खा रहे हैं लेकिन आज तक लाईसेंस नहीं मिला। दैनिक भास्कर से बात करते हुए बल्लभगढ़ के लढौली गांव निवासी दीपक कुमार ने बताया कि उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद लाईसेंस के लिए वर्ष 2019 में काउंसिल में आवेदन किया लेकिन आज तक उसका कुछ पता नहीं चला। इसी तरह अजरौंदा निवासी एडवोकेट अलका मलिक ने बताया कि उनके भाई विकास मलिक ने करीब आठ माह पहले लाईसेंस के लिए आवेदन किया था। बार बार उसमें आब्जेक्शन लगाया जा रहा है। अब उसका कोई स्टेटस पता नहीं चला। जबकि फाइल काउंसिल के चेयरमैन के घर पर देकर आए थे। नगर निगम में भी एक दो ऐसे कर्मचारी हैं जिनके बच्चों ने आवेदन किया लेकिन लाईसेंस अभी तक नहीं मिला।वर्षों की यह लेटलतीफी कहीं न कहीं भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।