भाजपा को मंथन की जरूरत, हरियाणा में हुए निकाय चुनाव में CM के गृह जिले में 4 में से तीन स्थान पर हार गई भाजपा, कांग्रेस के चुनाव न लड़ने से BJP का पलड़ा रहा भारी*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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भाजपा को मंथन की जरूरत, हरियाणा में हुए निकाय चुनाव में CM के गृह जिले में 4 में से तीन स्थान पर हार गई भाजपा, कांग्रेस के चुनाव न लड़ने से BJP का पलड़ा रहा भारी*
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चंडीगढ़ ;- स्थानीय निकाय चुनाव मैं जीत को लेकर इस समय बेशक भाजपा में मिठाइयां बाटी जा रही हैं लेकिन हकीकत यही है कि मिठाई खाने के साथ-साथ भाजपा के नेताओं और रणनीतिकारों को चुनाव परिणामों पर “मंथन” जरूर करना चाहिए। भाजपा के लिए मंथन करना इसलिए बेहद जरूरी है क्योंकि 46 नगर परिषदों और नगर पालिकाओं में से उसे जेजेपी के साथ मिलकर 26 जगह सफलता हासिल हुई है यानी 60 फ़ीसदी भाजपा को सफलता मिली है। यह सफलता भी भाजपा को तब मिली है जब मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस मैदान में नहीं थी। भाजपा को 26 में से 18 सीटों पर 3000 से कम वोटों से जीत मिली है। भाजपा और जजपा के विरोधी वोट “बंट” जाने के कारण भी भाजपा-जजपा को इन सीटों पर जीत हासिल हुई। अगर वोटों के प्रतिशत पर ध्यान दिया जाए तो भाजपा को जेजेपी के साथ मिलकर 30 से 35% वोट ही मिले हैं यानी लगभग 65% वोट गठबंधन के खिलाफ पड़े हैं। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री के जिले करनाल में 4 शहरों में से तीन असंध तरावड़ी और निसिंग में भाजपा हार गई व सिर्फ एक घरोंडा पर ही जीत हासिल कर पाई। जब मुख्यमंत्री के खुद ही के जिले में ही भाजपा नहीं जीत पाई तो इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी प्रदेश में भी भाजपा की हालत क्या होगी। भाजपा के लिए जीत का माहौल नहीं था सिर्फ कांग्रेस के गैरहाजिर रहने के कारण भाजपा को जीत का चांस मिल गया।