भर्तियों में गड़बड़ी करने व लेनदेन के लिए नवीन,अश्विनी,अनिल नागर ने सोनीपत में किराए पर ले रखा था मकान!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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भर्तियों में गड़बड़ी करने व लेनदेन के लिए नवीन,अश्विनी,अनिल नागर ने सोनीपत में किराए पर ले रखा था मकान!*
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चंडीगड़ ;- हरियाणा लोक सेवा आयोग (एचपीएससी) की भर्तियों में पैसा लेकर खाली ओएमआर शीट भरने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। किस अभ्यर्थी का रोल नंबर आया है, किसे पास कराना है, किससे कितने पैसे लेने हैं, यह पूरा खेल सोनीपत की शिव कॉलोनी में एक किराए के मकान से चल रहा था। यह गिरोह एचपीएससी ही नहीं, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) की भर्तियों में भी सेंध लगा रहा था। सबसे पहले गिरफ्तार हुआ नवीन अभ्यर्थियों से संपर्क कर परीक्षा में पास कराने के लिए 30-30 लाख रुपए में डील करता था।
परीक्षा के बाद ओएमआर शीट की कॉपी अश्विनी शर्मा तक पहुंचाता था। अश्विनी एचपीएससी में शीट स्कैनिंग एजेंसी से जुड़ा है। एचपीएससी के डिप्टी सेक्रेटरी अनिल नागर से वह भिवानी बोर्ड में उनके सचिव रहते 2017 में मिल चुका था। जैसे ही नागर को डेंटल सर्जन व एचसीएस भर्ती की जिम्मेदारी मिली, वैसे ही इस चेन सिस्टम के जरिए घोटाला कर दिया।
नागर के साथ अश्विनी व नवीन ने कबूला है कि उन्होंने ओएमआर शीट में आंसर ठीक करने के लिए गोले भरे थे। नागर ने स्वीकारा कि उसने अश्विनी को कहा था कि कुछ उम्मीदवारों के रोल नंबर और ओएमआर शीट की कॉपी साथ ले आना। मैं पास करा दूंगा। प्रत्येक अभ्यर्थी से 20-25 लाख रुपए लूंगा।
किसका क्या रोल?
नवीन- अभ्यर्थियों को ढूंढ़ता था, 30 लाख में डील कर ओएमआर शीट अश्विनी को देता था
अश्विनी- ओएमआर शीट नागर तक पहुंचाता था, साथ बैठकर खाली शीटों में आंसर भी भरे
अनिल नागर- अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए अश्विनी से 20-25 लाख रु. में डील की
आरोपियों का कबूलनामा
नवीन व अश्विनी में 3-4 साल से थी जान पहचान
भिवानी के कोंट के नवीन ने बताया, ‘अश्विनी को 3-4 साल से जानता हूं। 6 माह पहले अश्विनी ने कहा था कि सोनीपत की शिव कॉलोनी में किराए पर मकान लिया हुआ है। 2-3 माह से मैं अश्विनी से उसी मकान में मिलता था। वहीं पर अश्विनी से 20-22 अभ्यर्थियों के संबंध में बात की थी। प्रत्येक अभ्यर्थियों से 30-30 लाख रु. में डील की थी। ओएमआर शीट की फोटोकॉपी, अभ्यर्थियों के नाम, पते व फोन नंबर की लिस्ट वहीं अलमारी में रखी है। जिनसे पैसे लिए हैं, उनके नाम के आगे ठीक का निशान है।’
पैसों का लेन-देन किराए के मकान में ही होता था
अश्विनी शर्मा ने बताया, ‘मैं झज्जर के जमालपुर का हूं। नवीन ने एचसीएस की प्री-परीक्षा व डेंटल सर्जन की परीक्षा में पास कराने के लिए जिन-जिन अभ्यर्थियों के रोल नंबर व ओएमआर शीट की कॉपी दी थी, उनमें 10-12 अभ्यर्थियों की शीट की कॉपी मैंने व नवीन ने सोनीपत में शिव कॉलोनी में किराए के मकान में छिपाकर रखी हैं। वहीं दोनों बैठकर परीक्षा पास कराने के बारे में बात करते थे। पैसों का लेन-देन भी वहीं करते थे। अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट की कॉपी के अलावा अन्य दस्तावेज छिपाकर भी वहीं रखे हैं।
डिप्टी सेक्रेटरी नागर बोले- 18 अभ्यर्थी पास कराए थे
रोहतक के अनिल नागर ने बताया, ‘अश्विनी से 20-25 लाख में सौदा हुआ था। उसने नवीन व अनिल के जरिए एचसीएस के 15, डेंटल सर्जन के 17 अभ्यर्थियों के रोल नंबर व ओएमआर शीट की कॉपी दी। मैंने ओएमआर शीट स्कैनिंग के बाद निकाल ली। मैंने व अश्विनी ने दफ्तर में खाली गोलदारे भरे। एचसीएस के 5, डेंटल सर्जन के 13 अभ्यर्थी पास कराए। एचसीएस के लिए 1.30 करोड़ व डेंटल सर्जन के लिए 2.08 करोड़ रु. मिले। दस्तावेज गुड़गांव के रिठाल निवासी मामा रामकिशन के घर रखे हैं।
नागर के पास 36 अभ्यर्थियों की शीट मिली, पूछताछ होगी
एचसीएस: रोल नंबर 104960, 105435, 101653, 128361, 138998, 141999, 187863, 183737, 186111, 180882, 180958, 199841, 201443, 228208, 222264, 230423, 242396, 243288, 247009, 245394 की ओएमआर शीट की कार्बन व असली कॉपी मिली। रोल नंबर 125273 की कार्बन और 234584 की असली कॉपी मिली है।
डेंटल सर्जन: रोल नंबर 24417, 24388, 24919, 25723, 27420, 21925, 21438, 24028, 25494, 20775, 21366, 25804, 24087, 27718 की ओएमआर शीट की काॅपी मिली है।
विजिलेंस 36 अभ्यर्थियों से पूछताछ करेगी। इनके नाम, मोबाइल नंबर व पता उसके पास है। कॉल डिटेल व वॉट्सएप चैट भी खंगाली जाएगी।
अलग-अलग जगह से की गई रुपयों की बरामदगी
विजिलेंस ने अश्विनी से 1.08 करोड़ रुपए की राशि बरामद की। इनमें 66 लाख रु. उसके दोस्त सतीश गर्ग से मिले। नागर के घर से 12 लाख रु. मिले। 1.44 करोड़ रु. उसके दोस्त अशीष कुमार से बरामद किए।
एचएसएससी में भी सेंध, 40 स्टाफ नर्स, 4 वीएलडीए, 15 एएनएम को पास कराया
नवीन ने बताया, ‘मैंने अश्विनी व एचपीएससी में ऑनलाइन एप्लीकेशन पोर्टल का काम करने वाली सॉफ्टवेयर एजेंसी के मालिक जसबीर बल्हारा से शिकायतकर्ता दलबीर सिंह की बात कराई थी। इसी एजेंसी के जरिए सितंबर में कराई गईं परीक्षाओं में पास कराने के 20 लाख व फाइनल सिलेक्शन के लिए 15 लाख यानी कुल 35 लाख रु. में डील हुईं थी। दलबीर को पास करा दिया था। उसी से 20 लाख लिए थे। यह पैसा अश्विनी व जसबीर के लिए था। दलबीर का पेपर मैंने अश्विनी से मिलकर पास कराया। इसके लिए सोमबीर बल्हारा से बात हुई थी। मैंने एचएसएससी में भी 40 स्टाफ नर्स, 4 वीएलडीए, 15-16 एएनएम को 10-10 लाख लेकर परीक्षा पास कराई थी।’
ओएमआर शीट्स सीएफएसएल भेजीं: दलबीर ने 100 में से 64 गोले भरे थे। बाकी बाद में भरे गए। दलबीर को 200 में से 164 अंक दिलाकर पास कराया। विजिलेंस ने ओएमआर शीट सीएफएसएल भेजी है, ताकि स्याही का अंतर पता चल सके। उधर, नागर, अश्विनी, नवीन को कोर्ट में पेश किया गया। विजिलेंस ने कहा कि रोहतक से ओएमआर शीट बरामद करनी हैं, इसलिए 3 दिन का रिमांड दें। कोर्ट ने कहा कि 4 दिन के रिमांड के दौरान क्यों नहीं ले गए। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।