राजस्थान कृष्णकुंड क्षेत्र के सुंदरलाल बहुगुणा से कम नहीं ‘प्रेम पंडित’, 50 साल से कर रहे वन व वन्यजीव सेवा*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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राजस्थान कृष्णकुंड क्षेत्र के सुंदरलाल बहुगुणा से कम नहीं ‘प्रेम पंडित’, 50 साल से कर रहे वन व वन्यजीव सेवा*
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अलवर (प्रमोद वशिष्ठ);- बॉलीवुड में डायलॉग बाद में बना सागर ऊपर वर्षों पहले ये डॉयलाग गूंजता था कि ‘कृष्णकुंड जंगल बचाने के मामले में मैं दूसरों की दूर अपने आपकी भी नहीं सुनता’ चाहे मेरी जान चली जाए जंगल नहीं कटने दूंगा। ये शख्स हैं सागर ऊपर मोहल्ले में रहने वाले प्रेम पण्डित। इनको लोग ‘पण्डित जी’ के नाम से पुकारते हैं। सागर से कृष्णकुंड मार्ग पर पारेश्वर हनुमान मंदिर के ये पुजारी हैं। राजस्थान रोडवेज में कर्मचारी भी रहे। पंडित जी में वन व वन्यजीव बचाने का जज्बा 15-20 साल की उम्र में ही घर कर गया। आज करीब 50 साल से वे उसी राह पर हैं। जंगल कटान की सूचना मात्र से उनकी भुजाएँ आज भी फड़कने लगती हैं। 70 के दशक का सफर कर रहे पण्डित जी ने कृष्णकुण्ड क्षेत्र के जंगल को बचाने में बड़ी मशक्क़त की है। वन विभाग का सहयोग भी लिया और खुद भी निकल पड़ते। जंगल बचाना उनकी रोज़मर्रा की जीवनचर्या शामिल है। एक बार तो पण्डित जी की शिकारियों से भिड़ंत हो गई। उन्होंने पूरा मुकाबला कर 4 शिकारियों को खदेड़ दिया। कई बार लकड़ी तश्करो से दो-दो हाथ हुए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। एक जुनून जज्बा उनकी नश नश में भरा है कि जंगल बचाना है। वन विभाग में बड़े बड़े अफसरों से उनकी जंगल बचाने को लेकर बहस कई बार हुई। वन विभाग आफिस में पण्डित जी रोज नज़र आते, मांग एक कि जंगल बचाओ। उन्होंने इस उद्देश्य को छोड़ा नहीं। आज उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता जब कृष्ण कुंड क्षेत्र हरियाली गीत गाती है। इस कड़ी में हाल ही कृष्ण कुण्ड विकास समिति ने जंगल के इस योद्धा का साफा पहना कर सम्मान किया। समिति अध्यक्ष हिमांशु शर्मा ने स्वागत साफा बांधा। समिति के इस कार्य की चारों तरफ तारीफ है। प्रेम पण्डित जैसी शख्सियत की आज बड़ी जरूरत है,ये वो हस्तियां हैं जो वन व वन्यजीवों के लिए पैदा हुए लगते हैं। गलती से भी कोई कटान की बात कर दे तो उसे पण्डित के गुस्से का शिकार होना पड़ता है। हाल ही उनसे चर्चा हुई तो वे खुश थे ही कृष्ण कुंड का जंगल थोड़ी से बरसात से लहलहा रहा है। वे आज भी सुबह से ही अपने 50 साल पुरानी वन व वन्यजीव सेवा में जुट जाते हैं। इनको कृष्णकुंड क्षेत्र का ‘सुंदरलाल बहुगुणा’ भी कहते हैं।