अत्ति महत्वाकांक्षी पूर्व सांसद डॉ अरविंद ने आखिरकार भाजपा का दामन थाम ही लिया*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज़,
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अत्ति महत्वाकांक्षी पूर्व सांसद डॉ अरविंद ने आखिरकार भाजपा का दामन थाम ही लिया*
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करनाल ;- हरियाणा के ब्राह्मण समाज मे लोकप्रिय छवि रखने वाले पूर्व सांसद डॉ अरविंद शर्मा के भाजपा में आने से भाजपा की राजनीति में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बहुत से भाजपा नेताओ और सांसदो की हालत ढीली पड़ रही होगी। पूर्व सांसद डॉ शर्मा की बहुत दिनों से भाजपा में जाने की चर्चा चल रही थी। या यह कहिये की काफी समय से भाजपा में आने के लिए हाथ-पांव मार रहे पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को आखिरकार सफलता मिल ही गई।
शुक्रवार को दिल्ली में भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजुदगी में उन्होंने भाजपा ’वाइन कर ली है। करनाल से कांग्रेस के टिकट पर दो बार और सोनीपत से आजाद प्रत्याशी के तौर पर एक दफा सांसद बने अरविंद शर्मा के भाजपा में आते ही टिकटों के लिए अब समीकरण् गड़बड़ा गए हैं। माना जा रहा है कि भाजपा उन्हें रोहतक या फिर सोनीपत से टिकट दे सकती है। हालांकि उनकी पहली पंसद करनाल सीट ही है, लेकिन यहां से केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का नाम ’यादा आगे बढ़ा हुआ है। ऐसे में सोनीपत के मौजुदा सांसद रमेश कौशिक को टिकट मिलना अब मुश्किल हो गया है।
वैसे यहां से पहले ही केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के आईएएस बेटे और अंतरराष्ट्रीय कुश्ती खिलाड़ी योगेश्वर दत्त का नाम भी चल रहा था। यदि पार्टी अरविंद शर्मा को रोहतक से टिकट देती है तो करनाल और सोनीपत में ब्राह्मण समुदाय के किसी दूसरे नेता को टिकट देना संभव नहीं होगा। इसका फायदा चौधरी बीरेंद्र सिंह को मिल सकता है। वे फिर आसानी से सोनीपत से अपने बेटे को टिकट दिलवा पाएंगे। भाजपा चौधरी बीरेंद्र सिंह की बात भी मान सकती है। इसका कारण यह है कि भाजपा से जाट समुदाय की काफी नाराजगी चल रही है। कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी और जाटों के बीच तल्खी काफी लंबे समय चली थी। जाट प्रदेश सरकार से राजकुमार सैनी पर लगाम कसने की मांग करते रहे थे, लेकिन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया था। ऐसे में भाजपा और जाटों के बीच खाई बढ़ गई थी। उधर राजकुमार सैनी भले ही तकनीकी तौर पर भाजपा के सांसद हो, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी खड़ी कर ली है। जींद उप चुनाव में अपनी पार्टी का प्रत्याशी तक उतारा था। अब लोकसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी का समझौता बहुजन समाज पार्टी के साथ बना हुआ है। ऐसे में जाटों को खुश रखने के लिए भाजपा दो टिकट जाट समुदाय को दे सकती है। इनमें एक टिकट महेंद्रगढ़-भिवानी और दूसरी सोनीपत हो सकती है। बीरेंद्र सिंह काफी समय से पार्टी हाईकमान को अपने बेटे के लिए टिकट दिलवाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इनेलो और भाजपा के बीच समझौता कराने में भी चौधरी बीरेंद्र सिंह अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे पार्टी हाईकमान को समझा रहे हैं कि इनेलो के पास अब भी बड़ा वोट बैंक हैं। ऐसे में पार्टी यदि गठबंधन करती है तो दस की दस सीटें गठबंधन जीत सकता है।
करनाल से दो बार सांसद बने अरविंद ;-
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भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद अरविंद शर्मा ने बरस 2004 में कांग्रेस के टिकट पर करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। इसके बाद पार्टी ने बरस 2009 में भी अरविंद शर्मा को टिकट दिया था और चुनाव फिर से सांसद बने थे। इससे पहले शर्मा सोनीपत से सांसद रह चुके थे। बरस 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अरविंद ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वे भाजपा प्रत्याशी अश्वनी चोपड़ा से हार गए थे।
बसपा में मुख्यमंत्री के चेहरे भी रहे थे डॉ अरविंद शर्मा :-
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अरविंद शर्मा का बरस 2014 में करनाल लोकसभा में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस से मोहभंग हो गया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया था। इसके बाद वे बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए थे। बहुजन समाज पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन पार्टी विधानसभा में मात्र एक सीट ही जीत पाई थी। ऐसे में कुछ समय बाद राजनीतिक तोर असक्रिय हो गए थे। उसके बाद उन्होंने भाजपा में हाथ-पांव मारना शुरू कर दिया था।
हुड्डा के साथ नहीं पटती थी
कांग्रेस छोड़ने का कारण :-
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पूर्व सांसद अरविंद शर्मा की कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ नहीं बन पाई थी। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर हुड्डा के खिलाफ बयानबाजी भी की थी। कारण यह था कि गन्नौर विधायक कुलदीप शर्मा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकि थे। अरविंद्र शर्मा की कुलदीप शर्मा के साथ बनती नहीं थी। इस कारण से हुड्डा अपने शासनकाल में अरविंद शर्मा को ’यादा तरजीह नहीं दी थी।