Sunday, February 23, 2025
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मुख्यमंत्री खट्टर द्वारा चंडीगढ़ मुद्दे पर हरियाणा विधानसभा में लाया गया संकल्प प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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मुख्यमंत्री खट्टर द्वारा चंडीगढ़ मुद्दे पर हरियाणा विधानसभा में लाया गया संकल्प प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास*
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चंडीगढ़ ;- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल द्वारा चंडीगढ़ पर हरियाणा के हक के लिए लाया गया संकल्प प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हो गया। विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में पूरे सदन ने मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव का खुलकर समर्थन किया। इस दौरान सभी विधायकों ने पंजाब में चंडीगढ़ को लेकर पारित किए गए प्रस्ताव की निंदा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का अधिकार है। एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर हरियाणा को मिलेगा। इसके साथ-साथ उन्होंने पंजाब में शामिल हिंदी भाषी गांवों का मुद्दा भी विधानसभा में उठाया। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा विधानसभा का यह विशेष सत्र चंडीगढ़ पर अपने हक के लिए लाए गए संकल्प प्रस्ताव को पास करने के लिए बुलाया गया है। 3 घंटे तक विधानसभा में चली चर्चा के दौरान सत्ता और विपक्ष के करीब 25 विधायकों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में विचार रखे। संकल्प प्रस्ताव पर बोलते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि बंटवारे के लिए 23 अप्रैल 1966 को बनाए गए शाह कमीशन ने तो खरड़ क्षेत्र के हिंदी भाषी गांव और चंडीगढ़ को हरियाणा को देने के लिए कहा था लेकिन 9 जून 1966 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया। इसे दोनों राज्यों की राजधानी भी बनाया गया। इसके बाद अलग-अलग समझौते हुए लेकिन इसका समाधान नहीं हुआ।

*कंदुखेड़ा को प्रयत्नपूर्वक शामिल कर लिया था पंजाब में*
मुख्यमंत्री ने कहा कि बंटवारे के वक्त पंजाब ने हिंदी भाषी गांव कंदुखेड़ा को प्रयत्नपूर्वक पंजाबी भाषी बनाकर अपने में शामिल कर लिया था। उस गांव के लोगों को न जाने क्या-क्या वायदे किए गए थे। आज अखबारों में अलग-अलग रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं कि उस गांव के लोगों को कुछ नहीं मिला।

*एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर मिलेगा हरियाणा को*
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा को एसवाईएल का पानी निश्चित तौर पर मिलेगा। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ी जा रही है। जल्द सुप्रीम कोर्ट से एसवाईएल के फैसले पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर लिया जाएगा, ताकि नहर को बनाने की जिम्मेदारी केंद्र, पंजाब या किसी अन्य संस्था को मिले। उन्होंने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण द्वारा रावी और ब्यास नदियों के पानी में हिस्सा पाने का हरियाणा का अधिकार ऐतिहासिक, कानूनी, न्यायिक और संवैधानिक रूप से बहुत समय से स्थापित है। सदन ने एसवाईएल जल्द से जल्द पूरा करने के लिए 7 बार प्रस्ताव पास किए हैं। कई अनुबंधों, समझौतों, ट्रिब्यूनल के निष्कर्षों और देश के सर्वोच्च न्यायलय के फैसलों में भी पानी पर हरियाणा के दावे को बरकरार रखा है। 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल का पानी हरियाणा को मिलना चाहिए, इस पर फैसला दिया था। अब एसवाईएल पर एग्जीक्यूशन ऑर्डर का इंतजार है।

*बीबीएमबी में स्थापित की जाए पुरानी व्यवस्था*
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा-पंजाब की सदस्यता पूर्व की तरह रहनी चाहिए। इस संबंध में उन्होंने केंद्र को तीन बार पत्र लिखे हैं। पहला पत्र 19.04.2021 को, दूसरा पत्र 22.09.2021 को और तीसरा पत्र 01.03.2022 को लिखा है। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में बीबीएमबी में पूर्वकालिक सदस्यों की नियुक्ति पंजाब पुनर्गठन अधिनियम,1966 की भावना के खिलाफ है। केंद्र सरकार द्वारा बीबीएमबी को बिजली विभाग की बजाए सिंचाई विभाग में लेना चाहिए।

*यूटी में हरियाणा के अधिकारियों की हिस्सेदारी होनी चाहिए पूरी*
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में हरियाणा सरकार के अधिकारियों की घटती प्रतिनियुक्ति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन में हरियाणा सरकार से प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले अधिकारियों की हिस्सेदारी भी कम हो रही है। इसे पूरा किया जाना चाहिए।

*संकल्प प्रस्ताव में केंद्र सरकार से किया आग्रह*
मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने संकल्प प्रस्ताव में केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि ऐसा कोई कदम न उठाए, जिससे मौजूदा संतुलन बिगड़ जाए और जब तक पंजाब पुनर्गठन से उत्पन्न मुद्दों का समाधान न हो जाए, तब तक सद्भाव बना रहे। प्रस्ताव के माध्यम से समूचे सदन ने केंद्र से यह भी आग्रह किया है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनुपालना में एसवाईएल लिंक नहर के लिए निर्माण के लिए उचित उपाय करे। केंद्र सरकार से यह भी आग्रह किया गया है कि पंजाब सरकार पर दबाव बनाए कि वह अपना मामला वापिस ले। साथ ही हरियाणा को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी ले जाने और समान वितरण के लिए हांसी-बुटाणा नहर की अनुमति दे।

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