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प्याज और चीनी की कीमतों में उछाल से सरकार सतर्क

नई दिल्ली (ब्यूरो) त्योहारों का मौसम शुरू होने से पहले ही प्याज और चीनी की कीमतों में उछाल से सरकार चौकन्नी हो गयी है। अगले महीने से दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहार आने वाले हैं। इस दौरान त्यौहारों के अलावा अनेक राज्यों में विधान सभा के चुनाव भी होने हैं।
इस बीच अचानक खासतौर पर प्याज की कीमतों को लेकर जिस तरह से बाजार में अचानक उछाल आने से सरकार की चिंता बढ़ गई है। महीने भर पहले प्याज की औसत कीमत 15 से 20 रुपये प्रति किलो थी। वहीं अब महानगरों के खुदरा बाजार में प्याज की कीमत 40 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गयी है।
अन्य शहरों में भी प्याज की कीमत 30 रुपये किलो तक हो गयी है। सरकार का मानना है कि इस साल प्याज का उत्पादन अच्छा हुआ था तथा बाजार में प्याज की कोई कमी नहीं है। इसलिये प्याज की कीमतें बढ़ने के पीछे जमाखोरी को बड़ा कारण माना जा रहा है।
हालात बेकाबू होने से पहले ही सरकार ने इस दिशा में कदम उठाना शुरु कर दिया हैं। अक्सर ऐसा होता है कि कीमत बढ़ने के मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार एक दूसरे के माथे पर ठीकरा फोड़ने लगते हैं।
केंद्र सरकार के खाद्य और उपभोक्ता मंत्रालय ने आदेश जारी कर राज्यों को प्याज की स्टॉक लिमिट अपने यहां की परिस्थिति तथा जरूरत के मुताबिक स्वयं तय करने की छूट दी है।
अब राज्य खुद ही तय कर सकेंगे कि प्याज के लिए स्टॉक की सीमा कितनी हो ताकि उसी हिसाब से जमाखोरी और काला बाजारी से निपटा जा सके और जमाखोरों के खिलाफ आवश्यक कार्यावाही की जा सके।
चीनी की कीमतों को भी नियंत्रित करने के लिए भी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। त्योहारों के दौरान मिठाई की मांग बढने के कारण चीनी की खपत काफी बढ़ जाती है। सरकार ने सितंबर और अक्टूबर के महीने में चीनी मिल मालिकों को बाजार में ज्यादा चीनी आपूर्ति किये जाने सम्बंधी आदेश जारी कर दिये हैं।
चीनी का स्टॉक लिमिट तय करते हुये सितंबर माह में चीनी मिल कुल उत्पादन का 21 फीसदी स्टॉक अपने पास रख सकेंगे। जबकि अक्टूबर महीने में चीनी की स्टॉक लिमिट सिर्फ आठ प्रतिशत तय की गयी है। यानि अक्टूबर में चीनी मिलों को कुल उत्पादन का लगभग सारे हिस्से की बाजार में आपूर्ति करनी पड़ेगी।
उम्मीद है कि आपूर्ति बढ़ने से कीमतें काबू में रहेंगी। इसके अलावा चीनी की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार चीनी आयात करने पर भी विचार कर रही है। हांलाकि सरकार का मानना है कि देश में चीनी की कोई कमी नहीं है।

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