कार्बेट टाईगर रिजर्व के अधिकारी करा रहे हैं अवैध खनन
कालागढ। यहां स्थित एशिया की सबसे बडी उत्तराखंड सिंचाई विभाग की कार्यशाला की जमीन कार्बेट प्रशासन को सौंपे जाने के बाद भी वहां पर अवैध रूप से हो रहा खनन थमने का नाम नहीं ले रहा है। कार्यशाला की जमीन में खुदायी कराकर लाखों रूपये की मिट्टी तथा मलवा यूपी में बेचा जा रहा है तथा कार्बेट प्रशासन पूरी तरह चुप्पी साधे बैठा है।
कार्बेट के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते उत्तराखंड सिंचाई विभाग की कार्यशाला की जमीन में व्यापक पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। बताया जा रहा है कि बीती दस जुलाई को उत्तराखंड सिंचाई विभाग के अधिपत्य वाली केंद्रीय कार्यशाला की 2.26 हैक्टेअर जमीन खाली करके कार्बेट प्रशासन को हस्तांतरित की गयी थी।
इसके बाद कार्बेट के अधिकारियों की मीलीभगत के चलते जमीन को समतल करने के नाम पर कार्यशाला की जमीन में जेसीबी मशीनों द्वारा कई फीट गहरी खुदायी कराकर भारी मात्रा में मलवा व मिट्टी एकत्र की गयी।
संबंधित विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में कार्बेट के कर्मचारियों की मौजूदगी में यहां से टैªक्टर-ट्राली तथा डम्परों से भारी मात्रा में मिट्टी तथा भवनों का मलवा ढोया जा रहा है तथा विभागीय अधिकारियों सहित समूचा कार्बेट प्रशासन पूरी तरह रहस्यमय चुप्पी साधे हुये है।
दूसरी ओर यहां पर खनन होने से वर्षाकाल के दौरान कार्यशाला की जमीन में वर्षाकाल के दौरान बारिश का पानी भरने इस्लाम नगर ग्राम पंचायत के तहत स्थित पुराना कालागढ पर बाढ का खतरा मंडराने लगा है। जिसके चलते कार्यशाला की जमीन में हो रहे खनन को लेकर जबरदस्त आक्रोश जताते हुये ग्रामीणों ने कार्यशाला की जमीन किया जा रहा खनन तत्काल बंद करने की मांग की है।
खनन नहीं कराया जा रहा है कि। कार्यशाला की जमीन पर एकत्र मिट्टी तथा मलवा हटवाया जा रहा है। मामला विभागीय आला अधिकारियों के संज्ञान में है। आपको कोई परेशानी है तो अधिकारियों से बात कर लें।
आरके तिवारी
एसडीओ, सीटीआर कालागढ
सिंचाई विभाग उत्तराखंड द्वारा मलवा हटाने की अनुमति ली गयी है। उनके द्वारा ही मलवा हटवाया जा रहा है। अवैध तरीके से मिट्टी तथा मलवा नहीं उठने दिया जायेगा। सम्बंधित डीएफओ से मामला देखने के लिये कहा गया है।
सुरेन्द्र मेहरा
डायरैक्टर, सीटीआर
यह था मामला
कालागढ। ठैकेदार से सांठगांठ करके सिंचाई विभाग के संबंधित जेई द्वारा नीलामी का सामान उठाये जाने समय सीमा निर्धारित न होने का हवाला देकर अपनी मौजूदगी में यहां स्थित कार्यशाला की जमीन में जून अंतिम सप्ताह में अवैध खनन शुरू कराया गया था।
सामाजिक संगठनों द्वारा इस मामले में शिकायत कर उत्तराखंड सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों सहित राज्य सरकार से पूरे प्रकरण की जांच कर दोषी जेई के विरूद्ध कडी कार्यावाही किये जाने की मांग की गयी थी।
मामले की जांच तो नहीं की गयी लेकिन एनजीटी में कालागढ मामले में जवाब दाखिल किये जाने की बाध्यता के चलते खनन का काम बंद कराकर बीती दस जुलाई को सिंचाई विभाग उत्तराखंड यह जमीन खाली करके द्वारा कार्बेट प्रशासन को सौंप दी गयी।
इसके बाद यहां पर कार्बेट के अधिकारियों द्वारा खनन का खेल शुरू कर दिया गया। सामाजिक संगठनों द्वारा शिकायत किये जाने के बाद जुलाई माह के अंत में खनन बंद करा दिया गया। लेकिन सोमवार को कार्बेट के अधिकारियों कर मिलीभगत के चलते दोबारा खनन शुरू कर दिया गया ।