Monday, November 3, 2025
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हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोरो पर मारामारी / सत्ता के स्वाद से जुड़ा मसला निर्णायक दौर में पहुँचा!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोरो पर मारामारी / सत्ता के स्वाद से जुड़ा मसला निर्णायक दौर में पहुँचा!*
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हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद का फैंसला अब निर्णायक दौर में पहुंच चुका है। क्योंकि बिहार चुनाव में प्रचार भी अब लगभग खत्म हो चुका है और सभी प्रमुख नेता व कार्यकर्ता वापिस हरियाणा में आ चुके हैं। यह माना जा रहा है बिहार चुनाव के बाद हरियाणा भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का ऐलान होना ही है। हरियाणा भाजपा के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर पार्टी में सियासी हलचल बढ़ गई है। इसके लिए जिलाध्यक्षों व विधानसभा स्तर के अध्यक्षों के चुनावी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह को चुनाव अधिकारी तय कर दिया है जो पार्टी आलाकमान का निर्देश मिलते ही चुनावी प्रक्रिया शुरू कर देंगे। प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए हरियाणा भाजपा के कुल 117 डैलीगेट्स अधिकृत हैं। इनमें 27 जिलाध्यक्ष व 90 विधानसभा क्षेत्रों के संगठन के अध्यक्ष हैं। वैसे यह कहावत है कि भाजपा में पहले से सब कुछ तय होता है। फिर भी कुछ दावेदारों ने हाथ-पैर मारने शुरू कर दिए हैं। कुछ नेताओं ने लॉबिंग करने की बजाय फैसला किस्मत पर छोड़ दिया है। यदि बात जातिवाद औऱ क्षेत्रवाद की करे तो मुख्यमंत्री नायब सैनी ओ.बी.सी. समुदाय से हैं। इसलिए जातीय समीकरण का संतुलन बनाए रखने के लिए इस बार यह कुर्सी पार्टी के किसी जाट, ब्राह्मण, वैश्य या फिर पंजाबी नेता के खाते में जाएगी। औपचारिक तौर पर भले ही इसके लिए चुनाव हों लेकिन एक कैडरबेस पार्टी होने के नाते अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान का ही होना होता है। यह भी तय है कि मुख्यमंत्री की राय को भी अहमियत दी जानी है। यदि सीएम की पसंद चली तो पूर्व मंत्री सुभाष सुधा तथा पूर्व मंत्री असीम गोयल में से किसी एक कि लाटरी निकल सकती है। वैसे यह भी सर्वविदित है कि प्रदेशाध्यक्ष बनने से पहले प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी का अनुभव होना चाहिए। हो सकता है कि कोई चौंकाने वाला नाम भी सामने आ जाए। 2024 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को ब्राह्मण, पंजाबी व वैश्य समुदाय का अच्छा खासा समर्थन मिला था।
2014 के बाद ज्यादातर चुनावों बनिया वोट बैंक भाजपा के साथ खड़ा नजर आया। आजकल असीम की गिनती मुख्यमंत्री के भरोसेमंद नेताओं में होती है। पार्टी आलाकमान के कुछ नेताओं से भी उनकी अच्छी राम राम हैं। अभी यह देखना है पार्टी किस पर मेहरबान होती है और सत्तारूढ़ दल के संगठन की कमान किसे मिलती है। बड़ौली को दूसरी बार मौका मिल सकता है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को ब्राह्मण मतदाताओं के करीब 51 फीसदी वोट मिले थे। चुनाव मुख्यमंत्री नायब सैनी व मोहन लाल बड़ौली की अगुवाई में लड़ा गया। सैनी को दोबारा से मुख्यमंत्री बनाया गया। इस लिहाज से बड़ौली को भी दूसरी बार अध्यक्ष बनने पर विचार हो सकता है। इसके अलावा संजय भाटिया, सुरेन्द्र पूनिया, कैप्टन अभिमन्यू, विपुल गोयल, जगमोहन आनंद, कमल गुप्ता, अर्चना गुप्ता, असीम गोयल व कृष्ण बेदी के नाम भी चर्चा में हैं। भाजपा बनने के बाद से हरियाणा में ज्यादातर प्रदेश अध्यक्ष जाद, ब्राह्मण, पंजाबी व ओ.बी.सी. समाज से बने। इस बार ऐसा भी हो सकता है कि भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष अनुसूचित समाज से न बन जाए

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