हाईकोर्ट ने तलाक के सात माह बाद दहेज उत्पीड़न का केस रद्द करते हुए कहा / यह सीधे तौर पर कानून का दुरुपयोग*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हाईकोर्ट ने तलाक के सात माह बाद दहेज उत्पीड़न का केस रद्द करते हुए कहा / यह सीधे तौर पर कानून का दुरुपयोग*
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चंडीगढ़ ;- पंजाब & हरियाणा हाईकोर्ट ने तलाकशुदा व्यक्ति और उसके परिवार के खिलाफ दर्ज दहेज उत्पीड़न की एफआईआर को खारिज करते हुए इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि शादी खत्म होने के सात महीने बाद दर्ज की गई यह एफआईआर दुर्भावनापूर्ण है और इसका कोई औचित्य नहीं है।
पति ने फरवरी 2020 में दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याची ने बताया कि शादी 22 दिसंबर 2015 को भारत में हुई थी। इसके कुछ ही समय बाद फरवरी 2016 को अमेरिका में तलाक की याचिका दायर की गई, जहां पति-पत्नी और उनके माता-पिता स्थायी निवासी और नागरिक हैं। तलाक की प्रक्रिया के दौरान दोनों पक्षों के बीच एक व्यापक समझौता हुआ, जिसमें बच्चों, संपत्तियों, बैंक खातों, कर्ज, बीमा, टैक्स और अन्य सभी मामलों का निपटारा कर लिया गया था। यह समझौता लिखित रूप में कोर्ट के रिकॉर्ड में दर्ज है। दोनों पक्षों के बीच सहमति से तलाक हो गया था।
कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने एफआईआर दर्ज करते समय न तो तलाक का जिक्र किया और न ही इस तथ्य का कि दोनों पक्षों के बीच सभी विवाद सुलझ चुके हैं। केवल रूटीन आरोप लगाए हैं जिनमें दहेज की मांग और स्त्रीधन की वापसी का मुद्दा शामिल है।
कोर्ट ने कहा कि पूरा विवाद पहले ही सुलझ चुका था, जिसे शिकायतकर्ता ने एफआईआर में छिपाया। यह दर्शाता है कि इस एफआईआर का उद्देश्य दुर्भावनापूर्ण था। कोर्ट ने कहा कि समझौते में यह स्पष्ट रूप से लिखा था कि सोने आदि के गहनों सहित स्त्रीधन से जुड़ी सभी चीजें भी निपटा दी गई थीं। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले में कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं होने दिया जा सकता।

