सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा मैं जस्टिस वर्मा को चुनने वाली कॉलेजियम में था, इसलिए मेरा सुनवाई करना ठीक नहीं*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा मैं जस्टिस वर्मा को चुनने वाली कॉलेजियम में था, इसलिए मेरा सुनवाई करना ठीक नहीं*
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सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस यशवंत वर्मा की उस याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें उन्होंने आधिकारिक आवास पर भारी मात्रा में कैश की बरामदगी को लेकर इन-हाउस कमेटी की रिपोर्ट को चुनौती दी थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई ने बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इस याचिका में इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी गई है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में न्यायमूर्ति वर्मा को कथित “कैश रिकवरी” विवाद में दोषी ठहराया था।
सीजेआई गवई ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, “मैं इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकता क्योंकि मैं भी उस समिति का हिस्सा था। हमें इस मामले को सूचीबद्ध करना होगा और इसके लिए एक नई पीठ का गठन करना पड़ेगा।” CJI गवई ने कहा, “मैं जस्टिस वर्मा को चुनने वाली कॉलेजियम में था, इसलिए मेरा सुनवाई करना ठीक नहीं है।” यह टिप्पणी उस समय आई जब कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से इस मामले का शीघ्र निपटारा करने की मांग की। सिब्बल ने बताया कि याचिका में संवैधानिक प्रश्न उठाए गए हैं, इसलिए शीघ्र सुनवाई आवश्यक है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची भी शामिल थे। जस्टिस वर्मा ने भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा 8 मई को की गई उस सिफारिश को भी रद्द करने की मांग की है, जिसमें उन्होंने संसद से उनके खिलाफ महाभियोग शुरू करने का आग्रह किया था।
*क्या है मामला?*
जस्टिस यशवंत वर्मा उस समय दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायाधीश थे, जब 14 मार्च की रात करीब 11:35 बजे उनके आधिकारिक आवास पर आग लगने की घटना हुई। इस घटना के बाद मौके से कैश बरामद होने की खबर सामने आई, जिसे लेकर विवाद गहराया। इसके बाद, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागु के नेतृत्व में गठित तीन-सदस्यीय समिति ने 10 दिनों तक जांच की, जिसमें 55 गवाहों से पूछताछ की गई और घटनास्थल का निरीक्षण भी किया गया।
*क्या बोली थी जांच समिति?*
घटना की जांच कर रही समिति की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का उस स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था जहां बड़ी मात्रा में अधजली नकदी मिली थी और इससे उनके कदाचार का प्रमाण मिलता है जो इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।

