*कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने जारी बयान में कहा / HPSC बना ‘हेराफेरी’, ‘धांधली’ और ‘गड़बड़झाले’ का अड्डा !/ असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती में रोजाना ‘गड़बड़ियाँ’ / HPSC हो बर्खास्त/ प्रश्नपत्र की प्रक्रिया की हो न्यायिक जाँच*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने जारी बयान में कहा / HPSC बना ‘हेराफेरी’, ‘धांधली’ और ‘गड़बड़झाले’ का अड्डा !/ असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती में रोजाना ‘गड़बड़ियाँ’ / HPSC हो बर्खास्त/ प्रश्नपत्र की प्रक्रिया की हो न्यायिक जाँच*
*असिस्टैंट प्रोफेसर की परीक्षा दोबारा आयोजित हो – दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो !*
चंडीगड़ ;- असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती को लेकर सांसद व कांग्रेस महासचिव, रणदीप सिंह सुरजेवाला ने नायब सैनी सरकार की तथाकथित पारदर्शी नौकरी भर्ती प्रणाली को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया। हरियाणा की भाजपा सरकार व हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन ;भ्च्ैब्द्ध पर ताबड़तोड़ हमला करते हुए सुरजेवाला ने इल्ज़ाम लगाया कि HPSC अब हेराफेरी, धांधली और गड़बड़झाले का अड्डा बन गया है।
सुरजेवाला ने कहा कि आए दिन नौकरी भर्ती के प्रश्नपत्र व पूरी भर्ती प्रणाली संदेह, मिलीभगत तथा घालमेल के घेरे में आ खड़ी होती है और मुख्यमंत्री, श्री नायब सैनी व HPSC अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। आरोप लगाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि हाल में ही चल रही HPSC की असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में रोज उजागर हो रही गड़बड़ियाँ, घालमेल, गलतियाँ व त्रुटिपूर्ण प्रश्नपत्रों ने साल 2019 से असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती का इंतजार कर रहे हरियाणा के लाखों युवक व युवतियों की जिंदगी को बर्बाद कर दिया है। रणदीप ने कहा कि इसकी सीधी जिम्मेवारी मुख्यमंत्री, श्री नायब सैनी व बिहार से आयात कर हरियाणा पर थोपे गए HPSC के चेयरमैन आलोक वर्मा की है।
रणदीप ने कागजात और सबूत जारी करते हुए कहा कि ‘हेराफेरी की HPSC, यानी हेराफेरी सर्विस कमीशन’ में भाजपा सरकार में लगातार घोटाले और गड़बड़ियाँ हो रही हैं, पर उन पर पर्दा डालने और झूठी जाँच के नाम पर मामले को रफादफा कर हरियाणा के युवाओं के भविष्य को एक अंधेरे गर्त में धकेला जा रहा है।
सुरजेवाला ने दावा किया कि उन्होंने HPSC की कार्यप्रणाली, गड़बड़झाले व हालिया असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया की तथ्यात्मक जाँच की है व इस पूरे घालमेल की ‘क्रोनोलॉजी’ को समझने की आवश्यकता है, जो इस प्रकार है:-
1. 23 अक्टूबर, 2020 को भाजपा सरकार ने बिहार से आयात कर श्री आलोक वर्मा को HPSC का चेयरमैन लगा दिया। 17 नवंबर, 2021 को हरियाणा के इतिहास का ‘‘अटैची रिश्वत कांड’’ HPSC में हुआ। HPSC के कार्यालय में HPSC के सचिव, श्री अनिल नागर के कमरे से ₹1.08 करोड़ बरामद हुए तथा कुल ₹3.60 करोड़ की बरामदगी हुई व HPSC की ‘डेंटल सर्जन भर्ती’ की ओएमआर शीट भी पकड़ी गई।
यही नहीं, HPSC की भर्ती प्रक्रिया चलाने वाले ऑनलाईन प्लेटफॉर्म एजेंसी के दो मालिकों को भी गिरफ्तार किया गया। जाँच में यह भी सामने आया कि हरियाणा सिविल सर्विस भर्ती, डेंटल सर्जन भर्ती, स्टाफ नर्स भर्ती, वीएलडीए भर्ती व एएनएम भर्ती में भी पैसे का लेनदेन हुआ। (संलग्नक A1)
इतना ही नहीं, गिरफ्तार HPSC सचिव, अनिल नागर ने अदालत में कहा कि HPSC कार्यालय से बरामद ₹1.08 करोड़ उसका नहीं, असल में HPSC का है। (संलग्नक A2)
इतने भारीभरकम ‘अटैचीकांड’ व ‘घोटाले’ के बावजूद भी न तो HPSC को बर्खास्त किया गया और न ही श्री आलोक वर्मा, चेयरमैन एचपीएससी को जाँच के लिए बुलाया गया।
2. साल, 2019 के बाद, यानी 7 साल से, हरियाणा में असिस्टैंट प्रोफेसर (कॉलेज काडर) की नियुक्ति नहीं हुई।
अगस्त, 2024 में 26 सब्जेक्ट्स के 2,424 असिस्टैंट प्रोफेसर के पदों की एडवरटाईज़मेंट HPSC द्वारा निकाली गई तथा लगभग 1.5 लाख युवाओं ने एप्लाई किया।
जैसे ही असिस्टैंट प्रोफेसर एग्ज़ाम प्रक्रिया शुरू हुई, वह गड़बड़झालों, घालमेल और गलतियों के घेरे में आ गई।
3. 29 मई, 2025 को हुए असिस्टैंट प्रोफेसर (पॉलिटिकल साईंस) के पेपरों की सील टूटी मिली।
मुख्यमंत्री, श्री नायब सैनी से लेकर डीसी, पंचकुला तक शिकायत की। पर मामला रफादफा कर दिया गया।
4. 01 जून, 2025 को HPSC द्वारा असिस्टैंट प्रोफेसर (हिंदी) का पेपर लिया गया। एक बार फिर 6 प्रश्नपत्रों की सील टूटी मिली और लिफाफे खुले मिले। प्रश्नपत्र में 27 प्रश्न ही गलत थे।
परंतु श्री आलोक वर्मा, चेयरमैन व HPSC ने 30 मई, 2025 को लिखित ऑर्डर जारी कर कहा कि सबकुछ ठीकठाक है व केवल पैक करते हुए सील टूट गई थी।
जब बहुत शोर मचा तो 3 जून, 2025 को, यानी दो दिन बाद, HPSC ने असिस्टैंट प्रोफेसर (हिंदी) का पेपर कैंसल कर दिया। अगर सील टूटी नहीं थी और प्रश्न गलत ही नहीं थे, तो फिर पेपर कैंसल क्यों किया? यही गड़बड़झाले का सबसे बड़ा सबूत है।
5. अब गड़बड़झाले, घालमेल और त्रुटिपूर्ण प्रश्नपत्र का सबसे ताजा सबूत असिस्टैंट प्रोफेसर, (ज्योग्रैफी) का 08 जून, 2025 को आयोजित पेपर है।
HPSC द्वारा आयोजित असिस्टैंट प्रोफेसर, (ज्योग्रैफी) पेपर की कॉपी संलग्नक A3 है।
HPSC द्वारा आयोजित इस असिस्टैंट प्रोफेसर, (ज्योग्रैफी) के पेपर में 26 सवाल ऐसे हैं, जो ‘बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन’ के ज्योग्रैफी के पेपर से हूबहू नकल कर छाप दिए गए हैं तथा 6 सवाल ऐसे हैं, जो ‘बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन’ के पेपर से आंशिक रूप से दोहराए गए हैं। यानी 32 सवाल बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के ज्योग्रैफी पेपर से ले लिए गए हैं। बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के इस पेपर की कॉपी संलग्नक A4 है। 26 और 6 सवालों के प्रश्नपत्र क्रम संख्या का चार्ट संलग्नक A5 है। युवाओं ने बाकायदा इस बारे HPSC को लिखित शिकायत की है। युवाओं द्वारा HPSC को दिए गए ज्ञापन की कॉपी A6 संलग्न है।
यह संयोग है या प्रयोग कि बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के पेपर के 32 सवाल HPSC में लगा दिए गए हैं और चेयरमैन, HPSC, आलोक वर्मा भी बिहार से आयात किए गए हैं।
अब घालमेल का सीधा तरीका है कि जिस बच्चे को नाजायज तरीके से पास करना हो, उसे कहो कि बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन का पेपर पढ़ ले। वैसे भी अगर नकल बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन के पेपर की मारनी है, तो HPSC का अलग पेपर कराने की जरूरत ही क्या है?
6. यही हाल, घालमेल, हेराफेरी और गड़बड़झाला असिस्टैंट प्रोफेसर (हिस्ट्री) के HPSC के पेपर का भी है।
HPSC के असिस्टैंट प्रोफेसर (हिस्ट्री) का पेपर 18 मई, 2025 को हुआ और इसमें भी हूबहू 22 सवाल छत्तीसगढ़ के असिस्टैंट प्रोफेसर (हिस्ट्री) के पेपर से नकल मारकर लिख दिए गए। HPSC के असिस्टैंट प्रोफेसर (हिस्ट्री) के पेपर की प्रतिलिपि संलग्नक A7 है। छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन के उस पेपर, जिससे 22 सवाल हूबहू नकल मार HPSC द्वारा पूछे गए हैं, उसकी कॉपी संलग्नक A8 है। छत्तीसगढ़ के प्रश्नपत्र और हरियाणा के 22 प्रश्नों का तुलनात्मक चार्ट संलग्नक A9 है।
यही नहीं, HPSC के असिस्टैंट प्रोफेसर (हिस्ट्री) के 16 सवाल उत्तराखंड सेट एग्ज़ामिनेशन के हिस्ट्री पेपर में 7 जनवरी, 2024 को पूछे गए थे। HPSC का पेपर उसकी भी नकल है। उत्तराखंड सेट पेपर की कॉपी भी संलग्नक A10 है।
इस भारी अनियमितता बारे युवाओं द्वारा बाकायदा चेयरमैन, HPSC को सारे सबूत दिए गए, पर हुआ कुछ नहीं। युवाओं द्वारा दिए गए ज्ञापन की प्रतिलिपि A11संलग्न है। HPSC के घालमेल का आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में जो सवाल गलत पूछ लिया गया, HPSC से हरियाणा में भी उसे हूबहू गलत लगा दिया। उदाहरण के तौर पर सवाल नंबर 44 विजय नगर रियासत के सालुव डायनेस्टी बारे है, जिसमें छत्तीसगढ़ में चारों विकल्प गलत थे। HPSC ने हूबहू गलत सवाल लगा दिया। इसी प्रकार सवाल 49 में छत्तीसगढ़ में हिंदी और अंग्रेजी में गलत तरीके से अलग-अलग विकल्प लिख दिए गए। HPSC ने उसे भी हूबहू लिख दिया। शायद इसीलिए कहते हैं कि नकल के लिए भी अक्ल की जरूरत है।
अगर HPSC द्वारा छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के पेपर की नकल मारकर ही वही सवाल पूछने हैं, वह चाहे गलत भी हों, तो HPSC की भर्ती प्रणाली के क्या मायने बच जाते हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती में HPSC द्वारा किया गया फर्जीवाड़ा, घालमेल व गड़बड़झाला बिल्कुल साफ है। रणदीप ने यह भी कहा कि जिस HPSC को प्रश्नपत्र भी बनाना नहीं आता और दूसरे प्रांतों से नकल मारकर पूछे गए प्रश्न भी गलत हैं, तो ऐसी HPSC भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से हरियाणा के युवाओं भविष्य को अंधकार में धकेलने का क्या औचित्य है।
सुरजेवाला ने भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री, श्री नायब सैनी से सीधी मांग रखी:-
1. HPSC को फौरन बर्खास्त किया जाए।
2. असिस्टैंट प्रोफेसर भर्ती के सभी पेपर दोबारा पारदर्शी व निष्पक्ष तरीके से आयोजित किए जाएं।
3. असिस्टैंट प्रोफसर भर्ती प्रक्रिया में घालमेल की न्यायिक जाँच हो।
4. HPSC की प्रश्नपत्र प्रणाली में जिम्मेवारी, जवाबदेही, निष्पक्षता व पारदर्शिता निर्धारित करने के लिए एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया जाए।
5. प्रश्नपत्रों में भयंकर अनियमितताओं करने वाले सभी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

