हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में नायब सैनी के कैबिनेट मंत्री और एमएलए ने सरकार की खूब करवाई जिल्लत*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में नायब सैनी के कैबिनेट मंत्री और एमएलए ने सरकार की खूब करवाई जिल्लत*
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चंडीगढ़ ;- हरियाणा विधानसभा 11 मार्च को तू-तू…मैं-मैं…का मैदान गई। वह भी सत्ता पक्ष के एक विधायक और कैबिनेट मंत्री के ही बीच। बात गोहाना की जलेबी से निकलकर गोबर खाने तक पहुंच गई, जिसका अंत आरोप साबित होने पर राजनीति तक छोड़ देने के ऐलान से हुआ। घटनाक्रम शर्मनाक था, लेकिन दिलचस्प भी। मीडिया गैलरी से लेकर हरियाणा के दूर दराज से अपने माननीयों को देखने-सुनने आए लोग ये देख अवाक् थे। वह देख रहे थे कि जिन्हें बड़ी उम्मीद के साथ उन्होंने अपना भाग्य विधाता बनाते हुए इसलिए चुन कर भेजा है कि वह लोकतंत्र के मंदिर में जाकर उनकी जिंदगी को खुश्गवार बनाने वाले फैसले लेंगे। लेकिन वह किस तरह मवालियों जैसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन यह वाक्या हुआ सोनीपत जिले के गोहाना से विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद शर्मा और भाजपा के ही जींद जिले की सफीदों विधानसभा सीट से विधायक रामकुमार गौतम के बीच। अरविंद शर्मा राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलने के लिए खड़े हुए थे। बात पूरे हरियाणा में मशहूर गोहाना की जलेबी से शुरू हुई। अरविंद शर्मा कह रहे थे कि ये जलेबी हरियाणा से निकल कर महाराष्ट्र तक पहुंच चुकी है। अब बिहार में भी ये पहुंचने वाली है। स्पीकर हरविंद्र कल्याण इस पर कहने लगे कि गोहाना की जलेबी का बार-बार नाम लेकर मुंह में पानी ला दिया, लेकिन ये नहीं बताया कि खिलाओगे कब। इस वार्तालाप के बीच भाजपा विधायक राम कुमार गौतम खड़े हुए और कहने लगे अब गोहाना की जलेबी शुद्ध नहीं रहीं। ये देशी घी में नहीं बनाई जाती, लेकिन उनके इस्तेमाल किए गए शब्द और कहने का अंदाज ऐसा था कि अरविंद शर्मा को बुरा लग गया। इसके पीछे वजह शायद यह थी की उनका दावा उनकी ही पार्टी के विधायक ने तार-तार कर दिया था। जवाब में अरविंद शर्मा ने कहा कि ये पता नहीं किस किस दुकान पर चले जाते हैं। वह यहीं नहीं रुके। वह कहने लगे कि ये तो शर्त लगाकर 10 किलो गोबर तक पी गए थे। रामकुमार गौतम की तरफ इशारा करते हुए यकीन से वह बोले कि इन्हीं से पूछ लो। जवाब में रामकुमार गौतम भी कहां रुकने वाले थे। अरविंद शर्मा पर उन्होंने बड़े गंभीर आरोप लगा दिए। स्पीकर ने जिन्हें बाद में कार्यवाही से निकाल दिया, लेकिन तब तक मामला बिगड़ चुका था। सत्तापक्ष के ही दो विधायकों में गर्मागर्मी से सरकार की किरकिरी हो चुकी थी। आरोप बेहद गंभीर किस्म के थे। विपक्ष ने भी मुद्दे को हाथों हाथ लपक लिया। कांग्रेस के विधायक खड़े होकर आरोपों पर जांच की मांग करने लगे। उधर, अरविंद शर्मा तिलमिलाए बैठे हुए थे। उनकी जग हंसाई हो चुकी थी। लिहाजा, भरपाई के लिए अरविंद शर्मा ने ऐलान किया कि यदि रामकुमार गौतम लेन-देन की एक भी बात सिद्ध कर दें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। जाहिर है यह मसला स्पीकर ने फिलहाल तो खत्म कर दिया है, लेकिन इसकी गूंज दूर तक जाने वाली है। कांग्रेस विधायक रघुवीर कादियान ने स्पीकर से कहा कि इस सदन की गरिमा को बनाए रखें। इतना मत ढील छोड़ो कि सदन में ये हाल हो जाए। रघुवीर कादियान ने इससे पहले स्पीकर से राज्यपाल के अभिभाषण पर मंत्री अरविंद शर्मा के बोलने पर आपत्ति प्रकट की थी। उन्होंने कहा कि ये गलत है, पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। आप एक नई प्रथा शुरू कर रहे हैं, लेकिन स्पीकर ने उनकी मांग को खारिज कर दिया। विपक्ष का कहना था कि राज्यपाल का अभिभाषण सरकार ही लिखती है। मंत्री खुद भी एक तरह से सरकार है। लिहाजा, वह विपक्ष की बातों का जवाब तो दे सकता है, लेकिन चर्चा में भाग नहीं ले सकता। विधानसभा में लाडो लक्ष्मी योजना पर भी हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायक पूजा चौधरी ने सरकार से पूछा कि महिलाओं को 2100 रुपए कब से मिलेंगे। सरकार इसकी तारीख बताए। इस पर कैबिनेट मंत्री कृष्ण बेदी ने जवाब दिया कि सरकार इस पर विचार कर रही है। पूजा चौधरी ने सरकार के इस जवाब पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि बड़ी हैरानी है कि सरकार इस तरह का जवाब दे रही है। चुनाव में भाजपा का पहला संकल्प ही यही था। जिसके फार्म तक भर चुके थे। आधी आबादी के प्रति सरकार का यह रवैया ठीक नहीं है। मंत्री कृष्ण बेदी के यह कहने पर कि हमारी सरकार पर आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा किया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विधायक गीता भुक्कल समेत कांग्रेस के विधायक खड़े हो गए और मंत्री के रवैये पर आपत्ति जताई। विधायक पूजा चौधरी ने बाद में भी इसे लेकर स्पीकर से आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि मेरा सप्लीमेंट्री सवाल पूछने का अधिकार भी छीना गया है। इस सरकार का यह कैसा महिला सशक्तिकरण है। मैं सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं।