नगर निगम चंडीगढ़ की वित्तीय स्थिति पर उभरा विवाद: कर्मचारियों के पेंशन फंड से चुकता किया गया कंजौली वाटर स्कीम का बिल*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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नगर निगम चंडीगढ़ की वित्तीय स्थिति पर उभरा विवाद: कर्मचारियों के पेंशन फंड से चुकता किया गया कंजौली वाटर स्कीम का बिल*
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चंडीगढ़ (रमेश गोयत) ;- नगर निगम चंडीगढ़ की वित्तीय स्थिति पर अब सवाल खड़े हो गए हैं। जहां एक ओर निगम कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर कंजौली वाटर स्कीम के पानी के बिल का भुगतान करने के लिए कर्मचारियों के पेंशन फंड से पैसे निकालने का मामला सामने आया है। हाल ही में नगर निगम ने कर्मचारियों के पेंशन फंड से करीब 6 करोड़ रुपए निकाले, जो कंजौली वाटर वर्क्स के बिजली बिल के भुगतान के लिए उपयोग किए गए। यह कदम निगम की वित्तीय स्थिति की गंभीरता को उजागर करता है, जहां कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए पैसे की कमी हो रही है, लेकिन जुर्माना बचाने के लिए पेंशन फंड से पैसा निकालना पड़ रहा है।
इस पर सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी ने अकाउंट्स ब्रांच के सीनियर अधिकारी समर सिंह से बात की। समर सिंह ने बताया कि यह पैसा कंजौली वाटर वर्क्स के बिजली बिल के भुगतान के लिए निकाला गया है। यदि यह भुगतान समय पर नहीं किया जाता, तो निगम पर 11 लाख रुपये का पेनल्टी लग सकता था। हालांकि, बंटी ने इस निर्णय पर ऐतराज जताया और कहा कि यह बिल चंडीगढ़ प्रशासन को भरना चाहिए था, न कि नगर निगम को। उनका कहना था कि नगर निगम का काम केवल मेंटेनेंस और सर्विसेज तक सीमित है, और यह बिल चंडीगढ़ प्रशासन के दायरे में आता है, क्योंकि कंजौली वाटर वर्क्स पंजाब क्षेत्र से पानी सप्लाई करता है।
बंटी ने यह भी कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन नगर निगम पर अतिरिक्त बोझ डालकर इसे वित्तीय संकट में धकेल रहा है। पहले जो सड़क की स्ट्रीट लाइट्स का बिल प्रशासन द्वारा भरा जाता था, अब वह भी नगर निगम को भरना पड़ रहा है। इस स्थिति की आलोचना करते हुए बंटी ने कहा कि प्रशासन ने सारे खर्चे और बोझ नगर निगम पर डाल दिए हैं, जिससे निगम की आर्थिक स्थिति अत्यंत खराब हो गई है। इस मुद्दे पर नगर निगम में कर्मचारियों और पार्षदों के बीच रोष व्याप्त है, और इसने स्थानीय राजनीति में नए विवादों को जन्म दिया है। निगम के अधिकारियों ने यह भी आश्वासन दिया कि निकाले गए पैसे कर्मचारियों के पेंशन फंड में वापस कर दिए जाएंगे, लेकिन इस कदम को लेकर लोगों में असंतोष बना हुआ है।
नगर निगम की वित्तीय स्थिति को लेकर भविष्य में और विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, और यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन नगर निगम को इस तरह वित्तीय संकट में डालने का कोई समाधान खोजेगा।