Friday, September 13, 2024
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एक बार फिर हरियाणा सरकार से नाराज चर्चित आईएएस अशोक खेमका*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज़,
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एक बार फिर हरियाणा सरकार से नाराज चर्चित आईएएस अशोक खेमका*
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चंडीगढ़। अपनी टिप्पणियों और ट्वीट के माध्यम से सभी सरकारों में सुर्खियों में रहने वाले हरियाणा के आईएएस अशोक खेमका एक बार फिर से चर्चा में हैं। खेमका अपनी वर्ष 2016-17 की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एसीआर) रिपोर्ट के मुद्दे पर हरियाणा सरकार से भिड़ सकते हैं। इस रिपोर्ट में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनके अंक घटाते हुए प्रतिकूल टिप्पणी की है। इससे पदोन्नति रुकती देख खेमका ने कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में अर्जी लगाई, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। अब उन्होंने अपने एडवोकेट बेटे श्रीनाथ ए. खेमका के जरिये पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई है। हाईकोर्ट ने खेमका की याचिका पर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई अगले महीने होगी। 1991 बैच के आइएएस अशोक खेमका ने 7 जून 2017 को वर्ष 2016-17 के लिए एप्रेजल भरा था जिसमें मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने उन्हें दस में से 8.22 नंबर दिए। इसके बाद 27 जून को खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनिल विज ने उन्हें दस में से 9.92 अंक देते हुए टिप्पणी की कि कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने तीन साल में 20 से अधिक आईएएस अफसरों के साथ काम काम किया, लेकिन कोई भी अधिकारी खेमका के करीब नहीं था। खेमका की योग्यता, सच्चाई, ईमानदारी और बुद्धिमत्ता का कोई सानी नहीं। इसके बाद 31 दिसंबर 2017 को खेमका की एप्रेजल रिपोर्ट मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास पहुंची। सीएम ने विज के तर्कों से असहमति जताते हुए खेमका के नंबर काट दिए और उन्हें दस में से नौ अंक दिए। साथ ही उन्होंने लिखा कि खेमका पर विज की रिपोर्ट थोड़ी अतिरंजित (बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन) है।दरअसल एसीआर में दस में से नौ अंक होने के बावजूद सीएम की टिप्पणी से खेमका की केंद्र में अतिरिक्त सचिव के रूप में पदोन्नति प्रभावित हो सकती है। एक बैच से केवल 20 फीसदी आईएएस अफसरों को उच्च स्तर के लिए प्रमोट किया जाता है।और मुख्यमंत्री की टिप्पणी खेमका के खिलाफ काम करेगी। पदोन्नति प्रभावित होती देख पहले खेमका ने कैट में अर्जी लगाई और वहां बात न बनने पर हाई कोर्ट में याचिका लगाते हुए अपनी मूल्यांकन रिपोर्ट से सीएम की टिप्पणी हटाने और विज द्वारा दिए 9.92 नंबर बहाल कराने की मांग की है। इस पर न्यायमूर्ति राजीव शर्मा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव के जरिये प्रदेश सरकार को नोटिस थमाया है।

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