सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर बड़ा फैसला / ओबीसी, एससी-एसटी के छात्र भी है जनरल सीट पर एडमिशन के हकदार*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर बड़ा फैसला / ओबीसी, एससी-एसटी के छात्र भी है जनरल सीट पर एडमिशन के हकदार*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
नयी दिल्ली ;- आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार मेरिट के आधार पर अनारक्षित वर्ग की सीटों पर क्षैतिज आरक्षण के आधार पर दावा कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को भी रद्द कर दिया, जिसमें आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग की सीटों पर मेरिट के आधार पर एडमिशन देने से इनकार कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सौरभ यादव और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य समेत अन्य मामलों के आधार पर कहा कि एससी/एसटी/ओबीसी वर्ग (आरक्षित वर्ग) के उम्मीदवार अपनी योग्यता के आधार पर अनारक्षित या सामान्य वर्ग की सीटों पर भी क्षैतिज आरक्षण व्यवस्था के तहत दावा करने के हकदार हैं। उन्हें अनारक्षित वर्ग में प्रवेश दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राम नरेश रिंकू और अन्य की तरफ से दायर अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया। यह मामला मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला से संबंधित है, जिसमें आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों को सामान्य कोटे में दाखिला देने से इनकार कर दिया गया था।
मध्य प्रदेश में मध्य प्रदेश शिक्षा प्रवेश नियम 2018 के नियम 2(जी) के तहत 5 फीसदी सीटें सरकारी स्कूल से पढ़ने वाले छात्रों के लिए आरक्षित हैं। इनमें जो सीटें बचती हैं और जो अनारक्षित हैं, उन्हें ओपन कैटेगरी में स्थानांतरित कर दिया जाता है। इसके खिलाफ याचिका दायर की गई। याचिका में मांग की गई कि सीटें ओपन कैटेगरी में स्थानांतरित करने से पहले आरक्षित वर्ग के मेधावी छात्रों को, जो सरकारी स्कूल में पढ़ें हैं, उन्हें आवंटित की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। अब सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया है। अपीलकर्ताओं ने कहा कि सौरभ यादव के मामले में पारित आदेश को मान्यता न देकर उच्च न्यायालय ने गलती की है। उन्होंने कहा कि नीति के गलत अनुप्रयोग के कारण, एक विषम स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसमें यूआर-जीएस सीटों में, अपीलकर्ताओं की तुलना में बहुत कम मेधावी व्यक्तियों को प्रवेश मिल गया है, जबकि यूआर-जीएस उम्मीदवारों की तुलना में बहुत अधिक मेधावी अपीलकर्ताओं को प्रवेश से वंचित कर दिया गया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ‘खुली श्रेणी सभी के लिए खुली है, और इसमें किसी उम्मीदवार के लिए एकमात्र शर्त योग्यता है, भले ही उसे किसी भी प्रकार का आरक्षण लाभ मिला हुआ है या नहीं। अनारक्षित सीटों से मेधावी आरक्षित उम्मीदवारों को प्रतिबंधित करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि योग्यता के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।’