Sunday, December 22, 2024
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विनेश फोगाट सम्मान समारोह में नहीं पहुंचीं पहलवान बहन गीता-बबीता*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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विनेश फोगाट सम्मान समारोह में नहीं पहुंचीं पहलवान बहन गीता-बबीता*
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दादरी ;- विनेश फोगाट के सम्मान में समारोह में द्रोणाचार्य अवॉडी महाबीर फोगाट की बड़ी बेटी गीता और बबीता फोगाट नहीं पहुंचीं। इस बात की लोगों में चर्चा भी रही। हालांकि, उनके समारोह में न पहुंचने का कारण पता नहीं चल पाया। इससे पहले विनेश की एक पोस्ट में ताऊ महाबीर फोगाट का जिक्र न करने पर गीता के पति पवन सरोहा ने प्रतिक्रिया दी थी, क्या ताऊ महाबीर फोगाट को भूल गई..। पेरिस ओलंपिक में मिला घाव काफी गहरा है। इसे भरने में थोड़ा समय लगेगा। स्वदेश लौटकर, जो प्यार मिला है, उससे पदक न जीत पाने का दर्द कुछ कम हुआ है। लोगों के इस प्यार व सम्मान को ताउम्र याद रखूंगी और हमेशा कर्जदार रहूंगी। ओलंपियन विनेश फोगाट पैतृक गांव बलाली में शनिवार रात आयोजित सम्मान समारोह में यह कहते हुए भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि मैं कुश्ती छोडूंगी या जारी रखूंगी, इसका अभी मुझे भी नहीं पता। विनेश ने लोगों को तीन मिनट के लिए संबोधित किया।विनेश फोगाट करीब 14 घंटे का सफर तय कर रात करीब साढ़े 12 बजे अपने पैतृक गांव बलाली पहुंचीं। वह सीधे आयोजन स्थल पर गईं। सबसे पहले गांव के मंदिर में मत्था टेका। इसके बाद ग्रामीण पुष्प वर्षा के साथ मंच तक ले गए। मंच पर चढ़ते ही विनेश अपने ताऊ महाबीर फोगाट के गले लग गईं और इसके बाद दोनों की आंखें नम हो गईं। यह दृश्य देखकर आयोजन स्थल पर मौजूद लोग भी भावुक हो गए। इस दौरान लोगों ने नारे लगाकर विनेश का मनोबल बढ़ाया।
द्रोणाचार्य अवॉर्डी पहलवान महाबीर फोगाट ने रात 1:20 बजे समारोह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विनेश भले ही पदक लाने से चूक गईं, लेकिन 140 करोड़ देशवासियों ने उसे पदक से बढ़कर मान-सम्मान दे दिया। उन्होंने कहा कि देश के पहलवान वर्ष 2028 में होने वाले ओलंपिक की तैयारियों में अभी से जुट जाएं। अगले ओलंपिक में देश के लिए कुश्ती में दो-तीन नहीं बल्कि दस से अधिक मेडल आने चाहिए।।विनेश की मां प्रेमलता ने बातचीत में बताया कि देशवासियों ने स्वर्ण पदक विजेता से ज्यादा उनकी बेटी को प्यार दिया है। इसके लिए पूरा परिवार आभारी है। बेटी विनेश पर फख्र है, जो उसने कुश्ती में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया। हालांकि, पेरिस ओलंपिक में पदक न जीत पाने से कष्ट जरूर हुआ। उन्होंने कहा कि विनेश को उसका पसंदीदा मलाई का हलवा बनाकर खिलाऊंगी।
रात करीब डेढ़ बजे आयोजन स्थल पर अचानक विनेश की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद भी वह मंच पर डटी रहीं। विनेश की हिम्मत देखकर मंच के पास खड़े ग्रामीणों ने आपस में बात करते हुए हरियाणवी लहजे में कहा कि या छोरी हकीकत म्ह धाकड़ सै। विनेश ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं इस मान-सम्मान की हकदार हूं या नहीं। भाग्यशाली हूं, जो मैंने बलाली गांव की मिट्टी में जन्म लिया। कुश्ती में जितना मैंने सीखा है वह गांव की हर बहन को सिखाना चाहती हूं। अगर आगे चलकर बलाली की मेरी बहन हमारे रिकॉर्ड तोड़ती है तो बेहद खुशी होगी। विनेश ने बड़े-बुजुर्गाें से अपील की कि खेल के क्षेत्र में मेरी बहनों का साथ दें। आगे बढ़ने के लिए उन्हें आपके सहारे की जरूरत कदम-कदम पर पड़ेगी।

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