Tuesday, July 2, 2024
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हरियाणा में लोकसभा टिकट वितरण मामले भाजपा ने किया गेरो पे कर्म और अपनो पर सितम! संगठन द्वारा बार-बार हो रही है कर्मठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा में लोकसभा टिकट वितरण मामले भाजपा ने किया गेरो पे कर्म और अपनो पर सितम! संगठन द्वारा बार-बार हो रही है कर्मठ कार्यकर्ताओं की अनदेखी!*
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भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में बचे हुए लोकसभा के 4 उम्मीदवारों की घोषणा भी 2 दिन पहले कर दी है। यानी कि सभी 10 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। यदि बात उम्मीदवारों की करें तो इन 10 में से 6 उम्मीदवार प्रवासी है। इनका बैकग्राउंड बेस कांग्रेस है। यदि बात कुरुक्षेत्र लोकसभा की करें तो पूर्व विधायक डॉ पवन सैनी और पूर्व सांसद कैलाशो सैनी स्थानीय और मजबूत कंडीडेट थे। डॉ पवन सैनी RSS की पृष्ठभूमि से है पार्टी के प्रति वफादार भी है। लेकिन धनबल की कमी के कारण उनकी अनदेखी की देखी की गई और एक घण्टे पहले पैराशूट से भाजपा में आये नवीन जिंदल को भाजपा का टिकट दे दिया गया। यही आजाद विधायक औऱ बिजली मंत्री रणजीत चौटाला के साथ हुआ।भाजपा पार्टी ज्वाइन करने के घंटे भर में ही उन्हें हिसार लोकसभा टिकट दे दी गई। पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु औऱ भाजपा के मजबूत नेता हाथ मलते रह गए। सिरसा सीट से प्रत्याशी बनाए गए अशोक तंवर को भी भाजपा का दामन थामे लगभग 2 महीने ही हुए थे, वहाँ भी महिला सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर प्रवासी अशोक तंवर को दे दिया गया। भाजपा ने कांग्रेस बैकग्राउंड वाले जिन 6 नेताओं पर भरोसा जताया है, उनमें सबसे चौंकाने वाला नाम नवीन जिंदल का है। BJP ने वर्ष 2009 से 2014 तक केंद्र में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए-2 सरकार पर कोयला घोटाले को लेकर जमकर हमला बोला था। तब मनमोहन सिंह के साथ-साथ नवीन जिंदल भी उसके निशाने पर रहे लेकिन 10 साल बाद अचानक सब कुछ बदल गया। दरअसल, हरियाणा में भाजपा के टिकट वितरण का एनालिसिस करें तो पार्टी की स्ट्रेटेजी साफ हो जाती है। भाजपा शीर्ष नेतृत्व हर हाल में जिताऊ उम्मीदवार पर ही दांव लगाना चाहती है, फिर चाहे वह पार्टी के अंदर हो या किसी दूसरे दल में हो। एक बात हम बड़े विश्वास के साथ कह सकते हैं जो नेता कई वर्षों तक कांग्रेस में रहकर मिलाई चाटता रहा है और पार्टी के कमजोर होते ही मेंढक की तरह छलांग लगाकर भाजपा में आ गया उसकी क्या गारंटी है कि वह भाजपा में टिका रहेगा। इसकी सबसे बड़ी मिसाल हरियाणा का जाट चेहरा बीरेंद्र सिंह औऱ बिजेन्द्र सिंह है। जो भाजपा की सरकार में मजे लूटकर वापिस कांग्रेस में भाग गए।

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