पंजाब & हरियाणा हाइकोर्ट गैंगस्टरों पर कड़ी टिपण्णी, समाज के लिए खतरा बनने वालों ऐसे लोग अदालत से नरमी के हकदार नहीं*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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पंजाब & हरियाणा हाइकोर्ट गैंगस्टरों पर कड़ी टिपण्णी, समाज के लिए खतरा बनने वालों ऐसे लोग अदालत से नरमी के हकदार नहीं*
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चंडीगढ़ ;- फिरौती मांगने व अन्य धाराओं में आरोपी की नियमित जमानत याचिका को खारिज करते हुए पंजाब& हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि अदालतें गैंगस्टरों से सख्ती से निपटेंगी तो ही नागरिक चैन की जिंदगी जी सकेंगे और राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे।
समाज के लिए खतरा बनने वालों के प्रति हम आंखें नहीं मूंद सकते, ऐसे लोग अदालत से नरमी के हकदार नहीं। राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है कि सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और हिंसा व अस्थिरता का माहौल न बनने दे। ऐसा करके ही नागरिकों को भय के माहौल से निकाला जा सकता है।
जालंधर निवासी गोपी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए नियमित जमानत की मांग की थी। याची ने बताया कि उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 387, 389, 506, 509 और 120-बी के तहत जालंधर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। उसे सहअभियुक्त जसकरनजीत सिंह उर्फ सोढी के बयान के आधार पर इस मामले में फंसाया जा रहा है। याची ने कहा कि बयान काफी अस्पष्ट है और कहीं भी यह जिक्र नहीं है कि याची ने फिरौती मांगने में क्या भूमिका निभाई थी?
पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता और सह-आरोपियों के पास से 3.15 बोर की पिस्तौल और एक कारतूस के साथ फिरौती की रकम बरामद की गई थी। याची व सह आरोपी जग्गू भगवानपुरिया गैंग के सदस्य हैं और अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उनके द्वारा शिकायतकर्ता को डराने-धमकाने और प्रभावित करने की संभावना है।
सभी तथ्यों को देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि पंजाब में गिरोह संस्कृति का प्रसार हो रहा है और ये लोग हिंसा भड़काकर और नशीली दवाओं के माध्यम से वैमनस्य को बढ़ावा दे रहे हैं। अब यह जरूरी हो गया है कि कानून को मजबूत बनाकर सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने वाली इस विघटनकारी संस्कृति से सख्ती से निपटा जाए। यह न्यायालय तात्कालिक सामाजिक चिंताओं के प्रति अपनी आंखें बंद नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए रहम का हकदार नहीं है और ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जा सकती।