विजिलेंस ने चर्चित हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में भ्र्ष्टाचार मामले में नामजद दो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश किया था चालान, काउंसिल के चेयरमैन अदलखा के खिलाफ नही मिला कोई पुख्ता सबूत!*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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विजिलेंस ने चर्चित हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में भ्र्ष्टाचार मामले में नामजद दो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश किया था चालान, काउंसिल के चेयरमैन अदलखा के खिलाफ नही मिला कोई पुख्ता सबूत!*
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चंडीगढ ;- हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में हुए सर्टिफिकेट घोटाले में विजिलेंस ने कल दो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। इनमें काउंसिल के वाइस चेयरमैन सोहन लाल कंसल और भिवानी के सुभाष चंद्र अरोड़ा शामिल है। जबकि काउंसिल के अध्यक्ष चेयरमैन धीनेश अदलखा और रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा को लेकर जांच जारी है। अभी इन दोनों के खिलाफ अभी तक कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं मिला है। जिन आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया है, उसमें विजिलेंस ने पाया है कि सुभाष चंद्र अरोड़ा उम्मीदवारों को फंसाकर और पैसे के बदले सर्टिफिकेट के लिए तैयार करके लाता था।
जब उम्मीदवार राजी हो जाता था तो फिर उन्हें वाइस चेयरमैन सोहन लाल कंसल से मिलवाया जाता था। कंसल के मामले में पाया गया कि उन्होंने पैसे लेकर उम्मीदवारों को फर्जी सर्टिफिकेट प्रदान किए। जिससे योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी हुई। मामले की जांच कर रहे विजिलेंस डीएसपी गौरव शर्मा का कहना है कि दो आरोपियों पर आरोप साबित होने के बाद उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया है। दो अन्य आरोपियों को लेकर जांच चल रही है। दोनों के वाइस सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। इस तरह चली जांच कार्रवाई: चरखी दादरी के सत्यवान ने करीब दो माह पहले विजिलेंस को शिकायत दी थी। जिसके अनुसार उसके बेटे ने डी फार्मा किया हुआ है। जिस पर उसके बेटे ने डी-फार्मा सर्टिफिकेट के लिए हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में ऑनलाइन आवेदन किया था। 4150 रुपये फीस भी ऑननलाइन जमा करवाई थी। उसके बेटे ने काउंसिल जाकर ऑफलाइन भी दस्तावेज जमा करवाए थे। जहां 45 दिन में सर्टिफिकेट मिलने की बात कही गई। मगर कई माह बाद भी सर्टिफिकेट नहीं आया। इसी बीच किसी ने उनके बेटे को बताया कि एक व्यक्ति काउंसिल से मिलकर पैसे लेकर फार्मासिस्टों के रजिस्ट्रेशन करवाता है। फिर बेटे ने सुभाष चंद्र अरोड़ा से बात की तो उसने 65 हजार में सर्टिफिकेट दिलवाने की बात कही। इसके लिए उसने 30 हजार रुपये पहले और 35 हजार सर्टिफिकेट देते समय देने की बात कही। बेटे ने 30 हजार दे दिए। घटना के दिन सुभाष ने उसके बेटे को सूचना दी कि उसका सर्टिफिकेट बन गया है।