प्रथम श्रेणी का दर्जा मिलने के बाद अब हरियाणा के कॉलेज प्रोफेसर बन सकेंगे IAS*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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प्रथम श्रेणी का दर्जा मिलने के बाद अब हरियाणा के कॉलेज प्रोफेसर बन सकेंगे IAS*
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चंडीगढ ;- हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में कार्यरत सहायक और एसोसिएट प्रोफेसर अब नॉन एचसीएस कोटे में आईएएस बन सकेंगे। इन प्रोफेसर को 12 साल के इंतजार के बाद प्रथम श्रेणी का दर्जा मिला है। उच्च शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार ने दो सितंबर को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है।
दो प्रोफेसरों डॉ. विवेक भारती और डॉ. जैंद्र सिंह छिल्लर का नाम नॉन एचसीएस कोटे से आईएएस बनने वाले पांच अधिकारियों की सूची में शामिल है। प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2021 में पांचों नाम भारतीय लोक सेवा आयोग को भेजे हुए हैं। दोनों प्रोफेसर के नाम पर मुहर लगने में इनका प्रथम श्रेणी अधिकारी न होना आड़े आ रहा था। अब सरकार ने गजट अधिसूचना जारी कर यह अड़चन दूर कर दी है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने दूसरे कार्यकाल में कॉलेजों के वरिष्ठ लेक्चरर को 2010 में असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर का पदनाम और प्रथम श्रेणी अधिकारी का आधा-अधूरा दर्जा प्रदान किया था। उन्हें हरियाणा शिक्षा सेवा-1 का सिर्फ कागजी दर्जा मिला, वे प्रथम श्रेणी अधिकारी को मिलने वाली किसी सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते थे। दो सितंबर को सरकार ने अधिसूचना जारी कर इन्हें 2010 से ही प्रोफेसर नामित करने के साथ सभी सुविधाओं सहित प्रथम श्रेणी का दर्जा प्रदान किया है।
*एडवोकेट ने अधिसूचना पर उठाए सवाल*
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने दो सितंबर 2022 को जारी अधिसूचना 7 अक्तूबर 2010 से लागू करने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सामान्यत: कोई भी सरकारी अधिसूचना उसे जारी करने की तारीख से ही लागू होती है। संसद और राज्यों की विधानसभा के पास यह सांविधानिक अधिकार हैं कि वे कोई भी नए कानून या मौजूदा कानून में किसी संशोधन को पिछली तारीख से सदन में पारित करवाकर लागू कर सकती है। हालांकि, सरकार इस अधिसूचना को आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा के सदन पटल पर रखकर पारित करवा सकती है। चूंकि, ताजा अधिसूचना राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू की गई है।
*ग्रुप-ए का दर्जा न होने पर कैसे भेजे नाम?*
हेमंत कुमार ने सरकार से पूछा है कि जून-जुलाई 2020 में आवेदन करते समय कॉलेज प्रोफेसर के पास प्रथम श्रेणी अधिकारी का दर्जा नहीं था। बावजूद इसके 9 अगस्त 2020 को एचपीएससी ने नॉन एचसीएस कोटे के लिए चयनित अधिकारियों की लिखित परीक्षा भी ले ली। इसके बाद दो प्रोफेसरों के नाम चयनित कर पहले सरकार और उसके बाद भारतीय लोक सेवा आयोग को भेज दिए गए। इनका चयन सवालों के घेरे में है। हेमंत ने कहा कि उद्योग एवं वाणिज्य विभाग से अश्वनी कुमार गुप्ता, पशुपालन और डेयरी विभाग से डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी का नाम भी आईएएस के लिए भेजा गया है। ये पहले से ही प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं।