राज्यसभा चुनाव को लेकर अनेको प्रदेश में फंसा पेंच, चुनावी बिसात एक दूसरे को घेरने की तैयारियों में जुटी राजनीतिक पार्टियां*
राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राज्यसभा चुनाव को लेकर अनेको प्रदेश में फंसा पेंच, चुनावी बिसात एक दूसरे को घेरने की तैयारियों में जुटी राजनीतिक पार्टियां*
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
देश के 15 राज्यों में राज्यसभा चुनाव की 57 सीटों में से 41 पर उम्मीदवार निर्विरोध चुने जा चुके हैं। बाकी 16 सीटों में से चार पर राजनीतिक दलों के बीच धींगामुश्ती चल रही है। राज्यसभा की जिन 57 सीटों पर चुनाव प्रस्तावित थे, उनमें से 41 भर चुकी हैं। 15 में से 11 राज्यों में सांसद निर्विरोध चुन लिए गए। अब 10 जून को महाराष्ट्र की छह सीटों, राजस्थान और कर्नाटक की चार-चार और हरियाणा की दो सीटों पर मतदान होगा। उसी दिन राज्यसभा चुनाव के परिणाम भी घोषित कर दिए जाएंगे। इन चार राज्यों में राज्यसभा के लिए लड़ाई इतनी आसान नहीं है। बीजेपी हो या कांग्रेस या फिर शिवेसना-एनसीपी या जेडी(एस)… सबको डर सता रहा है कि कहीं 10 जून को उनके विधायक ‘गायब’ न हो जाएं, कहीं ‘गलती’ से गलत इंक न चुन लें… यह डर बेवजह नहीं है। राज्यसभा के चुनाव अक्सर विधायकों के लिए रिजॉर्ट/होटल्स की सैर का मौका लेकर आते हैं। साम, दाम, दंड, भेद… हर तरकीब भिड़ाई जाती है। 2022 के राज्यसभा चुनाव भी इससे अलग नहीं हैं। समझिए, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में क्या हलचल है।
राज्यसभा चुनाव में वोटिंग कैसे होती है? समझिए
राज्यसभा के सदस्य सीधे तौर पर जनता नहीं चुनती। विधानसभाओं के सदस्य मतदान में भाग लेते हैं। एक विधायक के पास 100 वोट होते हैं। स्पष्ट है कि किसी राज्य से वहां की सत्ताधारी पार्टी के राज्यसभा सदस्य सबसे ज्यादा होंगे। राज्यसभा का चुनाव एकल संक्रमणीय पद्धति से होता है। विधायक सभी उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में वोट देते हैं। सामान्य रूप से, प्रथम वरीयता से उम्मीदवार की हार-जीत का फैसला हो जाता है। कभी पेच फंसे तो दूसरी और तीसरी वरीयता के वोट भी गिनने पड़ते हैं। मान लीजिए किसी राज्य (उदाहरण के लिए राजस्थान) में 200 विधानसभा सीटें हैं। वहां राज्यसभा की 4 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। फॉर्म्युले के हिसाब से देखें तो राजस्थान में किसी उम्मीदवार को जीत के लिए 4001 वोटों की जस्रत पड़ेगी। एक विधायक के पास 100 वोट होते हैं, ऐसे में विजयी होने के लिए उम्मीदवार को प्रथम वरीयता वाले 41 वोट चाहिए होंगे। राजस्थान की राजनीति में इन दिनों हॉर्स ट्रेडिंग, एलिफेंट ट्रेडिंग, बाड़ाबंदी प्रमुख कीवर्ड्स हैं। मीडिया बैरन सुभाष चंद्रा के राजस्थान से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार उतरने से समीकरण बदल गए हैं। सीएम अशोक गहलोत ने पिछले दिनों कहा था कि उन्होंने (बीजेपी) चंद्रा को मैदान में उतारा है, लेकिन वे वोट कहां से लाएंगे। उन्होंने कहा था, ‘वे खरीद-फरोख्त में शामिल होंगे।’ चंद्रा को बीजेपी का परोक्ष समर्थन है। बसपा ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी किया है कि वे चंद्रा को वोट करें। ऐसे में अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस उन्हें उदयपुर ले आई है। सत्ताधारी कांग्रेस के लिए टेंशन का सबब है G-6 समूह। इनमें बसपा के चार और कांग्रेस के दो विधायक शामिल हैं। बसपा के विधायक जीते तो पार्टी के चुनाव चिन्ह पर थे मगर बाद में कांग्रेस के साथ आ गए थे। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में बीजेपी के पास 71 सीटें हैं जबकि कांग्रेस 108 सीटों पर काबिज है। बीजेपी को उम्मीद है कि 13 निर्दलीय, तीन RLP विधायक और दो BJP विधायक चंद्रा को वोट करेंगे तो वह जीत जाएंगे। कांग्रेस ने अपने विधायकों को उदयपुर में जमा किया है तो बीजेपी जयपुर में कैंप लगाने की सोच रही है। वहां के एक होटल में 6 जून से विधायक पार्टी के बड़े नेताओं की देखरेख में रहेंगे। बीजेपी इसे ‘ट्रेनिंग कैंप’ बता रही है मगर होटल में अरुण सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर को नजर रखने के लिए तैनात किया है।
कर्नाटक में केवल कांग्रेस ही नहीं, हर पार्टी को क्रॉस-वोटिंग का डर सता रहा है। यहां की चार सीट के लिए छह उम्मीदवार है। चौथी सीट के लिए मुकाबला तगड़ा है। इस सीट के लिए किसी पार्टी के पास पर्याप्त वोट नहीं हैं, मगर उम्मीदवार सबने खड़े किए हैं। सबको पता है कि क्रॉस-वोटिंग हो सकती है। ऐसे में सभी एक-दूसरे के खेमे में सेंध लगाने में जुटे हैं। बीजेपी ने उत्तरी कर्नाटक में कांग्रेस के कुछ नाराज विधायकों पर डोरे डाले हैं। बातचीत जारी है कि वे पार्टी के उम्मीदवार लहर सिंह सिरोया के लिए वोट करें। बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘इंतजार कीजिए और देखिए 10 जून को क्या होता है। आप पाएंगे कि कांग्रेस और JD(S) के कई विधायक हमारे उम्मीदवार को वोट कर रहे होंगे।’ कांग्रेस ने अपनी उम्मीदें JD(S) विधायक जीटी देवेगौड़ा, एसआर श्रीनिवास, शिवलिंगे गौड़ा और एटी रामास्वामी पर टिका रखी हैं। ये चारों ही पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी से अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर करते रहे हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने के संकेत भी दे चुके हैं। 2016 के राज्यसभा चुनाव में JD(S) के सात विधायकों ने क्रॉस-वोटिंग की थी।
हालांकि कुमारस्वामी ने शनिवार को कहा कि उनका एक भी विधायक इस बार नहीं टूटेगा। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास 32 विधायक हैं। उनमें से 3-4 नेता कुछ वजहों से नेतृत्व से असंतुष्ट हो सकते हैं लेकिन इसकी वजह से वे राज्यसभा चुनाव में पार्टी का साथ नहीं छोड़ेंगे। वे अब भी जेडी(एस) के विधायक हैं। मैं सभी 32 विधायकों के लिए हमारे उम्मीदवार कुपेंद्र रेड्डी को वोट करने की उम्मीद करता हूं।’
कांग्रेस ने पहले ही व्हिप जारी कर रखा है। पार्टी ने विधायकों से कहा है कि पहला प्राथमिकता वोट जयराम रमेश को दें और बाकी 25 वोट मंसूर अली खान को। बीजेपी और जेडी(एस) भी एक-दो दिन में विधायकों के लिए व्हिप जारी कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में भी शुरू हो चुकी है ‘रिजॉर्ट पॉलिटिक्स’
राजस्थान से निकलकर ‘रिजॉर्ट पॉलिटिक्स’ ने महाराष्ट्र में भी जगह बना ली है। यहां राज्यसभा की छह सीटों के लिए सात उम्मीदवार मैदान में हैं। विधानसभा के संख्या-बल को देखें तो बीजेपी दो सीटों पर जबकि महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार तीन सीटों पर जीत सकते हैं। छठी सीट के लिए हाई-वोल्टेज मुकाबला होगा। शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार संजय पवार को MVA का समर्थन है। उनका मुकाबला बीजेपी के धनंजय महादिक से है।
एनसीपी नेता छगन भुगबल की अगुवाई में MVA का एक प्रतिनिधिमंडल पिछले दिनों बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस से मिला था। ऑफर था कि महादिक को रेस से बाहर कर दिया जाए तो पार्टी को विधानपरिषद चुनाव में एक अतिरिक्त सीट दी जाएगी। एनसीपी के एक मंत्री ने बाद में कहा कि बीजेपी ने ऑफर ठुकरा दिया और वैसा ही ऑफर MVA के आगे रखा जिसे शिवसेना ने खारिज कर दिया। शिवेसना ने अपने सभी विधायकों को 8-9 जून को मुंबई के फाइव स्टार होटल में रहने को कहा है। बाकी पार्टियां भी इसी रास्ते पर हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी (105 विधायक) है। शिवेसना के 55 विधायक हैं, कांग्रेस के 44 और एनसीपी के 54 सदस्य हैं। किसी उम्मीदवार के जीतने के लिए 42 वोट चाहिए। अपने आधिकारिक उम्मीदवार को जिताने के बाद कांग्रेस के पास 2 सरप्लस वोट बचेंगे। NCP के पास 12 सरप्लस वोट हैं जो उसने शिवसेना को देने का वादा किया है। सेना के पास 13 सरप्लस वोट बचेंगे। सबको मिला दें तो MVA के सरप्लस वोट 27 होते हैं मतलब उसे बाहर से 15 वोट जुटाने होंगे। MVA को छोटे दलों और निर्दलीयों से उम्मीद है।हरियाणा में भी कांग्रेस की राह आसान नहीं है। विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और विधायक कुलदीप बिश्नोई के बीच तलवारें खिंची हुई हैं। बिश्नोई तो संकेत दे चुके हैं कि वे क्रॉस-वोटिंग कर सकते हैं। उन्हें मनाने के लिए आलाकमान कोशिशें कर रहा है। राज्य में कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं और जीत के लिए सबका एक को ही वोट करना जरूरी है। पार्टी ने यहां से अजय माकन को उम्मीदवार बनाया है।बिश्नोई ने कहा था कि ‘मैं अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर ही वोट डालूंगा। अंतरात्मा की आवाज पार्टी से ऊपर होती है।’ इसपर हुड्डा ने कहा था कि अंतरात्मा की आवाज पार्टी की आवाज होती है और जो पार्टी की आवाज नहीं सुनता वह पार्टी से बाहर जा सकता है। पलटवार करते हुए बिश्नोई ने कटाक्ष किया कि पिछले राज्यसभा चुनाव में जिसके कपड़ों पर लगे स्याही के दाग न धुले हों, वो अंतरात्मा की बात क्या करेगा। कांग्रेस की अंदरूनी कलह तीन-चार दिन में दूर नहीं हुई तो फायदा बीजेपी को होगा। बीजेपी का एक सीट जीतना तो तय है ही। दूसरी के लिए माकन का मुकाबला निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा से है जिन्हें बीजेपी और जेजेपी ने समर्थन दिया है।