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ADO कार्यालय द्वारा हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में 6वीं तल पर स्तिथ मन्त्री रूम को मात्र 10 माह में दुबारा बढ़िया बनाने के लिए फिर किये लाखो खर्च! जिम्मेदार कौन?

राणा ओबराय
राष्ट्रीय ख़ोज/भारतीय न्यूज,
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ADO कार्यालय द्वारा हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में 6वीं तल पर स्तिथ मन्त्री रूम को मात्र 10 माह में दुबारा बढ़िया बनाने के लिए फिर किये लाखो खर्च! जिम्मेदार कौन?
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चंडीगढ ;- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर हमेशा कहते हैं सरकारी फिजूलखर्ची बिलकुल भी बर्दाश्त नही होगी। परन्तु हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ में बिलकुल इसके विपरीत हो रहा है। 6वीं तल पर स्तिथ रूम नम्बर 40- B को लगभग 10 महीने पहले मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कृष्ण बेदी को यह कमरा अलाट किया गया। यह कमरा पूरी तरह से सुसज्जित था। बढ़िया फर्नीचर अच्छे पर्दे रंग रोगन से चमकता था यह कमरा, परन्तु फिर भी राजनीतिक सचिव ने इस रूम को अपनी मर्जी के हिसाब से सुंदर बनाने के लिए लाखों रुपये ख़र्च करवा दिए। उसके बाद यह कमरा प्रिंसिपल OSD नीरज दफ़्तुआर को अलॉट हो गया था। अब दो नए मन्त्री बनने के बाद यह कमरा फिर किसी मन्त्री को अलॉट हो गया। खास बात यह है कि फिर इस कमरे को मात्र 10 महीने के भीतर लाखो रुपये ख़र्च करके फिर सुसज्जित किया जा रहा है। CM खट्टर के राज में कर्मचारियों व जनता के कटे टैक्स को बर्बाद किया जा रहा है। बड़े से बड़ा नेता औऱ व्यापारी कोई भी अपने घर को 10 माह के भीतर पुनः सुसज्जित नही करवाता है। क्योंकि वह उसका अपना पैसा होता है। अगर सभी को अपना पैसा इतना प्यारा है तो फिर ऐसा हरियाणा सिविल सचिवालय में क्यो हो रहा है! कोई बता सकता है कि पुराना फर्नीचर, एसी, पर्दे व अन्य कीमती सामान सब कहाँ जाते हैं! यह ADO विभाग की जिम्मेदारी बनती है यदि कोई मन्त्री या अधिकारी सुसज्जित कमरे को 10 माह के भीतर लाखो रुपये खर्च करके फिर सुसज्जित करवाना चाहता है तो उसे बताए कि यह थोड़े समय पहले ही तैयार करवाया गया है अभी इस पर औऱ खर्च नही हो सकता है। परन्तु ऐसा नही होता है क्योंकि इसके साथ मामला कुछ औऱ भी तो होता है! हरियाणा मुख्यमंत्री यदि वास्तव में ईमानदार है तो जनता के पैसे को बर्बाद करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए तांकि अन्य अधिकारी भी कुछ गलत करने से पहले सोचे? यह भी सुनने को मिला है किसी काम को करने पर यदि खर्च 50 हजार होते हैं तो बिल कई गुणा फालतू बनता है! अगर ऐसा होता है तो यह जांच का विषय बनता हैं औऱ इसकी जांच जरूर होनी चाहिए?

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