अम्बाला लोकसभा सीट पर कांग्रसियों के एकजुट होने के कारण कांग्रेस को मिल सकती है बढ़त!
राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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अम्बाला लोकसभा सीट पर कांग्रसियों के एकजुट होने के कारण कांग्रेस को मिल सकती है बढ़त!
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चंडीगड़ ;- चंडीगड़ के साथ लगता हरियाणा का अंबाला लोकसभा क्षेत्र चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि लोकसभा क्षेत्र में चर्चा है कि सभी कांग्रेसी तन मन धन से कांग्रेस उम्मीदवार को जीताने का प्रयास कर रहे है। इसलिये अम्बाला हल्के में कांग्रेस के प्रति लोगों का हलका सा स्विंग दिखाई दे रहा है। लोग उम्मीदवारो को भी आपस मे तुलना करने लग गए हैं। इसके बावजूद भी पूरे क्षेत्र में सभी विधानसभा क्षेत्रों में सारे के सारे कार्यकर्ता और कांग्रेसी नेता उम्मीदवार के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। कुमारी शैलजा को किसी एक भी कार्यकर्ता या नेता को मनाने की जरूरत नहीं उठानी पड़ी है। परंतु फिर कांग्रेस की जीत को निश्चित नहीं माना जा सकता है इसलिए हम कह सकते हैं अभी भी चुनाव फंसा हुआ है। यहां एक हकीकत कांग्रेस के चुनाव को कठिन बना रही है वह यह कि आज भी शहरों में भाजपा मजबूत स्थिति में है और अंबाला हल्के में शहर कई हैं जैसे पंचकुला अंबाला शहर अंबाला कैंट नारायणगढ़ यमुनानगर जगाधरी कालका पिंजौर। मसलन यहां बड़ी आबादी शहरों में रहती है । इन शहरों में में भाजपा की बढ़त रहेगी। कांग्रेस को इन शहरों की बढ़त देहात से पूरी करनी होगी और बढ़त भी लेनी होगी। कभी बात बन पाएगी। इन सब बातों पर व्यावहारिक विचार करें तो हम पाएंगे कि वास्तव में मुकाबला कांटे का है।
यह सही है कि देहात में कांग्रेस मजबूत है परंतु यहां दलित पिछड़े कांग्रेस की बजाएं भाजपा की बात करते बताए गए हैं ।यदि यह सच है तो समझो मामला फस सकता है ।इस मामले में एक पक्ष बसपा और बसपा के प्रदर्शन से इसलिए जुड़ा है कि इस गठबंधन ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कांग्रेस जीत जाएगी और लोगों ने बसपा को भाव नहीं दिया तो इसका ऐसा लाभ भाजपा को मिलेगा कि पार्टी के उम्मीदवार रतन लाल कटारिया का कुमारी सैलजा को हराने का सपना पूरा होता नजर आएगा।
वैसे मौसम विज्ञानी कही जाने वाली कांग्रेसी उम्मीदवार कुमारी शैलजा जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रही हैं ।उन्होंने वीरवार को पंचकूला में अपने सहयोगी और शुभचिंतकों को डिनर दिया तो वे काफी सहज नजर आ रही थी।
अंबाला में चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच में ही हो रहा है। यहां दलित मतदाता बहुत निर्णायक है जो कई हलकों में तो कुल मतदाताओं का एक तिहाई से भी ज्यादा है। कुछ हलकों में तो दलित मतदाता 34 प्रतिशत से भी अधिक है। कालका से पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्र मोहन बिश्नोई, मनवीर कौर गिल ओमप्रकाश देवी नगर विजय बंसल फोम लाल गुर्जर राजेश कोना शशि शर्मा पूर्व विधायक सतविंदर राणा चेतन चौहान टिकट चाहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार कालका हल्के में मनवीर कौर गिल ओम प्रकाश गुर्जर और फोन लाल ने मन लगाकर लगाकर काम किया है पंचकूला में मेयर उपिंदर कौर आहलूवालिया उनके पति धनेंद्र कुमार आहलूवालिया रंजीता मेहता शशि शर्मा बजरंग दास गर्ग सलीम खान आदि प्रचार में लगे हुए हैं इनके अलावा सुधा भारद्वाज पवन जैन आदि सक्रिय रहे। यहां एक खास बात यह है कि कांग्रेस के सारे छोटे बड़े नेता रहते पंचकूला में है परंतु शहर में भाजपा का दबदबा है यहां गांव और कालोनियां ही कांग्रेस उम्मीदवार की प्रतिष्ठा बचा पाएगी। कुमारी शैलजा की जीत का दारोमदार नारायणगढ़ सढोरा जगाधरी मुलाना और अंबाला शहर पर ही रहेगा। उन्हें अंबाला शहर में भी थोड़ी बहुत बढ़त मिल सकती है ।उनकी सबसे मजबूत स्थिति नारायणगढ़ में नजर आ रही है। इसका कारण यह भी है कि यहां जाट मतदाता पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव में हैं श्री हुड्डा कुमारी शैलजा के पक्ष में नारायणगढ़ में एक जनसभा आयोजित कर वोटों की अपील कर चुके हैं। पूरे अंबाला लोकसभा क्षेत्र में राजपूत मतदाता भाजपा की बात करते नजर आ रहे हैं परंतु उनके मुकाबले मुस्लिम मतदाता कांग्रेस की ओर है ,इसमें कोई संदेह नहीं है। नारायणगढ़ में पूर्व विधायक रामकिशन गुर्जर चुनाव प्रचार में दिन रात एक कर के चल रहे है इसके बावजूद कांग्रेसी जीत इसके लिए कांग्रेस प्रत्याशी को लोग जिस थाली में रखकर परोसने वाले नहीं हैं। कांग्रेस की गरीबों को सालाना 72000 की आर्थिक मदद की स्कीम ने काम किया तो शहरों में भी कांग्रेस उम्मीदवार को फायदा हो सकता हैं। यमुना नगर में पूर्व विधायक अकरम खान सढोरा में पूर्व विधायक राजपाल भुखडी पिंकी छप्पर कुमारी सेलजा के लिए वरदान सिद्ध हो सकते हैं ।मुलाना में उन्हें फूलचंद मुलाना के परिवार पर ही निर्भर रचना पड़ेगा। यदि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की लोकप्रियता ने काम किया होगा तो अंबाला और यमुनानगर जैसे बड़े शहरों में कांग्रेस को अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। वैसे अभी अंबाला में चुनाव के रुझान को लेकर कोई चीज पक्के तौर पर करना बहुत कठिन है। यह जरूर कहा जा सकता है कांग्रेस में दिखी एकता के कारण कुमारी शैलजा के मुकाबले में भाजपा के उम्मीदवार रतन लाल कटारिया थोड़ा कमजोर दिखाई पड़ रहे हैं!