Sunday, September 15, 2024
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*मुख्यमंत्री खट्टर हरियाणा में भाजपा को जीत दिलाकर तोड़ेंगे रिकॉर्ड या फिर टाँय टाँय होंगे फ्लॉप!*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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*मुख्यमंत्री खट्टर हरियाणा में भाजपा को जीत दिलाकर तोड़ेंगे रिकॉर्ड या फिर टाँय टाँय होंगे फ्लॉप!*
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हरियाणा में भाजपा लगभग पिछले 10 वर्षो से सत्ता सुख भोग रही है तो वही हरियाणा में कांग्रेस सत्ता की आस में वनवास झेल रही है। अब 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव बहुत नजदीक आ गए हैं।इसलिए दोनों दलों के लिए चुनाव काफी अहम् है। क्योंकि 2024 चुनाव के बाद बहुत से नेता सक्रिय राजनीति से सन्यास ले सकते हैं। दूसरी और यह भी संभव है कुछ नए चेहरों को उभरने और आगे बढ़ने का मौका मिल सकता। यह कह सकते हैं कि हरियाणा की राजनीति में कुछ नए सियासी समीकरण बनने की सम्भावना हैं। कुछ पुराने सियासी रिश्तों में दरार आने के भी संकेत मिल रहे हैं। 2024 चुनाव को लेकर लोगो मे जिज्ञासा है कि क्या हरियाणा में कांग्रेस को तीसरी बार भी हार का सामना करना पड़ेगा। या फिर मनोहरलाल खट्टर तीसरी बार सरकार बनाकर सत्ता की हैट्रिक लगाएंगे। जिस तरह से भाजपा व कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने रैलियों, पद यात्राओं व रोड शो की शुरुआत की हुई है उससे लगता है कि दोनों चुनाव एक साथ नही होंगे।
यदि लोकसभा चुनाव की बात करें तो वह अप्रैल में होने निश्चित है। हरियाणा विधानसभा चुनाव अक्तूबर में होने हैं और दोनों चुनावों में करीब 6 महीने का फासला रहेगा। इसलिए लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद भी विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सभी राजनीतिक दलों एक मौका और मिलेगा। जो कि हरियाणा की राजनीति के लिए बहुत अहम साबित होगा। हरियाणा में 2014 के बाद से भाजपा का प्रदर्शन अच्छा चल रहा है। लेकिन अब की बार 2024 चुनावों में मुकाबला सख्त हो सकता है। यदि कांग्रेस प्रदर्शन की बात करें तो 2004 व 2009 के विधानसभा व लोकसभा चुनावों में इनका प्रदर्शन शानदार रहा था। 2024 विधानसभा चुनाव हरियाणा कांग्रेस के लिए भाग्यशाली साबित हो सकता है। यदि कांग्रेस हुड्डा को फ्री हैंड देती है। वर्तमान हालात की बात करें तो खट्टर सरकार के खिलाफ हर वर्ग में भारी नाराजगी है। महंगाई, बेरोजगारी व कानून व्यवस्था की बदहाली से त्रस्त लोगों ने सरकार बदलने का मन बना रखा है। पूरे प्रदेश में एंटीइनकम्बेसी हावी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 चुनावों में चुनावी वायदों की वादा खिलाफी का खामियाजा भी भाजपा की खट्टर सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

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