Friday, September 13, 2024
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हरियाणा में भी दिखेगा महिला आरक्षण का असर:विधानसभा में 30, लोकसभा में 3 सीटें होंगी रिजर्व; 45 साल में 6 महिलाएं पहुंची संसद*

राणा ओबराय
राष्ट्रीय खोज/भारतीय न्यूज,
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हरियाणा में भी दिखेगा महिला आरक्षण का असर:विधानसभा में 30, लोकसभा में 3 सीटें होंगी रिजर्व; 45 साल में 6 महिलाएं पहुंची संसद*
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चंडीगढ़ ;- केंद्र सरकार के नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल-2023 का असर हरियाणा में भी दिखाई देगा। यह बिल पारित होते ही हरियाणा विधानसभा और लोकसभा की तस्वीर बदल जाएगी। विधानसभा में महिलाओं के लिए 30 और लोकसभा की 3 सीटें रिजर्व हो जाएंगी। हालांकि केंद्र के इस नए बिल का लाभ 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में महिलाओं को नहीं मिल पाएगा।
*हरियाणा में महिलाओं को पंचायतों में पहले ही मिल रहा है 50% आरक्षण का लाभ*
लोकसभा और विधानसभा सीटों के लिए परिसीमन वर्ष 2026 में होना है। अभी हरियाणा में लोकसभा की 10 और विधानसभा की 90 सीटें हैं। परिसीमन में आबादी के अनुसार लोकसभा की 3 सीटें बढ़ेंगी तो कुल 13 लोकसभा सीटें हो जाएंगी जिनमें 4 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इस स्थिति में विधानसभा में सीटें बढ़कर 117 हो जाएंगी जिनमें 39 सीटें महिलाओं की होंगी।

*45 वर्षों में सिर्फ 6 महिलाएं पहुंची संसद*
हरियाणा में अभी तक राजनीति के दृष्टिकोण से महिलाओं के लिए कोई खास नहीं रहा है। राज्य में पिछले 45 वर्षों के दौरान केवल 6 महिलाएं ही लोकसभा चुनाव जीतकर संसद तक पहुंच पाई हैं। सबसे अहम बात यह है कि अभी तक हरियाणा में निर्दलीय कोई महिला आज तक जीत नहीं पाई। कांग्रेस की चंद्रावती, कुमारी सैलजा और श्रुति चौधरी, भाजपा (BJP) की सुधा यादव और सुनीत दुग्गल और इनेलो की कैलाशो सैनी ही हरियाणा गठन के बाद लोकसभा में पहुंच पाईं हैं।

*इन जिलों से नहीं मिला महिलाओं को प्रतिनिधित्व*
हरियाणा छह जिले ऐसे भी हैं, जहां से अभी तक महिलाओं को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। इनमें करनाल, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोनीपत जिले शामिल हैं। इन जिलों से एक भी महिला सांसद संसद तक नहीं पहुंच पाई। सबसे ज्यादा तीन बार कांग्रेस की कुमारी सैलजा संसद पहुंचीं। वह दो बार अंबाला और एक बार सिरसा आरक्षित सीट पर चुनी गईं।

*आरक्षण पर क्या बोले हरियाणा के दिग्गज*
हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने कहा है कि एक पंजाबी फिल्म है, जिसका नाम गोडे-गोडे चा है, इसकी थीम है कि महिलाओं को बारात में जाने की इजाजत नहीं है। लेकिन वह जाने के लिए संघर्ष करती हैं। वे सफल होती हैं। पुराने जमाने में देश के कई हिस्सों में इस तरह की परंपरा रही है।
*सीएम बोले- मजबूत होंगी महिलाएं*
बहुत समय से जनता में इसकी चर्जा थी, खासकर महिलाएं बार-बार पूछतीं थी, हम लोगों ने तो यहां स्थानीय स्तर पर, पंचायती राज और शहरी स्थानीय निकायों में जबसे 50 प्रतिशत का प्रावधान किया था तब से ये चर्चा बार बार चलती थी कि लोकसभा में, विधानसभा में ये कब होगा। ये कदम सराहना योग्य है। निश्चित रूप से इससे महिलाओं का सशक्तिकरण बढ़ेगा।

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